कविता व गीत

महाकुंभ आस्था का महासागर

गंगा तट पर सजी यह कहानी

श्रद्धा की लहरें भक्ति का पानी।
धर्म और श्रद्धा का अनुपम संगम,
महाकुंभ लाता है जीवन में रंगम।
चारों दिशाओं में उमड़ा है रेला ,
यह अकेला है संस्कृति का मेला।
अखंड विश्वास का अनोखा पर्व,
जो मिटा दे हर दिल का गर्व।
शंखनाद और मंत्रों का नाद,
हर हृदय में भरता उल्लास।
यहां मिलती है सत्य की पहचान,
महाकुंभ देता जीवन का नया ज्ञान,
साधु संतों का अधिक प्रवाह,
तप और त्याग से मिले जग को राह।
सिर्फ तीर्थ नहीं यह जीवन का मंथन,
जहां हर कदम हो सत्य का वंदन।
महाकुंभ का यह दिव्य प्रकाश,
प्रीति भक्ति और सत्य का आकाश।

श्रीमती विभा रवि कुमार 

Pratima Shukla

प्रतिमा शुक्ला डिजिटल पत्रकार हैं, पत्रकारिता में पीजी के साथ दो वर्षों का अनुभव है। पूर्व में लखनऊ से दैनिक समाचारपत्र में कार्य कर चुकी हैं। अब ई-रेडियो इंडिया में बतौर कंटेंट राइटर कार्य कर रहीं हैं।

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