Bijethua Mahaviran Temple Sultanpur: एक दर्शन से चिंताएं होंगी छूमंतर

Bijethua Mahaviran Temple Sultanpur: एक दर्शन से चिंताएं होंगी छूमंतर

Bijethua Mahaviran Temple Sultanpur: उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर जनपद में श्रीरामभक्त हनुमान जी का मंदिर है जहां पर रोजाना भक्तों का ताता लगा रहता है और मान्यता है कि यहां पर आने वाले भक्तों की मनोकामना पूर्ण होती है।

कथाओं के अनुसार संजीवनी बूटी लाने के दौरान हनुमान जी ने यहां पर मायाबी राक्षस कालनेमि का वध किया था। मंगलवार और शनिवार को लोग यहां विशेष रूप से मन्नतें मांगने आते हैं और हनुमान मंदिर की यात्रा के बाद यहां का प्रसाद भी अपने संग ले जाते हैं।

मकरीकुंड में नहाने से दूर होते हैं कष्ट

कथाओं के अनुसार हनुमान जी ने मायाबी कालनेमि का वध करने के पश्चात जिस कुड में स्नान किया उथा वह आज भी यहां मौजूद है। इस कुंड का नाम है मकरी-कुंड। यहां स्नान करने मात्र से तमाम क्लेश दूर हो जाते हैं और भक्तों को बाधाओं से मुक्ति मिलती है।

जमीन में धंसा मूर्ति का एक पैर

कहते हैं कि यहां मौजूद हनुमान जी की मूर्ति का एक पैर जमीन में सैकड़ों फीट नीचे तक गड़ा है जिसकी वजह से मूर्ति थोड़ी तिरछी भी है। पुरातत्वविदों ने भी पुराणों में जिक्र किए गए इस स्थान की पूरी प्रमाणिकता दी है।

पुरातत्व विभाग ने मूर्ति की प्राचीनता जांचने और पुजारियों ने मूर्ति को सीधा करने के लिए उसकी खुदाई शुरू कराई। लेकिन 100 फिट से अधिक खुदाई कराने के बाद भी मूर्ति के पैर का दूसरा सिरा नही मिला।

कहां है स्थित Bijethua Mahaviran Temple Sultanpur

Bijethua Mahaviran Temple Sultanpur बहुत प्रसिद्ध मंदिर है।यह कादीपुर तहसील में जिला मुख्यालय सुल्तानपुर से लगभग 50 किमी दूर स्थित है और यहां रोडवेज बस और निजी टैक्सी द्वारा जाया जा सकता है।

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क्या है पूरी कहानी

जब रावण के बाण से लक्ष्मण मूर्छित हो गए तब उनका प्राण बचाने के लिए वैद्यराज ने हनुमान को संजीवनी बूटी लाने के लिए हिमालय भेजा। रास्ते में ही हनुमान जी को मारने के लिए रावण ने कालनेमि नामक एक मायावी राक्षस को भेजा। कालनेमि साधु का रुप धारण करके राम राम का जाप करने लगा और हनुमान को अपने आश्रम में चलकर विश्राम करने के लिए बोला।

मकरी कुंड, जहां पर हनुमान जी ने कालनेमि का वध करने के बाद स्नान किया था।

हनुमान उसकी बातों में आकर उसके साथ आश्रम चल दिये। तब कालनेमि ने हनुमान जी से स्नान करके भोजन करने का आग्रह किया। हनुमान जी जैसे ही नहाने के लिए तालाब में उतरे, कालनेमि मगरमच्छ का रुप धारण करके उन्हें खाने के लिए पहुंचा। तब हनुमान जी ने उसी तालाब में कालनेमि का वध कर दिया। वह तालाब आज भी स्थित है जिसे मकरी कुण्ड के नाम से जाना जाता है। लोग भगवान हनुमान का दर्शन करने से पहले इस कुण्ड में स्नान करते हैं।

Bijethua Mahaviran Temple Sultanpur कैसे पहुंचे

हवाईजहाज से आना चाहते हैं तो ऐसे पहुंचे
Bijethua Mahaviran Temple Sultanpur से नजदीकी हवाई अड्डा इलाहाबाद है जो सुल्तानपुर से लगभग दो घंटे की दूरी पर स्थित है। यह एयर इंडिया के माध्यम से नई दिल्ली से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है। दूसरा निकटतम अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा चौधरी चरण सिंह हवाई अड्डा लखनऊ है, जो सुल्तानपुर से लगभग 148 किलोमीटर दूर है। यहां से विभिन्न राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय गंतव्यों के लिए लगातार उड़ानें भरी जाती हैं।

