अब समस्या नहीं समाधान केंद्रित पत्रकारिता की जरूरत है: केजी सुरेश

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  • संवाददाता, ई-रेडियो इंडिया

मेरठ। आज का पत्रकार बिना सुने बोल रहा है और बिना पढ़े लिख रहा है। यही कारण है कि समाज का एक वर्ग कविड-19 के दौर में वंचित हो गया है। 27 मार्च को लॉकडाउन को ध्यान में रखते हुए विकलांग व्यक्तियों के अधिकारिता विभाग ने विकलांग व्यक्तियों (दिव्यांगजन) की सुरक्षा और सुरक्षा के लिए व्यापक विकलांगता समावेशी दिशानिर्देश जारी जरूर किया लेकिन न तो क्रियांवित हुई और न ही किसी मीडिया संस्थानों ने खबरियां बुलेटिन में उसे शामिल करना मुनासिब समझा। आज हमें समस्या नहीं समाधान केंद्रित पत्रकारिता की जरूरत हैं। यह बात आईआईएमसी के पूर्व महानिदेशक प्रो. केजी सुरेश ने बतौर मुख्य अतिथि दिव्यागों की भूमिकाः चुनौतियां एवं संभावनाएं विषय पर ऑनलाइन विमर्श श्रृंखला के आयजन के मौके पर कहीं। यह विमर्श पुनरूत्थान ट्रस्ट द्वारा आयोजित किया गया।

दिव्यांगों के लिये टीवी चैनलों को देना चाहिये समय

प्रो. केजी सुरेश ने आगे कहा कि दिव्यांगों के मुद्दें को पाठ्यक्रम में शामिल किया गया हैं लेकिन और व्यापक स्तर पर शामिल करने की जरूरत है। इसके साथ ही टीवी चैनलों को प्रतिदिन कम से कम 15 मिनट का न्यूज बुलेटेन दिव्यागों के लिए प्रसारित करने की पहल करनी चाहिए। हमें आज मुख्यधारा की मीडिया पर समस्याओं को उजाकर करने के लिए निर्भर नहीं रहना चाहिए। आप सभी सोशल मीडिया का अपने भाई-बंधुओं को प्रशिषण दे ताकि वो सोशल मडिया के जरिए अपनी समस्याओं को उजागर कर सकें। हमें मीडिया को लेकर भी आत्मनिर्भर बनने की जरूरत है।

दिव्यांगों के लिये काम कर रही संस्थाओं को आगे आना चाहिये

ज्यादातर दिव्यांग सार्वजनिक यातायात पर निर्भर है। ऐसे में लॉकडाउन की वजह से दिव्यांग भाई कारागार में कैद कैदी की तरह हो गए है। जाहिर हैं कुछ दिव्यांगों के पास मॉडिफाइड ट्रांसपोर्ट व्यवस्था हो लेकिन उन कुछ की गिनती बहुत कम है। दिव्यांगों के क्षेत्र में कार्य कर रही संस्थाओं को चाहिए कि वह इस मुद्दे पर आरटीआई डाले। इसके साथ ही किसी ऐसे हेल्पलाइन की शुरुआत करें जिससे दिव्यांगों की मदद हो सके। इस मंच से मेरा आग्रह हैं कि पुनरुत्थान इसकी पहल करें और अन्य संस्थानों के साथ मिलकर वॉलंटियर तैयार करके काम करें। इसके साथ ही अगर दिव्यांगों के लिए कविड-19 की जानकारी देने के लिए ऑडियो, वीडियो और टेक्ट विभिन्न भाषाओं में तैयार किया जा सकें तो शायद दिव्यागों के लाभकारी होगा।

विमर्श का सुभारंभ डॉ. नीरज कर्ण सिंह ने वैदिक मंत्रों से किया और विषय की वृहद जानकारी दी। संचालन करते हुए डॉ. नीरज कर्ण सिंह ने कहा दिव्यांगों के दिव्य भाव को स्वीकृत करने की आवश्यकता है न कि विकृति देखने की। इसके बाद पुनरूत्थान के सचिव राकेश कुमार ने ट्रस्ट के विभिन्न कार्यकलापों और विजन-मिशन से परिचय कराया।

विमर्श में बोलते हुए मुख्‍य वक्‍ता प्रह्लाद जादव ने दि‍व्‍यांगों की समस्‍याओं के बारे में बोलते हुए कहा कि‍ आज के दौर में कैसे एक दि‍व्‍यांग रोजी-रोटी की तलास में सड़क पर नि‍कल रहा है। उन्‍होंने बताया कि‍ कोवि‍ड-19 के दौर में समस्‍या केवल जीने का नहीं, बल्‍कि‍ जीवन जीने का है, जो आसान नहीं है। आज दि‍व्‍यांगो के सामने बहुत सारी समस्‍याएं खड़ी हो गई है। हम सभी को आगे आकर इनकी मदद करनी चाहि‍ए।

