- संवाददाता, ई-रेडियो इंडिया
नई दिल्ली। पीएम नरेंद्र मोदी मन की बात में भारत-चीन विवाद पर खुलकर बोले। देश पर आने वाली आफतों को भी बखूबी एक के बाद एक मोदी ने गिनाये और कहा कि लोग आपस में बात करते हैँ कि आखिर यह साल कब बीतेगा। उन्होंने कहा कि लोग कह रहे साल अच्छा नहीं, यह शुभ नहीं। यह साल जल्द बीत जाए। 6 सात महीने पहले कहां जानते थे कि ऐसा संकट आएगा। कोरोना के बीच अम्फान, निसर्ग फिर टिड्डी दल और भूकंप। फिर पड़ोसी देशों की हरकतें। एकसाथ इतना कुछ हो रहा।
मुश्किलें आती हैं, संकट आते हैं लेकिन सवाल यही है कि क्या आपदाओं की वजह से साल को खराब मान लिया जाये? यह सोच लेना कि पूरा साल ही ऐसा है यह बात ठीक नहीं है। एक साल में एक चुनौती हो या 50 चुनौती उससे साल खराब नहीं होता। मोदी के इस एपिसोड के बाद विपक्ष ने हालाकि सवाल भी उठाया मगर अमित शाह ने संसद में बहस करने की बात कहकर एक झटके में सबका मुंह बंद कर दिया।
उधर चीन अपने ही देश में घिरता जा रहा है, कारण है चीन में हताहत सैनिकों की सार्वजनिक घोषणा न करना। वहां के शहीद सैनिकों के परिजनों में आक्रोश तो है ही साथ ही साथ वहां की स्थानीय जनता ने अब सोसल साइट पर यह सवाल उठाना शुरू कर दिया है कि आखिर उनके देश के सैनिकों की जानकारी क्यों छुपायी जा रही है।
चीन ने घटना में मारे गए कई सैनिकों के नाम अभी तक उजागर नहीं किए हैं, जिसको लेकर उसे सैनिकों के परिजनों के गुस्से का सामना करना पड़ रहा है। अमेरिका की ब्रेइटबार्ट न्यूज ने एक रिपोर्ट में कहा है कि चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के फैसले की वजह से सैनिकों के परिजन काफी परेशान हैं। वह लगातार सोशल मीडिया पर अपने जवानों को लेकर सवाल पूछ रहे हैं, जिन्हें शांत करा पाने में चीनी सरकार नाकाम हो रही है।
रिपोर्ट में बताया गया है कि गलवान घाटी में मारे गए चीनी सैनिकों के बाद कई सैनिकों के परिजनों ने चीन की सोशल मीडिया साइट्स वीबो और अन्य पर शी जिनपिंग की सरकार के खिलाफ गुस्सा जाहिर कर रहे हैं। वह लगातार सरकार से कह रहे हैं कि चीनी सरकार सैनिकों के नाम बताए, जो घटना में मारे गए।
15 जून को गलवान घाटी में हुई झड़प में 20 भारतीय सैनिक शहीद हो गए थे। इसके अलावा चीन के 40 से ज्यादा सैनिक भी मारे गए, लेकिन ड्रैगन ने अभी तक इसे स्वीकार नहीं किया। हालांकि, चीन ने कुछ कमांडरों के मारे जाने की बात जरूर स्वीकार की थी।