मेरठ। एक शहीद का परिवार ऐसा भी है जो सरकार के आगे मुंह खोलकर मदद मांगने को मजबूर हो गया है…. सरकारी सिस्टम के आगे सब्र का बांध टूट गया और समाज के हाकिम जब शहीद के पिता केपी सिंह, मां कमलेश देवी, बहनें शिवानी व प्रियंका के मन की व्यथा न समझ सके तो अन्त में मुंह खोलना ही पड़ा…
धरने पर बैठना पड़ा… सरहद पर तैनाती के दौरान पांव फिसल गया और मेरठ के सिल्वर सिटी कालोनी निवासी लेफ्टिनेंट आकाश चौधरी शहीद हो गये… अमूमन सरकार शहीदों के परिजनों से स्वयं मुलाकात करती है… या कोई प्रतिनिधि भेजती है… यहां भी ऐसा हुआ लेकिन दूसरों की जेबों को ठीक से तौलने वाले नेताओं में से किसी की इतनी औकात नहीं हुई कि वो शहीद के परिजनों आर्थिक हालात को समझ सके… हो सकता है समझ भी लिया हो और नजरअंदाज कर दिया…
परिजनों की मांग है कि उनके जिगर के टुकड़े के नाम पर एक अदद सड़क का निर्माण हो, प्रतिमा लगाई जाये और परिजनों में से किसी एक को सरकारी नौकरी दी जाये…
खैर… सरकार अभी कोरोना महामारी के चलते व्यथित होकर आम जनता से खुद मदद मांग रही है… विधायकों की फौज… सांसद का गृह जनपद और हजारों की संख्या में भाजपा कार्यकर्ता… इतना सब होने के बावजूद… यहां सब के सब मात्र कर्मचारी बने हुये हैं… अफसरशाही के आगे तो यहां की राजनीति बंधक है साहब…. ब्यूरो रिपोर्ट
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