बिहार

History of Muzaffarpur in Hindi: 1 क्लिक पर सभी जानकारी

History of Muzaffarpur in Hindi: यहां आपको मुजफ्फरपुर के इतिहास के बारे में पूरी जानकारी बताने का प्रयास कर रहे हैं, यदि हमसे कुछ छूट गया हो तो कृपया हमें eradioindia@gmail.com पर सूचित करने की कृपा करें-

मुज़फ़्फ़रपुर कहा स्थित है ?
मुज़फ़्फ़रपुर उत्तरी बिहार राज्य के तिरहुत प्रमंडल का मुख्यालय तथा बिहार राज्य का एक प्रमुख शहर है। अपने सूती वस्त्र उद्योग, लोहे की चूड़ियों, शहद तथा आम और लीची जैसे फलों के उम्दा उत्पादन के लिये यह जिला पूरे विश्व में जाना जाता है, खासकर यहाँ की शाही लीची का कोई जोड़ नहीं है।

मुजफ्फरपुर का गौरवशाली इतिहास
प्राचीन लिच्छवी राजाओं की राजधानी वैशाली का निकटवर्ती मुजफ्फरपुर अघोषित रूप से बिहार की सांस्कृतिक राजधानी तो है ही इसके साथ भी इस जिले की अपनी एक विशिष्ट संस्कृति है, समृद्ध इतिहास है।

मुजफ्फरपुर जहां अपने सूती वस्त्र उद्योग के साथ लीची जैसे फलों के उम्दा उत्पादन के लिए यह पूरी दुनिया में विख्यात है। बज्जिका यहां की बोली है और हिन्दी तथा उर्दू यहां की मुख्य भाषाएं।

मुजफ्फरपुर का वर्तमान नाम ब्रिटिश काल के राजस्व अधिकारी मुजफ्फर खान के नाम पर पड़ा है। 1972 तक मुजफ्फरपुर जिले में शिवहर, सीतामढ़ी तथा वैशाली जिला शामिल था। मुजफ्फरपुर को इस्लामी और हिन्दू सभ्यताओं की मिलन स्थली के रूप में भी जाना जाता रहा है। दोनों सभ्यताओं के रंग यहां गहरे मिले हुए हैं और यही इस क्षेत्र की सांस्कृतिक पहचान भी है।

तिरहुत कहलाने वाले इस क्षेत्र का उल्लेख रामायण जैसे ग्रंथों में भी मिलता है लेकिन इसका लिखित इतिहास वैशाली के उद्भव के समय से उपलब्ध है। मिथिला के राजा जनक के समय तिरहुत प्रदेश मिथिला का अंग था। बाद में राजनैतिक शक्ति विदेह से वैशाली की ओर हस्तांतरित हुई।

तीसरी सदी में भारत आए चीनी यात्री ह्वेनसांग के यात्रा विवरणों से यह पता चलता है कि यह क्षेत्र काफी समय तक महाराजा हर्षवर्धन के शासन में रहा। उनकी मृत्यु केबाद स्थानीय क्षत्रपों का कुछ समय शासन रहा तथा आठवीं सदी के बाद यहां बंगाल के पाल वंश के शासकों का शासन शुरू हुआ जो 1019 तक जारी रहा।

तिरहुत पर लगभग 11 वीं सदी में चेदि वंश का भी कुछ समय शासन रहा। सन 1211 से 1226 बीच गैसुद्दीन एवाज तिरहुत का पहला मुसलमान शासक बना। चंपारण के सिमरांव वंश के शासक हरसिंह देव के समय 1323 में तुगलक वंश के शासक गयासुद्दीन तुगलक ने इस क्षेत्र पर अधिकार कर लिया लेकिन उसने सत्ता मिथिला के शासक कामेश्र्वर ठाकुर को सौंप दी।

Muzaffarpur Map

History of Muzaffarpur in Hindi: चौदहवीं सदी के अंत में तिरहुत समेत पूरे उत्तरी बिहार का नियंत्रण जौनपुर के राजाओं के हाथ में चला गया जो तबतक जारी रहा जबतक दिल्ली सल्तनत के सिकन्दर लोदी ने जौनपुर के शासकों को हराकर अपना शासन स्थापित नहीं किया। इसके बाद विभिन्न मुगल शासकों और बंगाल के नवाबों के प्रतिनिधि इस क्षेत्र का शासन चलाते रहे। पठान सरदार दाऊद खान को हराने के बाद मुगलों ने नए बिहार प्रांत का गठन किया जिसमें तिरहुत को शामिल कर लिया गया।

