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हस्तिनापुर में अब हड्डी के तीर और खपरैल मिले, विशेषज्ञ सैंपल लेकर करेंगे जांच

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मेरठ, संवाददाता। हस्तिनापुर में होली के कारण तीन दिन से बंद पड़ा उत्खनन का कार्य शनिवार को प्रारंभ हुआ। इसमें दूसरी ट्रेंच लगाकर भी कार्य शुरू किया गया। अन्य ब्लाकों में भी उत्खनन का कार्य जारी रहा।
पांडव टीले पर चल रहा है उत्खनन
हस्तिनापुर के पांडव टीले पर चल रहे उत्खनन में शनिवार को काफी गहराई तक कार्य किया गया। एक ब्लाक में टेराकोटा रिंगवेल को अंत तक निखारा जा चुका है। इसमें अंतिम सत्रह लेयर पाई गई है। अधीक्षण पुरातत्वविद डा. डीबी गणनायक ने बताया कि संभवत: ये पानी पीने के लिए कुएं बनाए गए होंगे। वहीं इसी ब्लाक मे एक दूसरा रिंगवेल भी है, जिसे निखारने का कार्य भी कराया जाएगा।
आसपास रहा होगा कोई मंदिर
उन्होंने बताया कि शनिवार को खपरैल, हड्डी के तीर आदि अवशेष प्राप्त हुए हैं। वहीं सिल बट्टा, चाकू पर धार लगाने वाला पत्थर, पत्थर का इमामदस्ता आदि प्राप्त हुए है। जिन्हें सुरक्षित कर लिया गया है तथा विशेषज्ञों की जांच के बाद ही बताया जाएगा कि ये किस काल के हैं। उन्होंने बताया कि बाढ़ के कारण यह क्षेत्र काफी नुकसान झेल चुका है। एक ब्लाक में लगभग ढाई मीटर की गहराई के पश्चात जिस तरह की मिट्टी आ रही है उससे यहां बाढ़ के संकेत दिखाई देते हैं। डा. गणनायक का मानना है कि यहां आसपास कोई मंदिर अवश्य रहा होगा। इसके लिए नई ट्रेंच लगाकर कार्य प्रारंभ किया गया है।
मिल रही हैं काफी हड्डियां
उत्खनन के दौरान एक ब्लाक मे काफी हड्डियां प्राप्त हो रही हैं, जिसमें आज साफ सफाई का कार्य किया गया। वही दो दिन बाद विशेषज्ञ यहां पहुंचेंगे और हड्डियों का सैंपल लेकर जांच करेंगे। उसके बाद ही पता चल सकेगा कि कौन सी हड्डी किसकी है।
बता दें कि हस्तिनापुर के पांडव टीला उल्टा खेड़ा पर मेरठ सर्किल के पुरातत्व विभाग के उच्च अधिकारियों के नेतृत्व में चल रहे खुदाई कार्य एक बार फिर शुरू हो गया है। उत्खनन में पुरातत्व विभाग की टीम को अब तक मिट्टी के प्राचीन चित्रित मृदभांड, प्राचीन दीवारें, टेराकोटा के ढक्कन के अवशेष, वहीं भारी मात्रा में मिट्टी के बर्तनों के अवशेष प्राप्त हुए हैं। इसके साथ ही एक ट्रेंच में दो टेराकोटा के रिंग वेल निकले हैं, जिससे एएसआई की टीम बेहद उत्साहित है। पहले रिंग वेल की खुदाई पुरातत्व विभाग की टीम ने करीब चार फीट तक कर दी है। रिंग वेल के पास करीब 6 फीट की दूरी पर दूसरा प्राचीन रिंग वेल प्राप्त हुआ है. मिले सभी अवशेष गुप्तकालीन माने जा रहे हैं। सभी को पुरातत्व विभाग की लैब में जांच के लिए भेजा जाएगा, जिन्हें विभाग की टीम द्वारा सुरक्षित रखा गया है।
माना जा रहा है कि जैसे-जैसे उत्खनन कार्य और बढ़ेगा, वैसे वैसे कई रोचक तथ्य विभाग की टीम को प्राप्त होंगे। एक ही ट्रेंच से एक ही स्थान पर दो टेराकोटा के प्राचीन रिंग वेल मिलने से माना जा रहा है कि कई प्राचीन अवशेष विभाग की टीम को जल्द ही प्राप्त होंगे। पांडव टीले पर उत्खनन में अभी तक ऐतिहासिक काल, मध्यकाल, राजपूतकाल और गुप्तकाल के अवशेष खुदाई के दौरान प्राप्त हो चुके हैं। जैसे-जैसे खुदाई का कार्य नीचे की ओर बढ़ रहा है, वैसे-वैसे प्राचीन अवशेष काल खंडों के अनुसार पुरातत्व विभाग की टीम को प्राप्त हो रहे है। जल्द ही प्राचीन ऐतिहासिक साक्ष्य विभाग की टीम को मिलने की उम्मीद है।
गौरतलब है कि पांडव टीले पर 1952 में भी सरकार द्वारा उत्खनन कार्य कराया गया था, जहां पर कई प्राचीन अवशेष प्राप्त हुए थे परंतु किन्हीं कारणों से उत्खनन कार्य रोक दिया गया था। अब 70 वर्ष बाद एक बार फिर सरकार ने पांडव टीले पर उत्खनन कार्य शुरू कराया है, जिसमें कई प्राचीन अवशेष अभी तक पुरातत्व विभाग की टीम को मिल चुके हैं और बड़े साक्ष्य मिलने की संभावना जताई जा रही है।

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Santram Pandey

पत्रकारिता के 40 बसंत पार कर चुके संतराम पांडे, पूर्णकालिक पत्रकार हैं और खाटी पत्रकारिता के जीवंत उदाहरण स्वरूप अंकुरित प्रतिभाओं को सहयोग प्रदान कर रहे हैं। वर्तमान में ई-रेडियो इंडिया के वरिष्ठ संपादक हैं।

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