ट्रेन से आने वालों के लिए
Bijethua Mahaviran Temple Sultanpur पहुंचने के लिए ट्रेन से सुल्तानपुर रेलवे स्टेशन पर उतरें, यह स्टेशन विभिन्न जगहों से भलीभांति जुड़ा है। यहां लखनऊ, कानपुर, दिल्ली, जयपुर और भोपाल जैसे अन्य राज्यों से ट्रेनों का संचालन सुचारु रूप से होता है।

सड़क मार्ग से ऐसे आएं
सुल्तानपुर पहुंचने के कई सड़क रास्ते हैं। सुल्तानपुर फैजाबाद से 60 किलोमीटर, इलाहाबाद से 103 किलोमीटर, लखनऊ से 135 किलोमीटर, वाराणसी से 162 किलोमीटर, कानपुर से 231 किलोमीटर, दिल्ली से 630 किलोमीटर, भोपाल से 662 किलोमीटर, उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम (यूपीएसआरटीसी) के माध्यम से जयपुर से 743 किलोमीटर दूर है।

यहां आने के लिए सबसे नजदीकी बाजार है सूरापुर यानी सबसे पहले सुल्तानपुर फिर कादीपुर होते हुए सूरापुर पहुंचे यहां से विजेथुआ के लिए लगातार प्राइवेट वाहनों का आवागमन रहता है।

यहां आने पर बजरंग बांण का पाठ करने से समूल नकारात्मक ऊर्जा खत्म हो जाती है, बजरंग बांण का पूरा पाठ यहां दिया जा रहा है-

दोहा :

निश्चय प्रेम प्रतीति ते, बिनय करैं सनमान।
तेहि के कारज सकल शुभ, सिद्ध करैं हनुमान॥

चौपाई :

जय हनुमंत संत हितकारी। सुन लीजै प्रभु अरज हमारी॥
जन के काज बिलंब न कीजै। आतुर दौरि महा सुख दीजै॥

जैसे कूदि सिंधु महिपारा। सुरसा बदन पैठि बिस्तारा॥
आगे जाय लंकिनी रोका। मारेहु लात गई सुरलोका॥

जाय बिभीषन को सुख दीन्हा। सीता निरखि परमपद लीन्हा॥
बाग उजारि सिंधु महँ बोरा। अति आतुर जमकातर तोरा॥

अक्षय कुमार मारि संहारा। लूम लपेटि लंक को जारा॥
लाह समान लंक जरि गई। जय जय धुनि सुरपुर नभ भई॥

अब बिलंब केहि कारन स्वामी। कृपा करहु उर अंतरयामी॥
जय जय लखन प्रान के दाता। आतुर ह्वै दुख करहु निपाता॥

जै हनुमान जयति बल-सागर। सुर-समूह-समरथ भट-नागर॥
ॐ हनु हनु हनु हनुमंत हठीले। बैरिहि मारु बज्र की कीले॥

ॐ ह्नीं ह्नीं ह्नीं हनुमंत कपीसा। ॐ हुं हुं हुं हनु अरि उर सीसा॥
जय अंजनि कुमार बलवंता। शंकरसुवन बीर हनुमंता॥

बदन कराल काल-कुल-घालक। राम सहाय सदा प्रतिपालक॥
भूत, प्रेत, पिसाच निसाचर। अगिन बेताल काल मारी मर॥

इन्हें मारु, तोहि सपथ राम की। राखु नाथ मरजाद नाम की॥
सत्य होहु हरि सपथ पाइ कै। राम दूत धरु मारु धाइ कै॥

जय जय जय हनुमंत अगाधा। दुख पावत जन केहि अपराधा॥
पूजा जप तप नेम अचारा। नहिं जानत कछु दास तुम्हारा॥

बन उपबन मग गिरि गृह माहीं। तुम्हरे बल हौं डरपत नाहीं॥
जनकसुता हरि दास कहावौ। ताकी सपथ बिलंब न लावौ॥

जै जै जै धुनि होत अकासा। सुमिरत होय दुसह दुख नासा॥
चरन पकरि, कर जोरि मनावौं। यहि औसर अब केहि गोहरावौं॥

उठु, उठु, चलु, तोहि राम दुहाई। पायँ परौं, कर जोरि मनाई॥
ॐ चं चं चं चं चपल चलंता। ॐ हनु हनु हनु हनु हनुमंता॥

ॐ हं हं हाँक देत कपि चंचल। ॐ सं सं सहमि पराने खल-दल॥
अपने जन को तुरत उबारौ। सुमिरत होय आनंद हमारौ॥

