हरिशंकर व्यास
अगर राजधानी दिल्ली और एनसीआर के इलाकों की बात करें तो शायद ही कोई निर्माण होगा, जहां कुछ न कुछ अवैध नहीं बना होगा। जिस उत्तरी दिल्ली नगर निगम की टीम जहांगीरपुरी में बुलडोजर लेकर गई थी उसके पास अवैध निर्माण की चार हजार शिकायतें लंबित हैं। लेकिन उसने कभी कार्रवाई करने की जरूरत नहीं समझी। दिल्ली से सटे गुरूग्राम में मेदांता मेडिसिटी प्रोजेक्ट को लेकर कितने बरसों से शिकायत लंबित है।
इसके मालिकों के ऊपर धनशोधन के आरोप लगे और यह आरोप भी लगा कि जिस मकसद से किसानों की जमीन ली गई उसके लिए जमीन का इस्तेमाल नहीं किया गया। लेकिन किसी सरकार ने उसकी ओर आंख उठा देखने की जरूरत नहीं समझी। हरिशंकर परसाई ने लिखा था कि कानून को लोग अंधा कहते हैं लेकिन यह असल में काना होता है। उसे एक आंख से एक तरफ की चीजें दिखती हैं और दूसरी तरफ की नहीं दिखती हैं। भारत में भी शासन एक आंख वाला हो गया है।
असल में लगातार बन रहे इस किस्म के नैरेटिव से भारत एक हिंसक और बीमार समाज में तब्दील होता जा रहा है। धार्मिक उत्सवों में हथियार लेकर चलने को न्यायसंगत ठहराया जा रहा है। अल्पसंख्यकों को पूजा स्थल पर जाकर हंगामा करना और अपने धर्म का झंडा लहरा कर अपनी श्रेष्ठता साबित करने फैशन बन गया है। और अगर इसका विरोध हो तो सरकार बुलडोजर लेकर पहुंच जाएगी। यह पहली बार हो रहा है कि देश के लोग गरीब का घर उजाड़े जाने का जश्न मना रहे हैं। उस पर खुश हो रहे हैं। इससे पहले अमीरों या बड़े लोगों के ऊपर कार्रवाई होती थी तो लोग खुश होते थे।
अब गरीब पर बुलडोजर चलता है तो खुशी मनाई जाती है। रेहड़ी पटरी वालों के उजाड़े जाने का जश्न मनाया जा रहा है। दिल्ली में 40 डिग्री से ज्यादा तापमान और रमजान के महीने में एक पूरी बस्ती उजाडऩे के लिए बुलडोजर चले तो वातानुकूलित घरों और टेलीविजन चैनलों के स्टूडियो में बैठे लोगों किलकारी लगाते हुए इसका स्वागत किया, जश्न मनाया। सोचें. कैसा बीमार समाज बन रहा है भारत! किसानों को गाड़ी से कुचल दिया, पांच लोग मर गए फिर भी स्टूडियो में बैठे लोग उसे न्यायसंगत बता रहे थे। पहले गरीब या कमजोर को मारने से लोग बचते थे, लेकिन अब उलटा हो गया है। सिर्फ इसलिए कि सरकार कार्रवाई कर रही है उसका समर्थन करना है।