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पुलिस के इस रुख से कांप रहा लोगों का हांड़, टूट रही हड्डियां

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  • फाईज़ अली सैफी, ई-रेडियो इंडिया

मुरादनगर। कोरोना वायरस ने देश की आबादी को गहरा झटका दिया है… एक ओर दैनिक मजदूरों की कमर टूट गई तो दूसरी तरफ सरकारी मशीनरी भी हांफते नजर आ रही है। ताजा मामला मुरादनगर गाजियाबाद का है जहां पर पुलिसकर्मियों की बर्बरता का शिकार अब यहां की जनता हो रही है….

मजबूरी में घरों से बाहर निकलने वाले ये लोगों गलती से पुलिस के हत्थे चढ़ गये…. बस फिर क्या था पुलिस ने किसी के हाथ तोड़ दिये तो किसी के पैर….. दूधिया, किसान, बुजुर्ग कोई इनके निशाने से नहीं चूक रहा है। पुलिस की कार्यप्रणाली ऐसा लगता है कि यहां पुलिसकर्मी डंडा फटकारने का रिकॉर्ड कायम कर रहे हैं और कोविड-19 से ज्यादा तो यहां पुलिसकर्मी लोगों के लिए घातक साबित हो रहे हैं। 

इसमें कोई संदेह नहीं कि पुलिसकर्मी इस संवेदनशील समय में जनता के लिये सेवक बनकर कोरोना से दो-दो हाथ करते नजर आये लेकिन असामाजिक तत्वों पर कड़ा रुख अख्तियार करने के बजाय पुलिसकर्मियों का यह रवैय्या समाज के लिये नुकसानदायब साबित करने के लिये काफी है… 

गौरतलब यह है कि योगी की पुलिस का एक ऐसे खौफनाक चेहरा सामने आ रहा हैं, जिसमें एक बुजुर्ग को मुरादनगर कस्बा रोड पर के ओलंपिक के पास इतनी बेरहमी से लाठी-डंडों से पीटा गया है कि बुजुर्ग की हाथ की हड्डी तक भी चूर-चूर होकर टूट गई हैं, जोकि सुबह-सुबह अपने परिवार का जरूरत का सामान लेने के लिए मुरादनगर के कस्बा रोड पर आया था। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक पीटने वाले बुजुर्ग ही मात्र अपने परिवार का सहारा बताया जा रहा हैं।

वहीं, दूसरा मामला भी कस्बा रोड से ही जुड़ा हुआ है, जहां एक फल/सब्जी विक्रेता सुबह-सुबह अपने ठेले पर लहसुन और प्याज बेच रहा था, उसे भी पुलिस ने लाठी-डंडों से दबाकर पीटा है, जिसमें उस सब्जी विक्रेता का जेब में रखा मोबाइल फोन तक भी कई जगह से टूट गया है। वहीं, तीसरा मामला मोहल्ला कच्ची सराय से जुड़ा है, जहां मजदूरी करने वाले दो बुजुर्ग खेत से गेहूं काटकर वापस शाम को अपने घर लौट रहे थे, जिनमें से पुलिस ने एक बुजुर्ग को ऐसा डंडा मारा है कि उसका भी हाथ टूट गया है। वहीं, चौथा मामला चुंगी नंबर- 3 के रावली रोड से जुड़ा हुआ है, जहां पुलिसकर्मी आने-जाने वाले जरूरतमंद लोगों पर आए-दिन ताबड़तोड़ डंडे बरसाते रहते हैं। इतना ही नहीं, पुलिसकर्मी दूधिया तक को भी नहीं बक्श रहे हैं और वह उनपर भी ताबड़तोड़ डंडे बजाने से नहीं चुक रहे हैं।

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पत्रकारिता में बेदाग 11 वर्षों का सफर करने वाले युवा पत्रकार त्रिनाथ मिश्र ई-रेडियो इंडिया के एडिटर हैं। उन्होंने समाज व शासन-प्रशासन के बीच मधुर संबंध स्थापित करने व मजबूती के साथ आवाज बुलंद करने के लिये ई-रेडियो इंडिया का गठन किया है।

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