नई दिल्ली। होली प्रेम व उत्सव का त्योहार है और इसमें सभी लोग एक दूसरे को गले लगाकर रंग लगाते हैं। यह पर्व हिन्दू पंचांग के अनुसार फाल्गुन मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है।
भारत, नेपाल तथा विश्व के अलग-अलग कोने में मनाये जाने वाले इस पर्व की मान्यता अब और भी प्रगाढ़ होती जा रही है। आज हम आपको बतायेंगे कि आखिर होली इतना प्रसिद्ध क्यों है? और होली क्यों मनाई जाती है?
पौराणिक कथाओं के अनुसार होली दानव राजा ‘हिरण्यकश्यप’ की बहन ‘होलिका’ के कारण मनाई जाती है। इसका नामकरण भी उसी के नाम पर हुआ है। कहते हैं कि हिरण्यकश्यप ने प्रह्लाद ईश-भक्ति से क्रोधित होकर अपनी बहन होलिका को प्रह्लाद सहित आग में जल जानेका आदेश दिया, इसके बाद क्या हुआ आप सभी जानते हैं।
- साथियों यह एक सामान्य रूप से प्रचलित कथा है होली के त्योहार के पीछे, अब हम आपको बतायेंगे इसी त्येाहार से जुड़े कुछ अन्य पहलुओं के बारे में।
- तो बुरा न मानो होली है…. जी हां… ये एक प्रसिद्ध कहानी है और इसी की तर्ज पर सबको रंगों में डुबोया जाता है। वैसे दो दिनों के लिये इस पर्व को मनाया जाता है। छोटी होली या बड़ी होली के नाम से ये दोनों दिन मनाये जाते हैं।
- पहले दिन होलिका दहन होता है और दूसरे दिन होती है रंगबाजी…. जिसे ‘धुरड्डी’, ‘धुलेंडी’, ‘धुरखेल’ या ‘धूलिवंदन’ भी कहा जाता है, लोग एक-दूसरे पर रंग, अबीर-गुलाल इत्यादि फेंकते हैं, ढोल बजाकर होली के गीत गाये जाते हैं, और घर-घर जाकर लोगों को रंग लगाया जाता है।
- होली के दिन पुरानी दूरियों को खत्म कर देते हैं और फिर से दोस्त बन जाते हैं। इस दिन लोग एक दूसरे से मिलने जाते हैं और गुझिया व अन्य पकवान से अपने मेहमानों का स्वागत करते हैं।
- मथुरा और वृंदावन में होली एक अलग रूप में मनाई जाती है। ‘लट्ठमार होली’, जिसे महिलाओं और पुरुषों की पारंपरिक वेशभूषा में छड़ी और एक ढाल के साथ होली खेलने के नाम से जाना जाता है।
तो मित्रों… आपको पसंद आई होगी हमारी रंगबाजी…. त हमार ओरी से बहुत बहुत नमस्कार…. जयहिन्द… जय भारत…. जय होलिका दहन….