उत्तर प्रदेश में खेती के बाद अर्थव्यवस्था में हथकरघा उद्योग का महत्वपूर्ण स्थान
उत्तर प्रदेश में खेती के बाद अर्थव्यवस्था में हथकरघा उद्योग का महत्वपूर्ण स्थान

उत्तर प्रदेश में खेती के बाद अर्थव्यवस्था में हथकरघा उद्योग का महत्वपूर्ण स्थान

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  • बुनकर होंगे संतकबीर राज्य हथकरघा पुरस्कार से सम्मानित, सरकार ने की 19.85 लाख रू0 के बजट की व्यवस्था
  • केन्द्र व प्रदेष सरकार बुनकरो के हितार्थ चला रही योजनाएं, अनेको हुये लाभान्वित

मेरठ। उत्तर प्रदेश में खेती के बाद अर्थव्यवस्था में हथकरघा उद्योग का महत्वपूर्ण स्थान है। हथकरघा क्षेत्र रोजगार और उत्पादन की दृष्टि से उत्तर प्रदेश देश में तीसरे स्थान पर है। आधुनिक तकनीक और डिजाइन विकास ने इस उद्योग को एक नई पहचान दिलाने में सराहनीय और प्रमुख भूमिका निभाई है। देश में कुल बुनकरांे की संख्या में से एक चैथाई बुनकर उत्तर प्रदेश में है, जो प्रदेश की जनता की वस्त्र आवश्यकता में अपना महत्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं।

अत्यधिक प्रतिस्पद्र्धा वाले बाजार की परिस्थितियों और हथकरघा एवं पावरलूम से अपनी आजीविका का संचालन करने वाले बुनकरों के व्यवसाय को बेहतर बनाने हेतु अनेक कल्याणकारी कदम सरकार ने उठाये हंै। अनुकूल वातावरण सृजित किया गया है। गरीब बुनकरों के हालातों को सुधारने के लिये अनेक प्रभावी निर्णय लिये गये हैं, जिससे बिचैलिए बुनकरों का शोषण न कर पायें और उन्हें उनके उत्पाद का उचित मूल्य मिल सके।

बुनकरों को आर्थिक सहायता, कच्चे माल की सहज उपलब्धता, प्रबंधकीय एवं प्रशिक्षण की मदद, कार्यशालाओं का निर्माण, डाई एवं प्रोसेसिंग विपणन एवं ई-मार्केटिंग आदि की सुविधा उपलब्ध कराने की सुचारू व्यवस्था की गई है।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बुनकरों के हितार्थ और उनके प्रति संवेदनशीलता का रूख अपनाते हुये बुनकरों की आर्थिक व सामाजिक हालातों में पर्याप्त सुधार लाने हेतु कई महत्वाकांक्षी कार्यक्रम प्रारम्भ किये, जिसके फलस्वरूप हथकरघा उद्योग न केवल गरीब जनता की आवश्यकताओं को ही पूरी कर रहा है, बल्कि उच्च एवं गणमान्यवर्ग की अभिरूचि सहित अन्तर्राष्ट्रीय बाजार तक अपनी साख स्थापित किए हुए हैं। वाराणसी की साड़ियां, जामदानी, जामावर, ब्रोकेड, तनछुई, जगलां एवं बूटीदार की परम्परागत बुनाई शैली, कानपुर के रेडीमेड वस्त्र, गोरखपुर, मेरठ व अमरोहा के बेडशीट व बेडकवर, सीतापुर, भदोही, मिर्जापुर एवं आगरा की ऊनी एवं सूती दरियां, अलीगढ़ के दरेट, बाराबंकी का स्टोल व मऊरानीपुर की शर्टिंंग, मेरठ व टांडा की लंुगी, मऊ व आजमगढ़ की साड़ियां व ड्रेस मैटेरियल के कपड़े बुनाई शैली की विविधता एवं उत्कृष्टता के बेजोड़ उदाहरण हथकरघा क्षेत्र के है।

हथकरघा विभाग के सहयोग से राष्ट्रीय हथकरघा विकास कार्यक्रम के अन्तर्गत कई योजनायें प्रदेश में संचालित की जा रही हैं। इनमें क्लस्टर विकास कार्यक्रम, विपणन प्रोत्साहन, हथकरघा विपणन सहायता, प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना, प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना, महात्मा गांधी बुनकर बीमा योजना, पावरलूम कामगारों के लिये समूह बीमा योजना तथा प्रधानमंत्री हथकरघा बुनकर मुद्रा योजना प्रमुख है।

