अस्थमा बिगड़ने का मुख्य कारण श्वास की नली में वायरल संक्रमण होना: डॉ. तजीन आरिफ

0 minutes, 5 seconds Read
asthama

लाइफ केयर अस्पताल के चेस्ट फिजिशियन से अस्थमा को लेकर बातचीत

  • संवाददाता, ई-रेडियो इंडिया

बिजनौर। हम अप्रत्याशित दौर में जी रहे हैं। वक्त की मांग है कि हम इन अनिश्चितताओं को स्वीकार करें, लेकिन सबसे पहले हमें इसकी शुरुआत करनी होगी और सेहत व स्वास्थ्य को महत्व देना होगा। यह खासकर तब बहुत जरूरी है, जब आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर है या फिर आपको किसी बीमारी का इतिहास है। अस्थमा बिगड़ने का मुख्य कारण श्वास की नली में वायरल संक्रमण होना है। अस्थमा के जोखिम वाले लोगों या फिर मौजूदा अस्थमा पीड़ितों के लिए सांस की नली में वायरल संक्रमण बहुत घातक हो सकते हैं और बीमारी को अनियंत्रित कर सकते हैं। यह जानकारी लाइफ केयर अस्पताल के चेस्ट फिजिशियन डाक्टर तजीन आरिफ ने दी।

डा. तजीन आरिफ ने बताया कि यह जानना भी आवश्यक है कि इस समय अस्थमा पीड़ितों में संक्रमण की ज्यादा दर का कोई प्रमाण नहीं है। लेकिन एक अनुमान के अनुसार सामान्य या फिर गंभीर अस्थमा के मरीजों को बीमारी के और ज्यादा गंभीर होने का खतरा ज्यादा होता है, लेकिन इस तथ्य को साबित करने के लिए कोई भी प्रकाशित डेटा नहीं है। सांस की क्रोनिक बीमारी भारत में स्वास्थ्य के बड़े भार का एक कारण है। भारत में लगभग 93 मिलियन लोग सांस की क्रोनिक समस्या से पीड़ित हैं। 

इनमें से लगभग 37 मिलियन एस्थमेटिक हैं। अस्थमा के वैश्विक भार में भारत का हिस्सा केवल 11.1 प्रतिशत है, जबकि विश्व में अस्थमा से होने वाली मौतों में भारत का हिस्सा 42 प्रतिशत है, जिस वजह से भारत दुनिया की अस्थमा कैपिटल बन गया है। बताया कि अस्थमा पर सांस के वायरस के प्रभाव के चलते यह बहुत आवश्यक हो गया है कि मौजूदा समय में अस्थमा पीड़ित बहुत ज्यादा सावधानी बरतें। वायरस निर्मित समस्याओं की रोकथाम के लिए अस्थमा को अच्छी तरह से नियंत्रित करना बहुत आवश्यक है। मौजूदा महामारी के समय में किसी बीमारी के उपचार के लिए आपातकालीन विभाग या अत्यावश्यक इलाज के लिए जाना पड़ता है, जहां पर मरीज को किसी संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने का जोखिम भी ज्यादा होता है। इसलिए अस्थमा को नियंत्रित रखकर अस्थमा पीड़ित व्यक्ति वायरल संक्रमण के जोखिम को कम कर सकता है।

न रोके स्टेरायड इन्हेलर्स का उपयोग

डाक्टर तजीन आरिफ के अनुसार अस्थमा पीड़ितों को अस्थमा नियंत्रित रखने के लिए स्टेरायड इन्हेलर्स दिए जाते हैं। मौजूदा महामारी में अस्थमा पीड़ित के लिए सबसे अच्छी बात यह है कि वह अपने अस्थमा को नियंत्रित रखे। स्टेरायड इन्हेलर्स का उपयोग रोकने से व्यक्ति को अस्थमा के बिगड़ने का खतरा होगा। इसके अलावा कभी भी अपने कार्टिकोस्टेरायड इन्हेलर तब तक लेना बंद नहीं करना चाहिए, जब तक कोई मेडिकल प्रोफेशनल उनसे ऐसा करने को न कहे। स्टेरायड इन्हेलर का प्रयोग बंद करने से मरीज को संक्रमण का ज्यादा खतरा हो जाएगा, क्योंकि इससे अस्थमा का नियंत्रण खराब हो जाता है।

बिना योजना के क्लीनिक न जाए एस्थमेटिक मरीज

एस्थमेटिक मरीजों को बिना योजना के क्लीनिक नहीं जाना चाहिए। अस्थमा खांसी और सांस लेने में तकलीफ से जुड़ा है, लेकिन इसमें बुखार नहीं आता है। यदि अस्थमा में बुखार आ रहा है, तो डाक्टर से फौरन संपर्क करें और उसके द्वारा दिए गए दिशानिर्देशों का पालन करें। सामान्य से गंभीर अस्थमा से पीड़ित लोगों को वायरल संक्रमण से बहुत ज्यादा बीमारी पड़ने का खतरा रहता है। ये संक्रमण आपकी सांस की नली (नाक, गला, फेफड़ों) को प्रभावित करते हैं, अस्थमा का अटैक लाते हैं और इनकी वजह से निमोनिया या एक्यूट रेस्पिरेटरी डिज़ीज़ हो सकती है।
अस्थमा का उपचार क्या है? - Quora

अस्थमा मैनेजमेंट के सुझाव

  • अपना इन्हेलर किसी अन्य से साझा कभी न करें।
  • इन्हेलेशन डिवाईसेस नियमित रूप से वॉश करें। उसे हाईज़िनिक एवं स्वच्छ रखें।
  • अस्थमा पीड़ितों को अपने डाक्टर के परामर्श से अस्थमा एक्शन प्लान का पालन करना चाहिए। यदि आपके पास कोई प्लान नहीं, तो अपने डाक्टर से पूछें।
  • अपने हैल्थकेयर प्रोफेशनल से परामर्श लिए बिना अपने अस्थमा ट्रीटमेंट प्लान में परिवर्तन न करें या फिर दवाई लेना बंद न करें।
  • अपने इलाज के बारे में किसी भी शंका का समाधान अपने हैल्थकेयर प्रदाता से करें।
  • प्रेस्क्रिप्शन मेडिकेशंस की इमरजेंसी सप्लाई जैसे अस्थमा इन्हेलर्स के बारे में अपने हैल्थकेयर प्रदाता, बीमाकर्ता एवं फार्मेसिस्ट से बात करें।
  • अपने अस्थमा ट्रिगर्स से बचें।
  • अपने एवं अन्य लोगों के बीच दूरी बनाए रखने के लिए दैनिक सावधानियां बरतें।
  • सार्वजनिक स्थानों पर जाने पर अन्य लोगों से दूरी बनाकर रखें, खासकर उनसे जो बीमार हों।
  • अपने हाथों को अल्कोहलयुक्त हैंड सैनिटाईज़र या साबुन व पानी से धोकर साफ रखें।
  • भीड़ एवं ऐसे लोगों से बचें, जो बीमार हों।
  • कम से कम 6 फीट की सोशल डिस्टैंसिंग बनाएं। दूरी बनाकर रखें, खासकर उन लोगों से दूर रहें, जो मास्क न पहने हों, क्योंकि इससे संक्रमण का खतरा 75 प्रतिशत बढ़ जाता है।
  • यदि परिवार का कोई सदस्य बीमार है, तो घर के अंदर भी मास्क पहनकर रखें।
Send Your News to +919458002343 email to eradioindia@gmail.com for news publication to eradioindia.com

Similar Posts

error: Copyright: mail me to info@eradioindia.com