1764 में बक्सर की लड़ाई के बाद यह क्षेत्र सीधे तौर पर अंग्रेजी हुकूमत के अधीन हो गया। 1875 में प्रशासनिक सुविधा के लिए तिरहुत का गठन कर मुजफ्फरपुर जिला बनाया गया। मुजफ्फरपुर ने भारतीय स्वाधीनता आंदोलन में अत्यंत महत्वपूणर् भूमिका निभाई।

महात्मा गांधी की दो यात्राओं ने इस क्षेत्र के लोगों में स्वाधीनता के चाह की नई जान फूंकी थी। खुदीराम बोस तथा जुब्बा साहनी जैसे अनेक क्रांतिकारियों की यह कर्मभूमि रही है। 1930 के नमक आंदोलन से लेकर 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन के समय तक यहां के क्रांतिकारियों के कदम लगातार आगे बढ़ते रहे।

मुजफ्फरपुर लीची के निर्यात के लिए प्रसिद्ध है तो बुने हुए वस्त्र, गन्ना, और अन्य उत्पादों के लिए भी जाने जाते है। जिले में कुछ चीनी मिलों, जो अब पुराने और जीर्ण है। यह उत्तर बिहार की वाणिज्यिक गतिविधियों का केंद्र बन गया है और मुंबई, सूरत और अहमदाबाद के थोक बाजार है। शहर के व्यावसायिक केंद्र मोतीझील है।

लीची फसल मुख्य रूप से मुजफ्फरपुर और आसपास के जिलों के जिलों में खेती की जाती है। यहां की लीची बॉम्बे, कोलकाता जैसे बड़े शहरों के लिए और अन्य देशों को निर्यात किया जाता है। यहां की शाही लीची उत्कृष्ट सुगंध और गुणवत्ता के लिए जाना जाता है।
मुजफ्फरपुर में पर्यटक स्थल कोन – कोन स है ?

लीची के बाग़

मुजफ्फरपुर लीची की के बारे में 3 लाख टन हर साल के निर्माता होने के नाते, लीची के बाग़ीचे पर्यटकों के लिए सबसे अधिक पसंदीदा जगह है। पर्यटको की यही रूची इन लीची के बाग़ों को मुजफ्फरपुर के दर्शनीय स्थल बनाती है। बोचाचा, झपाहा और मुशहाहारी शहर के 7 किमी के दायरे में स्थित प्रसिद्ध लीची उद्यान हैं। जिनकी लीची की मिठास और सुगंध दूर दूर तक प्रसिद्ध है। लीची के बाग़ों को देखने का सबसे अच्छा समय मई से जून का होता है इस समय लीची की पकी हुई फसल होती है। जो बाग़ों की सुंदरता को बढाती है।

बाबा गरीब नाथ मंदिर

बाबा गरीब नाथ मंदिर शहर के दिल में स्थित है, बाबा गरीबनाथ मंदिर मुजफ्फरपुर के दर्शनीय स्थल मे सबसे लोकप्रिय आकर्षणों में से एक है। यहां भगवान शिव की मूर्ति बाबा गरीबनाथ के रूप में मंदिर में स्थापित है, और स्थानीय किंवदंतियों के अनुसार, यह कहा जाता है मंदिर का काफी पुराना इतिहास है। ऐतिहासिक और धार्मिक मान्यताओं के अनुसार बाबा गरीबनाथ धाम का तीन सौ साल पुराना इतिहास रहा है। लेकिन मिले दस्तावेज के अनुसार 1812 ई. में इस स्थान पर छोटे मंदिर में बाबा की पूजा-अर्चना होती रही थी।

मान्यता है कि यहां के घने जंगल में सात पीपल के पेड़ थ। एक बार जंगल की सफाई के दौरान किसी मजदूर की कुदाल से कोई चीज टकराई। उसने देखा कि वहां से खून की धारा बह रही है। वह डरकर भाग गया और ये बातें दूसरों को बताईं। लोग दौड़े-दौड़े वहां आए। जब उन पेड़ों को काटा गया तो अचानक खून जैसे लाल पदार्थ निकलने के बाद विशालकाय शिवलिंग मिला।

उसके बाद जो उस जमीन का मालिक था उसे रात में बाबा ने स्वप्न दिया, जिसके बाद शिवलिंग की स्थापना कर वहां विधिवत पूजा-अर्चना की जाने लगी। मान्यता यह भी है कि एक बेहद ही गरीब आदमी को अपनी बेटी का विवाह करना था और उसके लिए घर में कुछ भी नहीं था, वह बाबा के मंदिर में गया और रोते हुए कहा-बाबा कैसे होगी मेरी बेटी की शादी?

