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Jammu Kashmir News in Hindi Today: घाटी में नये सिरे से सिर उठाता आंतकवाद

  • राजेश माहेश्वरी

Jammu Kashmir News in Hindi Today: कश्मीर घाटी में आतंकवाद फिर पैर पसारने लगा है। वहां हालिया महीनों में आतंकी गतिविधियां में एक बार फिर से तेजी आई है। बीते सोमवार को ही कश्मीर के सोपोर में बीडीसी चेयरपर्सन फरीदा खान पर आतंकवादियों ने हमला कर दिया। इस हमले में एक निजी सुरक्षा कर्मी समेत दो लोगों की मौत हो गई। हमले में फरीदा खान गंभीर रूप से घायल हो गये। इस हमले की जिम्मेदारी आतंकी संगठन द रेसिस्टेंस फोर्स (टीआरएफ) ने ली है। टीआरएफ एक साल पुराना संगठन ही है।

वहीं, जम्मू-कश्मीर पुलिस का कहना है कि इस हमले में लश्कर-ए-तैयबा के दो आंतकी शामिल थे। हाल हाल ही में जम्मू कश्मीर के सोपोर में एक और आतंकी हमला हुआ था। जिसमें उत्तरी कश्मीर के सोपोर जिले में आतंकियों ने एक पुलिस चैकी पर ग्रेनेड से हमला किया था। पुलिस चैकी पर हुए इस आतंकी हमले में दो पुलिसकर्मी घायल हुए थे।

कश्मीर घाटी में अस्थिरता फैलाने के लिए पाकिस्तान द्वारा आतंकी तत्वों को समर्थन देने की बात तो अपनी जगह है ही, पर वहां हिंसा की घटनाओं में ताजा बढ़ोतरी की चैंकाने वाली बात यह है कि इनसे जुड़े ज्यादातर लोग स्थानीय हैं। आप किसी भी सैन्य कमांडर से पूछ लें, वे आपको बताएंगे कि किस तरह सुरक्षा बलों से मुकाबला कर रहे आतंकियों के बचाव में स्थानीय ग्रामीण आगे आ जाते हैं।

Jammu Kashmir News in Hindi Today: गहराती जा रही आशंका

ताजा हमले में भी सुरक्षा बलों को इसी तरह की आशंका है। क्योंकि धारा 370 हटाये जाने के बाद से घाटी में सुरक्षा बलों की भारी तैनाती है। ऐसे में स्थानीय नागरिकों की मदद के बगैर ऐसी घटनाओं को अंजाम दे पाना संभव ही नहीं है। वो अलग बात है कि बदले हालात में अब स्थानीय नागरिक आंतकियों की पैरवी में सड़कों पर नहीं उतरते और न ही पत्थरबाजी को अंजाम देते हैं। लेकिन फिर भी आंतकियों का स्थानीय लोगों से कनेक्शन किसी से छिपा नहीं है। धारा 370 हटने के बाद से घाटी में ठण्डे हो चुके आंतकी संगठन फिर एक बार सिर उठाने की कोशिशों में लग गए हैं।

गृह मंत्रालय ने लोकसभा में लिखित जवाब दिया है जिसमें जानकारी दी गई है कि जम्मू कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद आतंकी घटनाओं में भारी कमी आई आई है। इस साल फरवरी तक 15 आतंकी घटनाएं हुई हैं जिसमे 8 आतंकी मारे गए और एक जवान शहीद हुआ है। वहीं, पिछले साल यानी साल 2020 में 244 आतंकी घटनाएं हुईं। इन घटनाओं में 221 आतंकी मारे गए थे। गृह मंत्रालय के मुताबिक, साल 2019 में 594 आतंकी घटनाएं हुईं जिनमें 157 आतंकी मारे गए। वहीं 2020 में आतंकी घटनाओं में 6 आम नागरिक मारे गए, 33 जवान शहीद हुए थे।

2019 में 5 आम नागरिक मारे गए, 27 जवान शहीद हुए थे। दूसरी तरफ कहा यह भी जा रहा है कि लाइन ऑफ कंट्रोल (एलओसी) पर भारतीय सुरक्षा बलों की कड़ी कार्रवाई से आतंकियों और पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई के हौसले इस वक्त पस्त है। यही वजह है कि आतंकी इतने ज्यादा डर गए हैं कि वह भारत में घुसपैठ करने के लिए लॉन्च पैड पर आने से कतरा रहे हैं। बदले माहौल में आंतकी संगठनों ने भी अपनी रणनीति बदली है। अब वो स्थानीय व नये संगठनों के माध्यम से माहौल खराब करने की कोशिशों में नये सिरे से जुट गए हैं।

आईएसआई आतंकी संगठनों को करती है मदद

Jammu Kashmir News in Hindi Today: मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तानी आईएसआई आतंकी संगठन लश्कर, जैश और हिजबुल मुजाहिदीन को आर्थिक मदद पहुंचाती है। इन संगठनों के घाटी में अच्छी खासी संख्या में स्लीपर सेल मौजूद हैं। लिहाज अब काफी हद तक घाटी में आतंकवाद की कमर टूट चुकी है, ऐसे में पड़ोसी देश और उसके आतंकी संगठन परेशान हो गए हैं। दुबई और तुर्की के जरिए आर्थिक मदद पहुंचाने का मामला सामने आ चुका है। जमात-ए-इस्लामी जैसे संगठन, अब नए सिरे से आतंकियों की भर्ती शुरू करने की योजना बना रहे हैं। घाटी में कई नए आतंकी संगठन पांव पसारना चाह रहे हैं। वे दिल्ली में एनएसए तक की रेकी कर रहे हैं।