वेबिनार को संबोधि‍त करते हुए वि‍शि‍ष्‍ट अति‍थि‍ डॉ. दयाल सिंह पंवार ने कहा कि‍ सबसे पहले समाज को दि‍व्‍यांगो के बारे में अपनी सोच बदलनी होगी। दि‍व्‍यांग के बारे में साकरात्‍मक सोच रखनी होगी। एक दि‍व्‍यांग बि‍ना कि‍सी की सहायता के आगे नही चल सकता। ऐसे में उसके सामने अपने कार्यालय जाने की चुनौती आ गई है। उन्‍हें सहायता की जरूरत होती है। मगर समाजि‍क दूरी ने लोगों को उनसे दूर कर दि‍या है। लॉकडाउन के समय में अधि‍कारि‍यों एवं वि‍शि‍ष्‍ठ लोगों की तरह दि‍व्‍यागों को भी जीवन जीने की कला के बारे में प्रशि‍क्षण देना चाहि‍ए।

कार्यक्रम के अध्‍यक्ष प्रो. डा. आरपी सिंह ने कहा कि‍ आज कोवि‍ड-19 के दौर में दि‍व्‍यांगों के लि‍ए यातायात की समस्‍या बहुत बड़ी है। दि‍व्‍यांगों को आत्‍मनिर्भर बनने की जरूरत है। साथ ही सरकार को भी दि‍व्‍यांगों को आत्मनिर्भर बनाने की व्‍यवस्‍था करना चाहि‍ए। सभी दि‍व्‍यांग भाई-बहन टेक्‍नोलॉजी की सही तरह से प्रयोग नहीं कर सकते, उनके लि‍ए अलग से व्‍यवस्‍था करनी चाहि‍ए। उन्‍होंने दि‍व्‍यांगों के साथ शि‍क्षा में हो रही समस्‍याओं के बारे में भी वि‍स्‍तार से बताया।

इस मौके पर पुनरूत्थान ट्रस्ट के अध्यक्ष प्रो. डॉ. दि‍लीप कुमार ने कहा कि प्रशासनिक सेवा में दिव्यांगों के लिए अपार संभावनाएं है। इस पर कोविड-19 के दौर में कार्य करनी की आवश्यकता है। आपसी सहभागिता से और बेहतर परिणाम प्राप्त किए जा सकते हैं। पद्मश्री इरा सिंघल और दीपा मलिक को देखकर लगता हैं कि दिव्यांगो को अपनी क्षमताओं पर आगे बढ़ना चाहिए और इसके लिए उनकी सामाजिक स्वीकारोक्ति होनी बेहत जरूरी है।

क्षेत्रीय पत्रकारिता के जरिये बनेगी बात: डॉ. नीरज

इस मौके पर संबोधित करते हुए सुभारती पत्रकारिता एवं जनसंचार संकाय के संकायाध्यक्ष एवं पुनरूत्थान के उपाध्यक्ष डॉ. नीरज कर्ण सिंह ने कहा कि अक्सर हम अपने मुद्दे के लिए राष्ट्रीय मीडिया की ओर देखते हैं जबकि अब हमें क्षेत्रिय समस्याओं के लिए क्षेत्रिय पत्रकारिता की ओर जाने की जरूरत है। क्षेत्रिय पत्रकारिता ने हमेशा ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाई हैं फिर चाहे 1857 की क्रांति हो या देश की आजादी। लेकिन वर्तमान में हम उसे भूल चुके हैं जिसे पुनः जिन्दा करने की जरूरत है तभी हम अपनी समस्याओं का समाधान पा सकेंगे।

कार्यक्रम के अंत में पुनरूत्थान एनजीओ के अध्यक्ष प्रो. डा. दि‍लीप कुमार ने सभी अति‍थि‍यों एवं प्रति‍भागि‍यों का धन्‍यवाद ज्ञापि‍त करते हुए पुनरूत्थान एनजीओ के द्वारा कि‍ए जा रहे कार्यों के बारे में वि‍स्‍तार से बताया। अंत में डॉ. नीरज कर्ण सिंह ने जय जगत गीत गाकर सकारात्मक उर्जा के साथ विमर्श का समापन किया।

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पत्रकारिता में बेदाग 11 वर्षों का सफर करने वाले युवा पत्रकार त्रिनाथ मिश्र ई-रेडियो इंडिया के एडिटर हैं। उन्होंने समाज व शासन-प्रशासन के बीच मधुर संबंध स्थापित करने व मजबूती के साथ आवाज बुलंद करने के लिये ई-रेडियो इंडिया का गठन किया है।

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