राज्य सेक्टर की योजनाआंें के अन्तर्गत हथकरघा क्षेत्र में प्रशिक्षणार्थियों को सहायता, पावरलूम, हथकरधा बुनकरों एवं धुनकरों को विद्युत दर में छूट की प्रतिपूर्ति, पावरलूम क्षेत्र का विकास, बुनकरों को विद्युत आपूर्ति हेतु इनडिपेन्डेंट फीडर की व्यवस्था अन्य वित्तीय प्रोत्साहन एवं बुनाई विषय से इण्टरमीडिएट उत्तीर्ण छात्रों को छात्रवृत्ति, बुनाई विषय में इण्टरमीडिएट कालेजों को अनुदान, हथकरघा बुनकरों के सहायक कर्मियों को मानदेय, हथकरघा क्लस्टरों को अतिरिक्त अनुदान, देश एवं विदेश के बड़े शहरों में हथकरघा प्रदर्शनियों के आयोजन हेतु वित्तीय सहायता जैसी महत्वाकांक्षी कार्यक्रमांे का क्रियान्वयन किया जा रहा है।

बुनकरों की माली स्थिति को दृष्टिगत रखते हुये तथा कोरोना महामारी से हथकरघा एवं पावरलूम बुनकरों/धुनकरों का कारोबार काफी प्रभावित होने से उन्हें सरकार ने विद्युत दर में छूट की प्रतिपूर्ति की सुविधा प्रदान की है। इसी प्रकार पावरलूम बुनकरों को फ्लैट रेट पर बिजली देने का फैसला किया गया है। हथकरघा बुनकरों को विद्युत दर में छूट की प्रतिपूर्ति हेतु वर्ष 2020-21 में पांच करोड़ रू0 तथा धुनकरों को विद्युत दर में छूट हेतु प्रतिपूर्ति के लिये एक करोड़ रू0 का प्राविधान किया गया है। पावरलूम बुनकरों को विद्युत दर में छूट हेतु रू0 150 करोड़ का बजट प्राविधान किया गया है।

केन्द्र व राज्य सरकार द्वारा भारतीय हथकरघा प्रौद्यौगिकी संस्थान वाराणसी में त्रिवर्षीय डिप्लोमा कोर्स के प्रशिक्षणार्थियों के लिये छात्रवृत्ति के रूप में आर्थिक सहायता दी जाती है। इस वर्ष बजट में 7.19 लाख रूपये का प्राविधान किया गया है।

परम्परागत पावरलूम उद्योग को आधुनिक एवं उच्चीकृत पावरलूम में परिवर्तित कर अनुसूचित जाति/जनजाति के पावरलूम बुनकरों के जीवन स्तर में सुधार लाने के कदम उठाये गये हंै। एस0सी0/एस0टी0 के बुनकरों को आधुनिक तकनीक प्रशिक्षण, कार्यशाला का निर्माण, उच्चीकृत पावरलूम की स्थापना के माध्यम से लाभान्वित किया जाता है। इस योजना में 155 लाख रू0 से 50 इकाइयों के 200 पावरलूम बुनकरों को लाभान्वित किया गया है।

पावरलूम बाहुल्य क्षेत्रों में उत्पादन कार्य में कमी न होने पाये और विद्युत आपूर्ति अनवरत बनी रहे, इस हेतु बुनकरों को विद्युत आपूर्ति के लिये इन्डेपेंडेंट फीडर की व्यवस्था की गई है। मऊ, लखनऊ, अयोध्या, मुरादाबाद, इलाहाबाद एवं कानपुर सहित कुल 11 विद्युत फीडर पहले ही स्थापित किये जा चुके है। वर्तमान वित्तीय वर्ष में बुनकरों को विद्युत आपूर्ति हेतु इन्डेपेन्डेंट फीडर की व्यवस्था के तहत 1.10 करोड़ रू0 का प्राविधान किया गया है। इस धनराशि से संत कबीर नगर जनपद में स्वतंत्र विद्युत फीडर स्थापित कर 6000 पावरलूम बुनकरों को लाभान्वित करने की योजना है। हथकरघा बुनकरों को प्रोत्साहित करने एवं उनमें प्रतिस्पद्र्धा लाने तथा उन्हें पुरस्कार देकर सम्मानित करने के लिये संतकबीर राज्य हथकरघा पुरस्कार योजना चलाई गई है। इसके तहत परिक्षेत्रीय तथा राज्य स्तरीय पुरस्कारों को प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय श्रेणी के नकद पुरस्कार के साथ शील्ड, अंगवस्त्रम एवं प्रमाण पत्र प्रदान किया जाता है। वर्तमान वित्तीय वर्ष में बुनकरों को पुरस्कार देने हेतु 19.85 लाख रू0 की बजट व्यवस्था की गई है।

