First phase election in up: किसान ट्रैक्टर के बाद ब्राह्मणों का आक्रोश भारतीय जनता पार्टी के राह में रोड़ा बनकर खड़ा होता हुआ दिखाई दे रहा है। पूर्व केंद्रीय मंत्री संजीव बालियान के ब्राह्मणों के खिलाफ नारे लगवाने की वीडियो वायरल होने के बाद एकजुट हुआ ब्राह्मण समाज।
सियासत का माहौल इस वक्त बिल्कुल गर्म है और ऐसे में तमाम पार्टी के लोगों से अलग, सामाजिक काम करने वाले लोग भी इस मुहिम को धारदार बनाने में लगे हुए हैं। खासकर पश्चिम उत्तर प्रदेश की बात करें तो यहां पर भारतीय जनता पार्टी के खिलाफ जो आक्रोश उठ रहा है वह थमने का नाम नहीं ले रहा है। हाल ही में मुजफ्फरनगर के सांसद संजीव बालियान के द्वारा ब्राह्मणों के विरोध में नारे लगवाने की वीडियो वायरल हुई थी जिसको लेकर अब माहौल पेचीदा होता जा रहा है।
मेरठ के ब्राह्मण संगठन ने इसका पुरजोर विरोध किया, जन सभाएं की और अल्टीमेटम दिया कि, अगर संजीव बालियान ने इस पर माफी नहीं मांगी तो ब्राह्मण समाज उनके खिलाफ बड़ा आंदोलन करने पर मजबूर होगा। ब्राह्मण समाज के विरोध के बाद संजीव बालियान ने एक वीडियो जारी की जिसमें यह कहा गया था कि वह इस प्रकरण पर खेद व्यक्त करते हैं लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि यह वीडियो उनकी नहीं है, बल्कि इस वीडियो को एडिट किया गया है।
नौचंदी ग्राउंड स्थित चंडी देवी के मंदिर पर ब्राह्मण समाज ने एकत्र होकर अब एक नया विरोध प्रदर्शन शुरू किया।
First phase election in up: समाज के लोगों का कहना है कि अगर ब्राह्मणों का अपमान इसी तरह से होता रहा तो वह भारतीय जनता पार्टी के खिलाफ एकजुट होकर मतदान करने जा रहे हैं। चंडी देवी मंदिर में हवन में आहुति देते हुए ब्राह्मण संगठन के अध्यक्ष पंडित आशु शर्मा, पंडित अश्वनी कौशिक और अन्य पदाधिकारियों ने खुले तौर पर चेतावनी भरे लहजे में कहा कि भारतीय जनता पार्टी यदि ब्राह्मणों का मान सम्मान नहीं करेगी तो उसको इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा।
एक तरफ किसान आंदोलन को लेकर अभी चिंगारी ठंडी नहीं हुई थी तो दूसरी तरफ ब्राह्मण समाज की ओर से उठता या आक्रोश बता रहा है कि भारतीय जनता पार्टी के नेता जिस डाल पर बैठे हैं उसी डाल को काटने पर तुले हुए हैं। आपको बता दें कि पूरे उत्तर प्रदेश में ब्राह्मणों की आबादी लगभग 17 परसेंट है और सियासत में यह एक बड़ा वोट बैंक माना जा रहा है। लोग कहते हैं कि ब्राह्मणों का समर्थन जिसको मिला वह राजनीति में राज करता है और जिस से ब्राह्मण रूट पर उसका बंटाधार हैं।
कुल मिलाकर अगर 2022 के विधानसभा चुनाव की बात करें तो पहले चरण में ही भारतीय जनता पार्टी के लिए किसान फैक्टर के अलावा ब्राह्मणों का भाजपा के खिलाफ रोष बढ़ना यह बता रहा है कि पनघट की डगर भाजपा के लिए अब कठिन होती हुई दिख रही है।
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