आस्था और विश्वास का दिव्य समागम है विजेथुआ महोत्सव

Mahaviran Mandir Sultanpur: बाबा बजरंग बली के चरणों में श्रद्धाभाव से शीष झुकाने वाला न केवल उन्हें प्यारा होता है बल्कि भक्त-वत्सल होने के कारण हनुमान जी उनपर मेहरबानी भी करते हैं। यही कारण है कि उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर जिले में स्थित बिजेथुआ महाबीरन मंदिर पर भक्तों का ताता लगा रहता है। सुल्तानपुर जिला मुख्यालय से 48 किमी. पूरब छोर पर स्थित जौनपुर सीमा से सटे कालिनेमि वधस्थली विजेथुआ धाम पुराणों मे वर्णित है। यहाँ दक्षिणमुखी हनुमान जी की भव्य मूर्ति विराजमान है।

मान्यता है कि हनुमान जी का एक पैर पाताल लोक तक गया है जिसका आंकलन नहीं किया जा सका है। प्रत्येक माह के शनिवार तथा मंगलवार को लाखों श्रद्धालुओं की भीड़ देश भर के कोने कोने से आती है और अपनी मुरादें अपने ईष्ट देव से मांगती है।

  • बुलंदियों को छूता विजेथुआ धाम, वीर हनुमान रामभक्तों पर है मेहरबान
  • बाबा राधेश्याम ने किया आयोजन का आगाज, पिता राममिलन रहे खेवनहार, नाती विवेक ने दिलाया भारतीय पटल पर सम्मान
  • समाजसेवी व सत्या माइक्रो कैपिटल के एमडी विवेक तिवारी ने दी रफ़्तार, सफर कारवां की देश-विदेश तक लोग कर रहे हैँ गुणगान

क्यों प्रसिद्ध है Mahaviran Mandir Sultanpur

शास्त्रों मे वर्णित त्रेतायुग मे जब लक्ष्मण जी को बाण लगा था तो सुखेन वैद्य ने सूर्योदय होने से पहले हिमालय जाकर संजीवनी लाने की बात कही, इस पर पवन वेग से चलने वाले अंजनी पुत्र हनुमान को श्रीरामचंद्र जी ने हिमालय से संजीवनी लाने को कहा। अपने प्रभु श्रीराम का आशीर्वाद लेकर हनुमान जी हिमालय जा रहे थे कि (शास्त्रों मे वर्णित) लंकापति रावण के आदेश पर कालनेमी नामक राक्षस ने रास्ता रोका था।

कालनेमी राक्षस ने साधु का भेष धारण कर लिया और राम नाम का जाप कर हनुमान को भ्रमित करने की कोशिश की, क्योंकि रावण जानता था कि अगर हनुमान को रोक लिया जायेगा तो लक्ष्मण जीवित नहीं रहेंगें। हनुमान अपने आराध्य देव भगवान् राम का नाम सुनते ही आकाश मार्ग से धरती पर उतरे और साधू रूप मे छली, मायावी राक्षस कालिनेमी के पास जाने से पहले एक कुंड मे स्नान करने गए, जहाँ मकड़ी ने उनको जकड़ लिया।

तत्पश्चात हनुमान ने उसका वध कर दिया जो कि श्राप से मुक्त हुई एक अप्सरा थी। उसने बताया कि वह जो राम राम कह रहा है वह रामभक्त नहीं, राक्षस कालिनेमी है जो रावण के कहने पर आपका मार्ग अवरुद्ध कर रहा है। हालांकि बाद में राक्षस का सच सामने आते ही हनुमान जी ने कालनेमी राक्षस को अपने पैरों से दाब कर उसे पाताल लोक पहुंचा दिया। मान्यता है कि इसके पश्चात् हनुमान जी पाप मुक्ति के लिए हत्याहरण में स्नान कर पाप से मुक्त होकर हिमालय की तरफ चले गए। तब से ही श्रद्धालु मकड़ी कुंड मे स्नान कर हनुमान जी का दर्शन करने जाते हैं और Mahaviran Mandir Sultanpur को विशेष मान्यता मिली है।

हनुमान जयंती से जन्मोत्सव फिर महोत्सव तक का भव्य सफरनामा

सत्या माइक्रो कैपिटल के सीईओ, विजेथुआ राजापुर निवासी विवेक तिवारी के बाबा स्व०राधेश्याम तिवारी ने इस आयोजन को मूर्त रूप दी थी, पेशे से अध्यापक, बेहद मिलनसार श्री तिवारी ने 1983 में हनुमान जयंती की शुरुआत कर धाम की छटा में चार चाँद लगा दिया। समय बीतता गया, उनके पुत्र अधिवक्ता राम मिलन तिवारी ने पूर्वजों के स्नेह और देवों की कृपा से परंपरा को आगे बढ़ाते हुए हनुमान जन्मोत्सव को परिवर्तित कर भव्य महोत्सव जैसे आयोजन से धाम की महिमा बढ़ाने मे जुट गए।