यह बजरंग-बाण जेहि मारै। ताहि कहौ फिरि कवन उबारै॥
पाठ करै बजरंग-बाण की। हनुमत रक्षा करै प्रान की॥

यह बजरंग बाण जो जापैं। तासों भूत-प्रेत सब कापैं॥
धूप देय जो जपै हमेसा। ताके तन नहिं रहै कलेसा॥

दोहा :

उर प्रतीति दृढ़, सरन ह्वै, पाठ करै धरि ध्यान।
बाधा सब हर, करैं सब काम सफल हनुमान॥

श्री हनुमान चालीसा का पाठ

Shri Guru Charan Sarooja-raj

Nija manu Mukura Sudhaari

Baranau Rahubhara Bimala Yashu

Jo Dayaka Phala Chari

Budhee-Heen Thanu Jannikay

Sumirow Pavana Kumara

Bala-Budhee Vidya Dehoo Mohee

Harahu Kalesha Vikaara…

Jai Hanuman gyan gun sagar

Jai Kapis tihun lok ujagar

Ram doot atulit bal dhama

Anjaani-putra Pavan sut nama…

Mahabir Bikram Bajrang

Kumati nivar sumati Ke sangi

Kanchan varan viraj subesa

Kanan Kundal Kunchit Kesh

Hath Vajra Aur Dhuvaje Viraj

Kaandhe moonj janehu sajai

Sankar suvan kesri Nandan

Tej prataap maha jag vandan…

Vidyavaan guni ati chatur

Ram kaj karibe ko aatur

Prabu charitra sunibe-ko rasiya

Ram Lakhan Sita man Basiya

Sukshma roop dhari Siyahi dikhava

Vikat roop dhari lank jarava

Bhima roop dhari asur sanghare

Ramachandra ke kaj sanvare…

Laye Sanjivan Lakhan Jiyaye

Shri Raghuvir Harashi ur laye

Raghupati Kinhi bahut badai

Tum mam priye Bharat-hi-sam bhai

Sahas badan tumharo yash gaave

Asa-kahi Shripati kanth lagaave

Sankadhik Brahmaadi Muneesa

Narad-Sarad sahit Aheesa…

Yam Kuber Digpaal Jahan te

Kavi kovid kahi sake kahan te

Tum upkar Sugreevahin keenha

Ram milaye rajpad deenha

Tumharo mantra Vibheeshan maana

Lankeshwar Bhaye Sub jag jana

Yug sahastra jojan par Bhanu

Leelyo tahi madhur phal janu…

Prabhu mudrika meli mukh mahee

Jaladhi langhi gaye achraj nahee

Durgaam kaj jagath ke jete

Sugam anugraha tumhre tete

Ram dwaare tum rakhvare

Hoat na agya binu paisare

Sub sukh lahae tumhari sar na

Tum rakshak kahu ko dar naa…

Aapan tej samharo aapai

Teenhon lok hank te kanpai

Bhoot pisaach Nikat nahin aavai

Mahavir jab naam sunavae

Nase rog harae sab peera

Japat nirantar Hanumant beera

Sankat se Hanuman chudavae

Man Karam Vachan dyan jo lavai…

Sab par Ram tapasvee raja

Tin ke kaj sakal Tum saja

Aur manorath jo koi lavai

Sohi amit jeevan phal pavai

Charon Yug partap tumhara

Hai persidh jagat ujiyara

Sadhu Sant ke tum Rakhware

Asur nikandan Ram dulhare…

Ashta-sidhi nav nidhi ke dhata

As-var deen Janki mata

Ram rasayan tumhare pasa

Sada raho Raghupati ke dasa

Tumhare bhajan Ram ko pavai

Janam-janam ke dukh bisraavai

Anth-kaal Raghuvir pur jayee

Jahan janam Hari-Bakht Kahayee…

Aur Devta Chit na dharehi

Hanumanth se hi sarve sukh karehi

Sankat kate-mite sab peera

Jo sumirai Hanumat Balbeera

Jai Jai Jai Hanuman Gosahin

Kripa Karahu Gurudev ki nyahin

Jo sat bar path kare koyi

Chutehi bandhi maha sukh hoyi…

Jo yah padhe Hanuman Chalisa

Hoye siddhi sakhi Gaureesa

Tulsidas sada hari chera

Keejai Nath Hridaye mein dera…

Keejai Nath Hridaye mein dera…

Pavan Tanay Sankat Harana,

Mangala Murati Roop…

Ram Lakhana Sita Sahita

Hriday Basahu Soor Bhoop.

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