इसके लिए उसने बाबा का जलाभिषेक किया और चिंतामग्न था, कहते हैं उस गरीब आदमी की श्रद्धाभक्ति से प्रसन्न होकर शिव ने उसकी परेशानी दूर कर दी और बेटी की शादी के सारे सामानों की आपूर्ति अपने-आप हो गई। तबसे से लोगों के बीच मंदिर का नाम बाबा गरीबनाथ धा्म के रूप में जाना जाने लगा। और धीरे धीरे यह मुजफ्फरपुर के दर्शनीय स्थल में सबसे अधिक प्रसिद्ध धार्मिक स्थल बन गया।

जुब्बा सहानी पार्क

जुब्बा साहनी पार्क स्वतंत्रता सेनानी और क्रांतिकारी जुब्बा साहनी के नाम पर बच्चों का पार्क मुजफ्फरपुर की मिठ्ठनपुरा क्षेत्र में स्थित है। जुब्बा साहनी पार्क किसी अन्य बच्चों के पार्क की तरह है, लेकिन हरे भरे पेड़, मखमली घास, झाड़ियों और शांत वातावरण के कारण, यह वयस्कों, बच्चों और पर्यटकों का पसंदीदा पिकनिक स्पॉट बन गया है। पार्क में लंबी और ऊंची लाइटों की कतार सूर्यास्त के बाद इस पूरे पार्क क्षेत्र को प्रकाश की रोशनी से जगमगा देती है। मुजफ्फरपुर के दर्शनीय स्थल मे यह मुख्य पिकनिक, व मनोरंजन स्थल के रूप में जाना जाता है।

रामचंद्र साही संग्रहालय

जुबबा साहनी पार्क के बीच में, रामचंद्र शाही संग्रहालय का निर्माण 1979 में विभिन्न कलाकृतियों, अष्टदिक पाल और मानसा नाग जैसे मूर्तियों को दिखाता है, जो देखने के लिए एक दिव्य दृष्टि है। प्राचीन बर्तनों का संग्रह भी जटिल रूप से बनाई गई मूर्तियों के साथ संग्रहालय का एक प्रमुख आकर्षण है।

खुदीराम बोस मैमोरियल

खुदीराम बोस मेमोरियल एक 18 वर्षीय सेनानी, खुदीराम बोस को समर्पित है , जो ब्रिटिश मुजफ्फरपुर के सत्र न्यायाधीश किंग्फोर्ड पर एक बम फेंकने के आरोप मे गिरफ्तार किए गये थे। खुदीराम बोस से अपने स्वतंत्रता सेनानी प्रफुल्ल कुमार चाकी के साथ मिलकर किग्सफोर्ड को बम से उडाने की योजना बनाकर उसकी बग्गी पर बम फेका था। परंतु दुर्भाग्य वश किंग्सफोर्ड तो बच गया। और दो अंग्रेज स्त्रियां मारी गई। उसके बाद अंग्रेज सिपाही उनके पीछे लग गए, प्रफुल्ल कुमार चाकी ने तो खुद को गोली माकर शहीद कर लिया, परंतु खुदीराम बोस को अंग्रेजो ने गिरफ्तार कर लिया।

मुज़फ्फरपुर जेल में जिस मजिस्ट्रेट ने उन्हें फाँसी पर लटकाने का आदेश सुनाया था, उसने बाद में बताया कि खुदीराम बोस एक शेर के बच्चे की तरह निर्भीक होकर फाँसी के तख़्ते की ओर बढ़ा था। जब खुदीराम शहीद हुए थे तब उनकी आयु 18 वर्ष थी। शहादत के बाद खुदीराम इतने लोकप्रिय हो गए कि बंगाल के जुलाहे उनके नाम की एक ख़ास किस्म की धोती बुनने लगे।

उनकी शहादत से समूचे देश में देशभक्ति की लहर उमड़ पड़ी थी। उनके साहसिक योगदान को अमर करने के लिए गीत रचे गए और उनका बलिदान लोकगीतों के रूप में मुखरित हुआ। उनके सम्मान में भावपूर्ण गीतों की रचना हुई जिन्हें लोक गायक आज भी गाते हैं।