राष्ट्रीय हथकरघा विकास कार्यक्रम के अन्तर्गत व्लाक स्तर पर हथकरघा बुनकरों के लिए क्लस्टर कार्यक्रम चलाया जा रहा है। वाराणसी में मेगा हैण्डलूम क्लस्टर योजना अन्तर्गत दस अन्य क्स्लटर के प्रस्ताव भारत सरकार द्वारा स्वीकृत किये गये है। इसके अतिरिक्त पूर्व में स्वीकृत क्लस्टर, कानपुर, गोरखपुर, बारांबकी, सीतापुर, हरदोई, अलीगढ़, आगरा, हापुड़, चन्दौली, वाराणसी बरेली, आजमगढ़, मऊ, गाजीपुर, ललितपुर, फर्रूखाबाद, मुरादाबाद एवं अमरोहा में संचालित हैं। हथकरघा विपणन सहायता योजना में हथकरघा समितियों/संस्थाओं को उनके उत्पादों की बिक्री हेतु स्थल उपलब्ध कराने, एक्सपो, राष्ट्रीय स्तर के मेले एवं प्रदर्शनी लगाने के लिए शत-प्रतिशत केन्द्रीय सहायता दी जाती है।

हथकरघा बुनकरों हेतु प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना, प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना एवं महात्मा गांधी बुनकर बीमा योजना, भारतीय जीवन बीमा निगम के सहयोग से चलायी जा रही है। इसका मुख्य उद्देश्य हथकरघा बुनकरों के लाभार्थी की सामान्य मृत्यु अथवा दुर्घटना में मृत्यु होने की दशा में तथा पूर्ण एवं अर्द्ध निशक्तता के मामले में बढ़ा हुआ बीमा कवर तथा उपचार बीमा राशि प्रदान करना है, जिसमें बुनकर का अंश मात्र 80.00 रूपये, भारत सरकार का अंश 162 रूपये तथा एलआईसी का अंश 100 रूपये, कुल 342 रू0 वार्षिक प्रीमियम के रूप में रखा गया है। किसी भी कारण से बुनकर की मृत्यु होने या दुर्घटना में मृत्यु या सम्पूर्ण अपंगता पर 2,00,000.00 रूपये आंशिक अपंगता पर 1,00,000.00 रूपये की बीमा राशि दी जाती है। प्रधानमंत्री जीवन ज्योति योजना/प्रधानमंत्री योजना में किसी भी कारण से बुनकर की मृत्यु होने पर मदद की व्यवस्था भी की गई है।

बुनकर बीमा योजना में प्रति बुनकर 80.00 रूपये, भारत सरकार का अंश 290 रूपये तथा एलआईसी का अंश 100 रूपये, कुल 470 रू0 वार्षिक प्रीमियम है। इस योजना में 51 से 60 वर्ष की आयु के दौरान बुनकर की साधारण मृत्य होने पर 60,000.00 रूपये, दुघर्टना में मृत्यु अथवा सम्पूर्ण अपंगता पर 1,00,000.00 रूपये तथा आंशिक अपंगता पर 75,000.00 रूपये की राशि बुनकरों को प्रदान की जाती है। इसके अलावा लाभार्थी के कक्षा 9 में पढ़ रहे दो बच्चों को 100 रूपये प्रति बच्चे के आधार पर छात्रवृति देने का प्राविधान किया गया है।