विवेक तिवारी बताते हैं कि श्रद्धेय बाबाजी के बाद पिताजी ने आस्था के साथ हनुमान जन्मोत्सव की भव्य शुरुआत की थी जिसको हमने श्रद्धेय बाबाजी की प्रेरणा से और भी शानदार बनाने के लिए विजेथुआ महोत्सव की शुरुआत की। आज धाम की महिमा और उक्त कार्यक्रम देश विदेश तक मशहूर हो रहा है।

Mahaviran Mandir Sultanpur में जन्मोत्सव पर लाखों श्रद्धालुओं का रहता है जमावड़ा

Mahaviran Mandir Sultanpur में हर वर्ष हनुमान जन्मोत्सव पर नामी गिरामी संतो,राजनैतिक दिग्गजों के साथ ही सिनेस्टारों का जमावड़ा लगता है। पिछले साल जगद्गुरु रामभद्राचार्य के आने से भक्तों की संख्या मे काफ़ी इजाफा हुआ था। लाखों की संख्या मे श्रद्धालु कार्यक्रम मे पहुंचते हैं।

प्रशासन रहता है मुस्तैद

हनुमान जयंती पर धाम मे पहुँच कर दीपक जलाने वाले लाखों श्रद्धालुओं के आने से प्रशासन पूरी तरह से मुस्तैद रहता है, कभी भी किसी प्रकार से हुड़दंग या फिर अराजकता नहीं फैलती, स्वयं कलेक्टर और कप्तान अपने मातहतों को सख्त निर्देश जारी कर फ़ोर्स की भारी व्यवस्था कर महोत्सव को सफल बनाने मे मुख्य भूमिका निभाते हैँ।

Mahaviran Mandir Sultanpur में ये प्रमुख हस्तियां रहेंगी मौजूद

इस बार हनुमान जन्मोत्सव के अवसर पर धाम मे जगतगुरु रामभद्राचार्य रामकथा का रसपान करायेगें तो दूसरी तरफ भजन गायक लखवीर सिंह “लक्खा” भक्ति गीतों से भक्तों को सराबोर करेंगें। आयोजक विवेक तिवारी ने बताया कि व्यस्ततम कार्यक्रम के बीच जगतगुरु रामभद्राचार्य जी महाराज एवं सुर सम्राट, भजन गायक लखवीर सिंह “लक्खा” बाबा बजरंग बली के चरणों मे हाजिरी लगाने आ रहे हैं।

धाम को पर्यटन केन्द्र बनाने को प्रयासरत: राजेश गौतम

कादीपुर के विधायक राजेश गौतम कहते हैं कि, Mahaviran Mandir Sultanpur में स्वयंभू हनुमान जी महराज सदियों से अपने भक्तों पर कृपा बरसाते आ रहे हैं, मै तो उनका परम भक्त हूं, मैंने पहली बार टिकट पाने के पहले और बाद में भी बाबा के चरणों मे हाजिरी लगाई और मुरादें पूरी हुईं। बाल्यकाल से ही मैं बजरंग बली का उपासक रहा हूं और जब तक जिन्दा रहूँगा, अपने आराध्य देव की निरंतर सेवा करता रहूँगा।

विवेक तिवारी जी को हर बार इस भव्य आयोजन मे पूरा सहयोग करता हूं और करता रहूँगा। विवेक तिवारी जी ने जो बीड़ा उठाया है, सहयोग मे कभी कमी नहीं रहेगी। धाम को पर्यटन केन्द्र का दर्जा दिलाये जाने के लिए मेरा प्रयास जारी है, खुद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भरोसा दिलाया है।

सिलसिला अनवरत रहेगा जारी: सदर विधायक राजबाबू उपाध्याय

विवेक जी ने भारतीय पटल पर Mahaviran Mandir Sultanpur का नाम रोशन किया है, यह सिलसिला अनवरत जारी रखने की शुभकामनायें देता हूं। मुझसे जो बन पायेगा, रामभक्त हनुमान के चरणों मे सदैव समर्पित रहूँगा।

ब्लॉक प्रमुख प्रतिनिधि सर्वेश मिश्रा का इस मंदिर को लेकर अनोखा अंदाज दिखाई पड़ता है। विगत तीन वर्षो से लगातार प्रत्येक वर्ष एक लाख दीपों से धाम को जगमग करने का बीणा उठाने वाले सर्वेश कहते हैं कि क्षेत्रवासियों, हनुमान भक्तों के सहयोग से इस बार भी परम्परा को आगे ले जाने मे कोई कोर कसर नहीं छोड़ेंगे।

