- अध्यात्म डेस्क, ई-रेडियो इंडिया
सुलतानपुर। भारत विविधताओं का देश है… यहां पर हर रंग हर वर्ग और हर तरह के लोगों को जमावड़ा है। भारतीय संस्कृति में त्योहारों की परम्परा बेहद दिलचस्प है। इसी कड़ी का एक हिस्सा है…. शीतलाष्टमी व्रत। इस व्रत को बसौड़ा या बसियौरा भी कहा जाता है।
हिन्दी के अनुसार चैत्र माह में होली के सातवें या आठवें दिन मनाये जाने वाले इस त्योहार के बारे में मान्यता है कि मां शीतला की पूजा करने से चेचक यानी चिकनपॉक्स जैसे रोग मनुष्य के शरीर से कोसों दूर रहते हैं। यही नहीं ऋतुओं के बदलने पर खान-पान में बदलाव कर संक्रमण की महामारी से भी बचने में यह पर्व बेहद कारगर सिद्ध होता है।
स्कंद पुराण में इस व्रत का जिक्र मिलता है और कहते हैं इस दिन मां शीतला के नाम के अनुसार शीतल यानी ठण्डा भोजन किया जाता है।
कब मनाया जायेगा शीतलाष्टमी व्रत
इस बार 16 मार्च को माता शीतला की पूजा और व्रत किया जायेगा। चुंकि सप्तमी तिथि के स्वामी सूर्य और अष्टमी के देवता रूद्र होते हैं। दोनों ही उग्र देव होने से इन दोनों तिथियों में शीतला माता की पूजा की जाती है।
मुहूर्त चिंतामणी ज्योतिष ग्रंथ के अनुसार इस व्रत में सूर्योदय व्यापिनी तिथि ली जाती है। इसलिए सप्तमी पर पूजा और व्रत 15 मार्च को किया जाना चाहिए। इसी तरह शीतलाष्टमी 16 मार्च को मनाई जानी चाहिए।
साथियों कोरोना वायरस ने सबको चक्कर में डाल दिया है। गलत खानपान और अनियमित क्रिया-कलापों से मनुष्य ने खुद का जीवन स्वयं खतरे में डाल लिया है। भारतीय संस्कृति में मनाये जाने वाले त्योहारों में से एक शीतलाष्टमी को व्रत करने व नियमानुसार पूजन आदि कर भोजन ग्रहण करने से ही विभिन्न प्रकार के संक्रमण से मुक्ति मिल जाती है।
हालाकि मैं इसका सम्बंध कोरोना वायरस को ठीक करने से जोड़ने की कोशिश कतई नहीं कर रहा। लेकिन पुराणों में लिखे तत्थ्यों के अनुरूप देखें तो हम अपने जीवन को गहरे संक्रमण से मुक्त जरूर कर सकते हैं।
अपने साथियों मित्रों और शुभचिंतकों तक मेरी इस को बात को अवश्य पहुंचायें…. हो कसता है कि आपका एक शेयर आपके परिचितों के जीवन में उजाला कर दे…. नमस्कार….