पावरलूम बुनकरों की स्वाभाविक मृत्यु अथवा दुर्घटना में मृत्यु होने की स्थिति में बीमा कवर एवं उच्चतम बीमा राशि प्रदान करने के उद्देश्य से भारत सरकार द्वारा पावरलूम कामगारों हेतु समूह बीमा योजना संचालित है, जिसमे (18 वर्ष से 50 वर्ष तक की आयु प्रति बुनकर वार्षिक प्रीमियम 342 रूपये रखा गया है। इसमें किसी कारण से मृत्यु अथवा दुघर्टना में मृत्यु होने पर अथवा अपंगता पर 2,00,000.00 रूपये और आंशिक अपंगता पर 1,00,000.00 रूपये का बीमा कवर होता है। इसी प्रकार 51 से 60 वर्ष की आयु तक पावरलूम कामगारों की साधारण मृत्यु होने पर 60,000.00 दुर्घटना पर मृत्यु होने पर अथवा सम्पूर्ण अंपगता पर 1,50,000.00 रूपये और आंशिक अपंगता पर 75,000.00 रूपये की राशि एलआईसी द्वारा अदा की जाती है।

प्रधानमंत्री हथकरघा बुनकर मुद्रा योजना के तहत कई बुनकरों को विभिन्न लाभ प्रदान किये जाते हैं, इनमें प्रमुख इस प्रकार हंै। बुनकर को अधिकतम 7 प्रतिशत ब्याज उपादान के साथ 6 प्रतिशत ब्याज दर पर सस्ता ऋण उपलब्ध कराया जाता है। मार्जिन मनी प्रोजेक्ट कास्ट का बीस प्रतिशत अधिकतम 10,000.00 रूपये तक देय हैै। बैंक से ऋण स्वीकृत होने पर ऋणी बुनकर को रूपे कार्ड उपलब्ध कराने का प्राविधान किया गया है। बुनकरों के ऋण कवर की भी व्यवस्था की गयी है। व्यक्तिगत बुनकर, मास्टर बुनकर तथा हथकरघा बुनकरों को 50,000.00 रूपये से 5,00,000.00 रूपये तक ऋण स्वीकृत करने की व्यवस्था है। हैण्डलूम वीवर्स मुद्रा पोर्टल के माध्यम से सम्बन्धित बैंकों हेतु मार्जिन मनी ब्याज उपादान एव क्रेडिट गांरटी फीस की धनराशि आॅनलाइन मांग पी0एन0बी0 से करने की व्यवस्था की गयी है। इस योजना में अब तक वित्तीय वर्ष 2020-21 में माह नवम्बर तक 183 बुनकरों को 130.60 लाख रूपये के ऋण स्वीकृत किये जा चुके हैं।

प्रदेश में रोजगार के अवसर बढ़ाने तथा निवेश को प्रोत्साहित करने हेतु उ0प्र0 हैण्डलूम, पावरलूम, सिल्क, टेक्सटाइल एवं गारमेंटिंग पालिसी-2017 के प्राविधानों के अनुसार प्रदेश में वस्त्र इकाई स्थापित करने हेतु उद्यमियों को वित्तीय प्रोत्साहन दिया जा रहा है।

हथकरघा उद्योग की समस्याओं और कठिनाईयों को हल करने के साथ ही योजनाओं के क्रियान्वयन हेतु मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने जो महत्वाकांक्षी और सार्थक कदम उठाये हैं, निश्चित ही इससे बुनकरों को अब अधिकाधिक लाभ मिल रहा है। सरकार का यह प्रयास सराहनीय है कि हथकरघा क्षेत्र न केवल औद्यौगीकरण में अपना प्रमुख स्थान बनाये रखते हुए बुनकरों की आर्थिक एवं सामाजिक स्थिति में पर्याप्त सुधार लाने में योगदान प्रदान कर रहा है।

निसंदेह सरकार के सत्त एवं प्रशंसनीय प्रयासों से उम्मीद बनी है कि हथकरघा उद्योग अपने पुराने वैभव को प्राप्त करके लगातार अग्रसर होकर लोगों की आशाओं पर खरा उतरेगा। इतना ही नहीं उत्तर प्रदेश हथकरघा विकास में देश में ही नहीं, बल्कि विदेशों में उत्कृष्ट एवं अत्याधुनिक तकनीक के माध्यम से कीर्ति पताका फहराने में अग्रणी योगदान के प्रति सत्त प्रयत्नशील रहेगा और प्रदेश के बुनकरों का जीवन भी खुशहाल बन सकेगा।

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पत्रकारिता में बेदाग 11 वर्षों का सफर करने वाले युवा पत्रकार त्रिनाथ मिश्र ई-रेडियो इंडिया के एडिटर हैं। उन्होंने समाज व शासन-प्रशासन के बीच मधुर संबंध स्थापित करने व मजबूती के साथ आवाज बुलंद करने के लिये ई-रेडियो इंडिया का गठन किया है।

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