- प्रशांत कौशिक, मेरठ
पंडित जयनारायण शर्मा जी नहीं रहे, जब यह शब्द कानों ने सुने तो यकायक विश्वास ही नहीं हुआ क्योंकि अभी कुछ दिन पहले ही जब उनसे बात हुई थी तो हमेशा की तरह उनके द्वारा मिले स्नेह पूर्ण आशीर्वाद और आत्मीयता की यादें जीवंत होकर आंखों के सामने ठहर सी गई।
जब भी पंडित जी से मिला उन्होंने हमेशा ही एक विश्वास दिया और लिखने के लिए हमेशा प्रेरित किया और कहते थे कि राजनीति में संवेदनाओं का होना बहुत जरूरी है क्योंकि तभी आप दूसरो के दर्द, पीड़ा को समझ सकते हो क्योंकि राजनीति दुसरे के दर्द को साझा करने का माध्यम है, दुसरे की पीड़ा को दूर करने का माध्यम है।