सुभारती विवि के पत्रकारिता विभाग के कांफ्रेंस में डॉ. नीरज कर्ण सिंह, प्रो. वंदना एवं प्रो. डॉ. दिलीप कुमार। |
आपदा संचारः मीडिया की भूमिका विषय पर व्यक्त किए विचार, एक्सपर्ट बोले सकारात्मक खबरों पर दें ध्यान
- संवाददाता, ई-रेडिया इंडिया
मेरठ। स्वामी विवेकानंद सुभारती विश्वविद्यालय के विद्यार्थी सुभारती पत्रकारिता संकाय ने पुर्नउत्थान ट्रस्ट के तत्वाधान में ‘आपदा संचारः मीडिया की भूमिका’ विषय पर एक दिवसीय राष्टीय वेबिनार आयोजित किया। सोशल मीडिया का सही इस्तेमाल करते हुए इस स्थिति में महाविद्यालय द्वारा छात्रों को जागरूक करने व उन्हें शिक्षित करने का एक सफल प्रयास किया गया। इस प्रयास में दोनो सत्रों के माध्यम से करीब चार हजार से अधिक दर्शक महाविद्यालय के फेसबुक पेज से जुड़े।
प्रथम सत्र में जहां कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रोफेसर मान सिहं परमार का व्याख्यान हुआ तो वहीं द्वितिय सत्र में गौतम बुद्व विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ कम्यूनिकेशन एंड मीडिया स्टडी की चेयरपर्सन प्रोफेसर बंदना पाण्डे ने अपने विचार व्यक्त किए। साथ ही संयोजक एवं सुभारती पत्रकारिता संकाय के डीन डॉ नीरज कर्ण सिंह तथा पुनरुत्थान ट्रस्ट के फाउंडर प्रोफेसर दिलीप कुमार ने भी छात्रों को जागरूक किया। सभी वक्ताओं ने अपने अनुभव आधारित शब्दों से छात्रों, शोधार्थियों एवं शिक्षिकों को आपदा संचार और मीडिया की भूमिका विषय पर अपने संवेदनशील विचार व्यक्त किए।
डीन ने की विधिवत शुरुआत, दर्शकों ने लगाई सवालों की झड़ी
वेबिनार के संयोजक एवं सुभारती पत्रकारिता संकाय के डीन डॉ. नीरज कर्ण सिंह ने सत्र की विधिवत शुरूआत की और वक्ता प्रोफेसर मान सिंह परमार व इंटरनेट के माध्यम से जुड़े सभी दर्शकों का स्वागत किया। मुख्य वक्ता प्रोफेसर मान सिंह ने कहा कि हमें इस संकट की घड़ी में नकारात्मकता को छोड़कर सकारात्मकता की ओर बढ़ना चाहिए। सकारात्मकता ही है जो हमारे मस्तिष्क एवम् हमें इस वायरस से लड़ने की ताकत दे सकती है। प्रोफेसर परमार ने आगे कहा कि मीडिया ऐसी संकट की घड़ियों में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, इसीलिए ऐसे वक्त में मीडिया भी वो घटनाएं दिखाए जो सत्य हैं, किसी भी तरह की अफवाह को बढ़ावा ना दे, जिससे जनता पर गलत असर हो। उन्होंने गीता के उदाहरण देकर इस परिस्थिति के प्रभावों से बचने के उपाय सुझाए। उन्होंने कहा कि पहले बीमारी को समझना चाहिए न की डरकर उसकी चिंता में खो जाना चाहिए। ये कुछ ऐसा दौर हैं, जो भारत की एकता को दर्शा रहा है। भारत विभिन्नता में एकता की मिसाल कायम कर रहा है। सोशल मीडिया पर वायरल होने वाले फेक कंटेंट हमें डराने लगे हैं, आवश्यकता है कि हम सकारात्मकता बनाएं रखें। छात्रों द्वारा पूछे गए विभिन्न प्रश्नों का भी उन्होनें शालीनता के साथ जवाब दिया।
मन से जीतने वाला होगा सच्चा योद्धा: वंदना पांडे
इस वक्त हमें डरने की जगह हिम्मत से काम लेना चाहिए। जिस तरह हम चीन या फिर किसी भी देश पर आरोप लगा रहे हैं कि कोरोना उनकी वजह से हुआ है तो हमें ये नहीं करना चाहिए बल्कि इसकी जगह हमें इस पर ध्यान देना चाहिए कि इसका निवारण क्या है?
वेबिनार संयोजक डॉ. नीरज कर्ण सिंह ने कहा कि पत्रकार ऐसा होना चाहिए जो निर्माण मुखी हो, जो जनता तक एक सही सूचना का प्रवाह करे। डॉ. सिंह ने कहा कि ये संकट की घड़ी है और इसमें हम सभी को एकजुट होकर साथ आना होगा। हमारी मीडिया को इस वक्त ऐसी खबरें दिखानी चाहिए जिससे जनता पर सकारात्मक असर हो और कोई हानि ना हो। पत्रकार इस समय एक एहम भूमिका निभा रहे हैं हम सबको मिलकर उनका हौंसला अफजाई करनी चाहिए। उन्होंने स्वयं रचित एक कविता के माध्यम से कोरोना योद्धाओं को धन्यवाद भी दिया।
आपदा संचारः मीडिया की भूमिका विषय पर आयोजित इस वेबिनार में करीब 4 हजार छात्रों ने इंटरनेट के माध्यम से प्रतिभाग किया। वहीं, 30 से भी अधिक विभिन्न विषयों पर, विभिन्न प्रदेशों से शोध लेख प्राप्त हुए। इस वेबिनार में बांग्लादेश की एक प्राध्यापक डॉं लोपा मुद्रा ने भी हिस्सा लिया।
वेबिनार में डॉ संजीव भानावत, डॉ प्रशांत कुमार, डॉ साधना श्रीवास्तव ने भी सीधा हिस्सा लिया और प्रश्न भी पूछे। साथ ही तमाम तकनीकी एंव स्टीमिंग का सफलतापूर्वक संचालन महाविद्यालय के सहायक प्राध्यापक यासिर अरफात ने किया। कार्यक्रम को सफल बनाने में महाविद्यायल के प्राध्यापक प्रोफेसर अशोक त्यागी, डॉ. गुंजन शर्मा, डॉ. मुदिस्सर सुल्तान, बीनम यादव एंव प्रीति सिंह व समस्त छात्र-छात्राओं का योगदान रहा।