चुनाव से पहले नेताओं के लिए बुरी खबर || उत्तर प्रदेश में दागी हैं 35 फीसदी विधायक
संवाददाता, लखनऊ। यूपी विधानसभा चुनाव की तैयारी कर रहे सियासी दलों के लिए एक बुरी खबर है… चुनावों से पहले आई रिपोर्ट से पता चला है कि यूपी के माननीयों का हाल बेहाल है… प्रदेश सरकार को कटघरे में खड़ा करती यह रिपोर्ट बताती है कि भले ही सत्ताधारी दल अपराधियों से दूरी बनाने की बात करता है लेकिन उसके दामन में भी दाग हैं…
उत्तर प्रदेश इलेक्शन वॉच और असोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म यानी ADR की ताजा रिपोर्ट ने के अनुसार यूपी विधानसभा में मौजूदा समय के 35 फीसदी विधायकों पर आपराधिक मामले दर्ज है…
आपको बता दें कि 403 विधायकों वाली देश की सबसे बड़ी उत्तर प्रदेश विधानसभा के मौजूदा 396 विधायकों की एक विस्तृत रिपोर्ट जारी की है। रिपोर्ट के मुताबिक, 396 विधायकों में से 140 विधायकों के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज है जिसमें 27 फीसदी यानी 106 विधायकों पर गंभीर धाराओं में केस दर्ज हैं। इसमें 7 ऐसे विधायक हैं, जिनके खिलाफ हत्या यानी IPC की धारा 302 में मुकदमा दर्ज हैं। वहीं 2 विधायक पर महिला अपराध और 36 विधायक पर हत्या के प्रयास में केस दर्ज है।
भाजपा के लिए देश में भी बुरी खबर
एडीआर के ताजा आंकड़े बताते हैं कि, 304 विधायकों वाली भारतीय जनता पार्टी के सबसे ज्यादा 106 यानी कि 35 फीसदी विधायकों पर आपराधिक मामले है, उसमें से 77 विधायकों पर गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज है।
एडीआर की रिपोर्ट के अनुसार 49 विधायकों वाली समाजवादी पार्टी के 18 विधायकों पर आपराधिक मामले दर्ज हैं जिसमें से 15 विधायकों पर IPC की गंभीर धाराओं में केस दर्ज है। और असपा के कुल 16 विधायकों में 5 विधायक पर आपराधिक केस दर्ज है। 7 विधायकों वाली कांग्रेस के एक विधायक पर गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज है।
आपको बता दें कि अपना दल एस के कुल 9 विधायक है जिसमें से 4 के खिलाफ आपराधिक मामले हैं लेकिन 3 विधायक पर गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज है। 4 विधायकों वाली सुभासपा के दो विधायकों पर IPC की गंभीर धाराओं में केस दर्ज है। आईएनडी पार्टी के तीनों विधायक और निर्बल इंडियन शोषित हमारा आम दल के एक विधायक पर गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज है।
देश में सबसे बड़ा प्रदेश होने के नाते उत्तर प्रदेश में 403 विधायक हैं, जिसमें सात सीटें रिक्त है इस वजह से एडीआर ने प्रदेश के 396 मौजूदा विधायकों के आपराधिक, वित्तीय, शैक्षणिक और अन्य विवरण के विश्लेषण के आधार पर अपनी रिपोर्ट तैयार की है। यह विश्लेषण 2017 के विधानसभा चुनावों और उसके बाद हुए उपचुनाव में उम्मीदवारों द्वारा दिए गए शपथपत्रों पर आधारित है।
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