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75 दिन बाद शव को नसीब हुई चिता

Dead Body

कोरोना से ढाई माह पहले दम तोड़ चुके युवक का शुक्रवार को अंतिम संस्कार हो सका। मामले में एक बार फिर मेडिकल कालेज की बड़ी लापरवाही सामने आ रही है। मृतक के स्वजन ने मेडिकल कालेज स्टाफ पर रुपये मांगने और शव का अंतिम संस्कार करने की झूठी सूचना देने के आरोप लगाए हैं।

उधर, पुलिस ने मृतक के स्वजन को बस्ती से बुलाकर और सामाजिक संस्था की मदद से हापुड़ में अंतिम संस्कार कराया। जनपद बस्ती के नाथपुर निवासी नरेश कुमार हापुड़ की न्यू पन्नापुरी कालोनी में स्वजन के साथ रहते थे। वह ठेला लगाते थे। अप्रैल में नरेश की तबीयत खराब हुई तो उन्हें हापुड़ के अस्पताल में भर्ती कराया।

वहां से रेफर होने पर स्वजन ने 15 अप्रैल को लाला लाजपत राय मेडिकल कालेज मेरठ में भर्ती करा दिया। 16 अप्रैल को नरेश की मौत हो गई। मृतक की पत्नी गुड़िया ने आरोप लगाया कि मेरठ में 15 अप्रैल को नरेश स्वस्थ थे लेकिन 16 अप्रैल को अस्पताल से उनकी मौत की सूचना मिली।

वह मेडिकल कालेज पहुंचे लेकिन शव देने के एवज में स्टाफ ने 15 हजार रुपये मांगे। स्वजन रुपयों के इंतजाम में जुटे लेकिन इस बीच रुपये मांगने वालों ने झूठी सूचना दी कि नरेश का अंतिम संस्कार कर दिया गया है। उधर, हताश स्वजन ने बस्ती जाकर नरेश का पुतला तैयार कर उसका अंतिम संस्कार किया।

मौत होने के बाद शव पहले मेडिकल कालेज की मर्चरी में रखा रहा। सूचना मिलने पर शव को हापुड़ सीएमओ ने मेडिकल कालेज से मंगाकर पिलखुवा स्थिति जीएस मेडिकल कालेज की मर्चरी में रखवा दिया। पुलिस की मदद से मृतक के स्वजन की तलाश शुरू कराई।

शुक्रवार को नीर फाउंडेशन संस्था की मदद से शव का अंतिम संस्कार करा दिया गया। हापुड़ के जिलाधिकारी अनुज कुमार सिंह ने बताया कि मृतक के स्वजन की हर संभव मदद कराई जा रही है। नरेश का शव न देने के मामले में और रुपये मांगने के आरोप के संबंध में जिलाधिकारी मेरठ को पत्र भेजकर मामले की जानकारी देंगे।

ताकि मामले की जांच हो सके। मेडिकल कालेज में 16 अप्रैल को मौत हुई। परिजनों से फोन पर बात की लेकिन वे शव लेने नहीं आए। 16 अप्रैल को सीएमओ हापुड़ से बात कर उन्हें शव सुपुर्द कर दिया था। मेडिकल कालेज स्टाफ पर 15 हजार रुपये मांगने का आरोप बेबुनियाद है।

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