सुरक्षाबलों की एक रिपोर्ट से इस बात का खुलासा हुआ है कि लॉन्च पैड पर नए साल में आतंकियों की संख्या में भारी गिरावट देखी गई है। सूत्रों के मुताबिक लॉन्च पैड पर जनवरी के महीने में सिर्फ 108 आतंकी देखे गए हैं। भारतीय खुफिया एजेंसियां लगातार एलओसी पर नजर रख रही हैं। आतंकी अब उन लॉन्च पैड पर आने से कतरा रहे हैं, जहां आकर वे घुसपैठ करने की कोशिश करते थे।

सूत्रों के मुताबिक 108 आतंकी जो इस वक्त लॉन्च पैड पर हैं, उनमें से 103 जम्मू बॉर्डर के सामने हैं. कश्मीर घाटी के सामने लॉन्च पैड पर सिर्फ पांच आतंकी हैं। पाक प्रायोजित आंतकवाद का खामियाजा भारत कई बरसों से भुगत रहा है। पाकिस्तान की विदेश नीति में आंतकवाद अहम हिस्सा है। कश्मीर और अफगानिस्तान में आतंकवाद को बढ़ाने में पाकिस्तान की मिलीभगत के साफ सुबूत मिले हैं।

…मगर मिशन अभी अधूरा है

आतंकवाद को कुचलने और घाटी में सामान्य व्यवस्था बहाल करने की बाजी भले ही काफी हद तक जीत ली गई है, मगर इसके बावजूद कुछ चुनौतियां सिर उठा रही हैं। जीती हुई बाजी को अगर बरकरार रखना है तो गृह मंत्रालय को अभी कई तरह के कदम और उठाने होंगे। आतंकी संगठन फिर से सिर उठाने की कोशिश कर रहे हैं। आम लोगों के बीच रह रहे आतंकियों के स्लीपर सेल सुरक्षा बलों एवं जांच एजेंसियों के लिए बड़ी चुनौती बन गए हैं।

चूंकि ये लोग लंबे समय से सामान्य जीवन में हैं, इसलिए इन पर किसी को शक भी नहीं होता। जम्मू-कश्मीर में ऐसे बहुत से लोग हैं जो प्राइवेट या सरकारी नौकरी में हैं, मगर आतंकी संगठनों से उनकी दूरी अभी खत्म नहीं हो सकी है। खासतौर से वन विभाग, पुलिस, राजस्व, शिक्षा और ट्रांसपोर्ट आदि महकमों में बड़ी छानबीन की जरूरत है।

साल 2019 के दौरान बनिहाल में आतंकियों द्वारा विस्फोटकों से भरी सेंट्रो कार के जरिए सीआरपीएफ काफिले पर हमला करने का प्रयास किया गया था। इस मामले की जांच एनआईए को सौंपी गई थी। एनआईए ने गत सप्ताह इस मामले में चार्जशीट पेश की है। इसमें पता चला है कि आरोपी नवीद मुश्ताक शाह उर्फ नवीन बाबू जम्मू-कश्मीर पुलिस का पूर्व सिपाही था। वर्ष 2017 में जब वह एफसीआई में बतौर गार्ड तैनात था तो उसने बडगाम में हथियारों और गोला बारूद का शिविर लगाया था।

पुलिस की नौकरी छोड़ने के बाद वह आतंकी समूह हिजबुल मुजाहिद्दीन में शामिल हो गया था। ऐसे कई उदाहरण हैं। कई विभागों में आतंकियों के मददगार बैठे हैं। पुलवामा हमले की दूसरी बरसी पर जम्मू में साढ़े छह किलो की आईईडी सहित एक आतंकी पकड़ा गया था। उसने जम्मू में कई जगहों पर विस्फोट करने की योजना बनाई थी। पूछताछ के दौरान पता चला है कि वह पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठन अल बद्र के इशारे पर हमले की साजिश को अंजाम देने वाला था।

तेजी से बदलते हालातों के बीच सुरक्षा बलों एवं जांच एजेंसियों को अब उन लोगों को बाहर निकालना होगा, जो सामान्य नागरिक बनकर आतंकियों के लिए काम कर रहे हैं। हालांकि जम्मू-कश्मीर और केंद्रीय सुरक्षा एजेंसियां ऐसे लोगों पर नजर रख रही हैं। बचे हुए अलगाववादी संगठन ऐसे लोगों को प्रोत्साहित कर रहे हैं। अब जम्मू-कश्मीर में सभी जगहों पर 4जी सेवा चालू हो गई है। ऐसे में जांच एजेंसियों को यह ध्यान रखना होगा कि कहां से और किन लोगों की सीमा पार बातचीत हो रही है। आर्थिक मदद के रूट पर भी ध्यान देना होगा।

-लेखक राज्य मुख्यालय पर मान्यता प्राप्त स्वतंत्र पत्रकार हैं।

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Rekha Mishra

फिलहाल गृहणी के दायित्वों का निर्वहन कर रही हूं, फुर्सत मिलने पर पत्रकारिता के शौक को पूरा करती हूं। पिछले पांच वर्षों से लिखने-पढ़ने की कोशिश जारी है। सेहत पर लिखना अच्छा लगता है। बाकी विषयों से भी परहेज नहीं है।

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