तहव्वुर राणा के प्रत्यर्पण को मंजूरी
अमेरिकी उच्चतम न्यायालय ने मुंबईं हमलों के दोषी तहव्वुर राणा के भारत प्रत्यर्पण को मंजूरी देते हुए इस कदम के खिलाफ उसकी पुनरीक्षण याचिका खारिज कर दिया है।
इसका परिणाम यह होगा कि एक तरफ वह आतंकी मुंबईं हमले के षड्यंत्रकारियों के बारे में तो बताएगा ही दूसरी तरफ भारत और अमेरिका के बीच संबंधों में भरोसा भी बढ़ेगा। यह सच है कि मुंबईं हमले के आरोपियों को दंड देना तो पाकिस्तान की जिम्मेदारी है लेकिन वह कहता है कि जो लोग उसकी धरती पर उसके देश के खिलाफ कोईं साजिश नहीं करते, उन्हें वह आतंकवादी तो दूर अपराधी भी नहीं मानता। पाकिस्तान के इसी आतंक प्रेम को देखते हुए भारत ने अब उसे डोजियर देना ही बंद कर दिया। मुंबईं हमले में इजरायल और अमेरिकी नागरिक भी मारे गए थे इसलिए उस घटना का असर सभी संबंधित देशों की एजेंसियों और न्यायिक संस्थानों पर पड़ना स्वाभाविक है।
अमेरिकी जांच एजेंसियों ने बड़ी ही सावधानी और कुशलतापूर्वक राणा के खिलाफ मामला बनाया था लेकिन इस बात को कभी भी नहीं भुलाया जा सकता कि तहव्वुर राणा का फैसला भी तभी हुआ जब अमेरिका में सरकार बदली। संभव है कि पूर्ववर्ती सरकार ने न्यायिक कार्यंवाही को प्रभावित न किया हो किन्तु इतना तो सच है कि वह अपने एटार्नी के माध्यम से अपने सरकार की आशय को स्पष्ट कर सकता है।
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