जिला कार्यक्रम समन्वयक सत्येंद्र कुमार
Aligarh: जनपद अलीगढ़ में क्षय रोग उन्मूलन के लिए टीवी रोगियों के उपचार के साथ-साथ उन्हें इसके प्रति जागरूक भी किया जाएगा । जिला टीबी विभाग अब टीबी के रोगियों व उनके परिजनों को टीबी के बारे में जानकारी देगा। उनके साथ मीटिंग करके उन्हें बताया जाएगा कि टीबी कैसे कैसे फैलती है और कैसे इसका इलाज किया जाता है । इसको रोकने के लिए क्या कदम उठाए जाएं उन्हें ये भी बताया जाएगा ज़ी टीबी के इलाज को बीच में नहीं छोड़ना है।
दस्तक अभियान के दौरान भी टीबी के मरीजों का चिन्हांकन भी एएनम आंगनबाड़ी व आशा द्वारा संचारी रोगों के दौरान ऐसे सभी संदिग्ध टीबी मरीजों को बलगम के लिए डिब्बी दी जाएगी और इसकी सूचना संबंधित एसटीएस, एसटीएलस व टीबीएचवी द्वारा उक्त एएनएम, आंगनवाड़ी में आशा वर्कर लेकर उनके घर से वह बलगम डिबिया एकत्रित करके निकटतम बलगम जांच केंद्र तक पहुंचाई जाएगी और वहां से जिसे टीबी निकलेगी उसका तत्काल इलाज शुरू किया जाएगा ।
जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ अनुपम भास्कर ने बताया कि क्षय रोग एक संक्रामक बीमारी है, जो अत्यंत सूक्ष्म जीवाणु माइक्रोबैक्टेरियम ट्यूबर कुलासिस के संक्रमण से होती है । क्षय रोग मुख्य रूप से फेफड़ों पर प्रभाव डालते हैं । टीबी के जीवाणु शरीर के अन्य अंगों को भी प्रभावित करते हैं । टीबी का कीटाणु टीबी के रोगी के खासने छीखने और थूकन के दौरान बलगम के छोटे-छोटे कणों के माध्यम से ही फैलता है। बलगम के यह सूक्ष्म कण हवा के माध्यम से एक मनुष्य की से दूसरे मनुष्य में फैलते हैं ।
उन्होंने बताया कि टीबी वास्तव में एक संक्रामक संक्रामक रोग है इसे अमूमन टीबी. तपेदिक, ट्यूबरकुलोसिस, राजयक्षमा, दंडाणु आदि भी कहा जाता है । यह रोग उन लोगों को अधिक प्रभावित करता है जिन की रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती है । अगर समय रहते इसका सही बा पूरा इलाज ना किया जाए तो इससे व्यक्ति को अन्य बीमारियां होने का खतरा भी बढ़ जाता है ।
दो सप्ताह या उससे अधिक समय से खांसी, दो सप्ताह या अधिक समय से बुखार, वजन में कमी आना, भूख कम लगना, बलगम से खून आना, छाती के एक्सरे में असमानवता होना, टीम घर-घर जाकर ऐसे लोगों को चिन्हित करेगी ऐसे व्यक्ति का नाम, उम्र, लिंग, मोबाइल नंबर एवं एड्रेस व स्वास्थ्य केंद्र पर निर्धारित प्रारूप में भरकर उपलब्ध कराएगी ।
क्षय रोग एक संक्रामक रोग है जो पहले से ही ग्रस्त रोगी के संपर्क में आने पर, रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होने, बैक्टीरिया, खानपान में कोताही बरतने के कारण हो सकता है। छय रोग फेफड़ों के साथ-साथ शरीर के अन्य हिस्सों को भी प्रभावित करता है आमतौर पर छह रोग दो प्रकार का होता है- पल्मोनरी(फेफड़ों वाली टीबी) वन एक्स्ट्रा पल्मोनरी(फेफड़ों के अलावा टीबी कहीं भी हो सकती है सिवाय नाखून और बालों को छोड़कर)
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