Mahaviran Mandir Sultanpur कैसे पहुंचे

हवाईजहाज से आना चाहते हैं तो ऐसे पहुंचे

Mahaviran Mandir Sultanpur से नजदीकी हवाई अड्डा इलाहाबाद है जो सुल्तानपुर से लगभग दो घंटे की दूरी पर स्थित है। यह एयर इंडिया के माध्यम से नई दिल्ली से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है। दूसरा निकटतम अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा चौधरी चरण सिंह हवाई अड्डा लखनऊ है, जो सुल्तानपुर से लगभग 148 किलोमीटर दूर है। यहां से विभिन्न राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय गंतव्यों के लिए लगातार उड़ानें भरी जाती हैं।

ट्रेन से आने वालों के लिए

Mahaviran Mandir Sultanpur पहुंचने के लिए ट्रेन से सुल्तानपुर रेलवे स्टेशन पर उतरें, यह स्टेशन विभिन्न जगहों से भलीभांति जुड़ा है। यहां लखनऊ, कानपुर, दिल्ली, जयपुर और भोपाल जैसे अन्य राज्यों से ट्रेनों का संचालन सुचारु रूप से होता है।

सड़क मार्ग से ऐसे आएं

सुल्तानपुर पहुंचने के कई सड़क रास्ते हैं। सुल्तानपुर फैजाबाद से 60 किलोमीटर, इलाहाबाद से 103 किलोमीटर, लखनऊ से 135 किलोमीटर, वाराणसी से 162 किलोमीटर, कानपुर से 231 किलोमीटर, दिल्ली से 630 किलोमीटर, भोपाल से 662 किलोमीटर, उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम (यूपीएसआरटीसी) के माध्यम से जयपुर से 743 किलोमीटर दूर है।

यहां आने के लिए सबसे नजदीकी बाजार है सूरापुर यानी सबसे पहले सुल्तानपुर फिर कादीपुर होते हुए सूरापुर पहुंचे यहां से विजेथुआ के लिए लगातार प्राइवेट वाहनों का आवागमन रहता है।

Mahaviran Mandir Sultanpur के बारे में क्या कहते हैं श्रद्धालु

लाखों श्रद्धालुओं के आस्था केन्द्र विजेथुआ धाम में गन्दगी का अम्बार लगा है। धाम में बने सार्वजनिक शुलभ शौचालयों की दशा अति दयनीय है, चंहू ओर गन्दगी फैली है। जबकि धाम दो सफाईकर्मी स्थाई पोस्ट हैं। कागजों मे सफाई अभियान जारी है।

धाम मे विकास के कार्य कराये जा रहे हैं,जिलाधिकारी से इंटरलाकिंग और नालियों की मांग की गई है जिससे श्रद्धालुओं को धाम के चारों तरफ आने जाने मे कोई असुविधा न हो। -सरोज संदीप चौधरी, ग्राम प्रधान-विजेथुआ

प्रतिदिन हनुमान जी का दिव्य श्रृंगार किया जाता है फिर भक्तों के लिए कपाट खोला जाता है। –भूपेंद्र पाण्डेय, स्थानीय पंडा

सफाई के साथ नाली में जलभराव यहां पर एक विकट समस्या है, जगह-जगह जलभराव होता है। इसका निदान होना चाहिए। –मुन्ना मोदनवाल, मिष्ठान व्यवसाई

महोत्सव के होने से धाम की शोभा बढ़ी है, पांच दिन चलने वाले महोत्सव से भक्तिमय वातावरण बना रहता है। –अभिषेक द्विवेदी

बड़े भाई विवेक तिवारी जी के प्रयास से धाम दूर दूर तक मशरूर हो रहा है, देश के कोने कोने से लोग महोत्सव देखने आते हैं। –देवव्रत पाण्डेय

धाम मे जन्म लेना सौभाग्य की बात, साक्षात् हनुमान जी के दर्शन से सारे कष्ट दूर हो जाते हैँ, महोत्सव से विजेथुआ धाम की महिमा को और निखार मिला है। –कन्हैया

धाम मे लगातार रोजगार के अवसर प्रदान हो रहे हैं, हम सबकी जीविका इसी धाम से चलती है। –व्यवसाई राकेश प्रजापति

हनुमान जी हम सबके आराध्य देव हैं, बिना इनके कोई काम संभव नहीं होता। –पप्पू सिंह, भूपतिपुर

नोट: आर्टिकल के कुछ अंश राष्ट्रीय सहारा से लिये गए हैं।

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