लाइफस्टाइल

बच्चों को बेहतर इंसान बनाना चाहते हैं, तो उन्हें कभी न सिखाएं ये बातें

नई दिल्ली। हर पेरेंट चाहते हैं कि उन के बच्चे अच्छी आदतें सीखें लेकिन कभी-कभी ऐसा होता है कि पेरेंट अपनी उम्मीदों का बोझ बच्चों पर डालना शुरू कर देते हैं। वहीं, जब पेरेंट बुरे दिनों से गुजर रहे होते हैं, तो भी उनकी नेगेटिविटी का असर बच्चों पर पड़ने लग जाता है।

जैसे, अगर किसी पेरेंट की घर-परिवार में लड़ाई चल रही हो, तो वे बच्चों को घरवालों की बातें सुनने को कह देते हैं। जिससे बच्चे इसे पूरी तरह फॉलो करने लगते हैं और उनका ध्यान उल्टी-सीधी बातों पर लग जाता है। ऐसे में बहुत जरूरी है कि पेरेंट भी याद रखें कि कुछ बातें बच्चों को सिखाने से बचें।

दूसरों की बातें सुनना

अक्सर पेरेंट बच्चों को पड़ोसियों या घर-परिवार के लोगों की जासूसी करने को कहने लग जाते हैं। उन्हें लगता है कि ऐसा करके वे आसपास उनके खिलाफ होने वाली बातों पर नजर रख पाएंगे जबकि आपके ऐसा सिखाने से बच्चों के दिमाग पर नेगेटिविटी हावी होने लगती है, इसलिए बहुत जरूरी है कि बड़ों की बातों में बच्चों को न धकेलें।

किसी भी तरह जीतना

हर पेरेंट चाहते हैं कि उनके बच्चे सबसे आगे रहें लेकिन जीतने की स्किल्स के अलावा बच्चों को मोरल वैल्यू भी जरूर सिखाएं। बच्चों को सिखाएं कि हेल्दी कॉम्पिटीशन क्या होता है। किसी को गिराकर आगे बढ़ना सही नहीं होता। बच्चों को जीतने के सही और गलत तरीके तो जरूर बताएं।

किसी को कम समझना

बच्चों को कभी भी किसी बच्चे या अन्य व्यक्ति को लेकर जहर न भरें। उन्हें किसी भी तरह का भेदभाव न सिखाएं। ऐसा करने से बच्चे के मन में शुरू से ही भेदभाव की भावना घर कर जाती है और फिर वे दूसरों लोगों को अपने से कम समझने लग जाता है।

जानवरों को मारना या परेशान करना

कई माता-पिता को लगता है कि अपने बच्चे को निडर बनाने के लिए वे जानवरों को मारना या परेशान करना सिखा सकते हैं। जानवरों को मारना हर तरह से गलत होता है। इससे आपका बच्चा क्रूर बनेगा और उसके मन से दयाभाव खत्म हो जाएगा। बच्चों को हमेशा जानवरों को समझना और प्यार करना सिखाएं। यह उनकी मेंटल हेल्थ के लिए बहुत जरूरी है।

बदतमीजी से जवाब देना

गलत बातों का जवाब देना सही है लेकिन बचपन में बच्चों को समझ नहीं होती। ऐसे में उन्हें यह न सिखाएं कि कोई मजाक में भी आपको कुछ कहे, तो आपको बदतमीजी से जवाब देना है बल्कि बच्चों को अने विवेक से चीजें समझने के लेवल तक पहुंचने दें। बच्चों को बताएं कि अगर उन्हें कोई कुछ कहता है, तो आकर घर पर पेरेंट से बताएं।

Neha Singh

नेहा सिंह इंटर्न डिजिटल पत्रकार हैं। अनुभव की सीढ़ियां चढ़ने का प्रयत्न जारी है। ई-रेडियो इंडिया में वेबसाइट अपडेशन का काम कर रही हैं। कभी-कभी एंकरिंग में भी हाथ आजमाने से नहीं चूकतीं।

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