कृष्णा जन्माष्टमी के बाद भक्तगण कन्हैया जी की छठी धूमधाम से मनाते हैं। दरअसल यह पर्व जन्माष्टमी के छठे दिन मनाया जाता है। जन्माष्टमी 26 अगस्त को मनाई गई थी उसके छठे दिन यानी 31 अगस्त शनिवार को कन्हैया जी की छठी शुभ संयोगों में मनाई जाएगी। जिससे इस पर्व का महत्व कई गुना अधिक बढ़ गया है। सबसे खास बात यह है कि इस साल श्रीकृष्ण छठी के त्रयोदशी तिथि, पुष्य नक्षत्र के साथ वरियान योग भी बन रहा है। इसके साथ ही सूर्य सिंह राशि में ही विराजमान होंगे और चंद्रमा कर्क राशि में होंगे। ऐसे में इस अवधि में कान्हा की पूजा करने से कई गुना अधिक फलों की प्राप्ति हो सकती है।मान्यताओं के अनुसार, जब किसी घर में नवजात बच्चे का जन्म होता है, तो उसके छह दिन बाद छठी का पर्व मनाया जाता है। इस दिन षष्ठी देवी की विधिवत पूजा करने के साथ अच्छे स्वास्थ्य की कामना की जाती है। बता दें कि षष्ठी देवी बच्चों का अधिष्ठात्री देवी है। उनकी कृपा से राजा प्रियव्रत के मृत पुत्र को पुनर्जीवित हो गया था। इसी के कारण छठे दिन इन देवी की पूजा की जाती है। इस दिन कढ़ी-चावल बनाकर कान्हा को भोग लगाया जाता है। यानी किस दिन मां जगदंबा और जगतपति भगवान कृष्ण की कृपा भक्तों पर बरसती है।
छठी की पूजा विधि
श्रीकृष्ण की छठी पूजन के लिए ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करना चाहिए। चौकी पर लाल या पीला कपड़ा बिछाकर प्रभु को विराजमान करें। इसके बाद लड्डू गोपाल का पंचामृत से स्नान कराएं और नए वस्त्र पहनाकर स्थापित करें। इसके बाद लड्डू गोपाल को रोली या पीले चंदन का तिलक करें। साथ ही फूल माला अर्पित करें और दीपक जलाकर आरती करें। कान्हाजी को माखन मिश्री के साथ कढ़ी चावल का भोग लगाएं।उसके बाद सभी में प्रसाद का वितरण करें।