चतुर्भुज स्थान मंदिर

चतुर्भुज स्थान मंदिर मुजफ्फरपुर के दर्शनीय स्थल मे सबसे पवित्र मंदिरों में से एक और एक है। लेकिन अधिक महत्वपूर्ण बात यह शायद क्षेत्र और बिहार राज्य के सभी पवित्र मंदिरों के बीच सबसे पुराना मंदिर है। 12 वीं सदी के मध्यकालीन युग के अपने इतिहास के साथ यह मंदिर लगभग 600 साल पुराना है। मुजफ्फरपुर नगर के चतुर्भुज स्थान मोहल्ले में तकरीबन 1200 ई. में स्थापित अतिप्राचीन बाबा चतुर्भुज नाथ मंदिर भक्ति व आस्था का केंद्र है।

चतुर्भुज स्थान मंदिर

यहाँ भगवान् चतुर्भुज यानी श्रीहरि विष्णु की भवय प्रतिमा स्थापित है । यहाँ एक प्राचीन शिवलिंग भी है। लंबे – चौड़े मंदिर परिसर में सूर्य, महावीर , भैरव और गणेश भगवान की प्रतिमाए स्थापित है । पुरे उत्तर बिहार के लोग यहाँ दर्शन के लिए आते हैं । यहाँ मुख्य द्वार पर स्थापित सूर्य मंदिर इस छेत्र का एकमात्र सूर्य मंदिर है । यह मंदिर मुजफ्फरपुर के दर्शनीय स्थल मे काफी प्रसिद्ध है।

श्रीराम मंदिर

यह प्रसिद्ध भगवान राम मंदिर साहू पोखर के छोटे गांव में स्थित है। यह ऐतिहासिक और सुंदर मंदिर हर दिन हजारों भक्तों को आकर्षित करता है। वास्तव में यहां आने वाले भक्तों की संख्या में जाकर देखे,तो यह आसानी से मुजफ्फरपुर के दर्शनीय स्थल मे सबसे अधिक देखी जाने वाले मंदिरों में से एक है। मंदिर भी बहुत विशाल है और कई हिंदू देवताओं को समर्पित कई छोटे मंदिरों को समायोजित है। और इन मंदिरों में से एक मंदिर है जिसमें एक विशेष शिवलिंग है जो पूरे भारत में तीसरा सबसे बड़ा है। कहने की जरूरत नहीं है, कोई भी पर्यटक इस विशेष मंदिर को देखेने के बाद याद करे बिना नही रह सकता है।

रामन देवी मंदिर

यह मुजफ्फरपुर जिले के सबसे खूबसूरत मंदिरों में से एक है। यह भगवान दुर्गा माता या मां दुर्गा को समर्पित है। हालांकि मुजफ्फरपुर के अन्य मंदिरों के विपरीत यह किसी भी समृद्ध इतिहास को बढ़ावा नहीं देता है, लेकिन यह बढ़ावा देता है सौंदर्य और स्थापत्य सौंदर्य। इस मंदिर का निर्माण वास्तव में श्री बाभा बाबू नामक एक स्थानीय व्यापारी द्वारा वर्ष 1941 में पूरा किया गया था। उन्हें दुर्गा माता का वफादार भक्त माना जाता था।

लेकिन सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि यह मंदिर कुछ दशकों के मामले में मुजफ्फरपुर के मंदिरों के बाद सबसे अधिक मांग में से एक बन गया और आज भी ऐसा ही जारी है। इस तरह के अल्प अवधि में इसकी लोकप्रियता वास्तव में अपनी वास्तुकला की सुंदरता के लिए श्रद्धांजलि है। सब कुछ, रामन देवी मंदिर मुजफ्फरपुर के धार्मिक स्थलों में से एक है।

मुजफ्फरपुर के दर्शनीय स्थल, मुजफ्फरपुर के पर्यटन स्थल, मुजफ्फरपुर की यात्रा, मुजफ्फरपुर की सैर, मुजफ्फरपुर मे घूमने लायक जगह, मुजफ्फरपुर दर्शन आदि शीर्षकों पर आधारित हमारा यह लेख आपको कैसा लगा हमें कमेंट करके जरूर बताएं। यह जानकारी आप अपने दोस्तो के साथ सोशल मीडिया पर भी शेयर कर सकते है।

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Shivani Mangwani

Shivani Mangwani is working as content writer and anchor of eradioindia. She is two year experienced and working for digital journalism.

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