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पत्रकारिता में तथ्यों के साथ बनाएं सनसनी खबर, छवि निर्माण पर करना चाहिए काम

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मेरठ। पत्रकारिता में पवित्रता सीमित हो सकती है। सनसनीखेज पत्रकारिता में वृद्धि हो सकती है। आनस्क्रीन और आफस्क्रीन पत्रकारिता में विविधता है। इसीलिए अपनी छवि निर्माण पर काम करना चाहिए। यदि एक बार छवि खराब हो गई तो फिर उसका सुधारना बहुत की मुश्किल हो जाता है। सनसनीखेज पत्रकारिता करो, लेकिन उसको तथ्य के साथ पेश करो। बिना तथ्य के सनसनीखेज खबरों से बचना चाहिए।
यह बात चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय परिसर स्थित तिलक पत्रकारिता एवं जनसंचार स्कूल में मास मीडिया में समसामयिक विषय पर आयोजित सेमिनार के दौरान महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय से आए डा. साकेत रमण ने कही।
डा. साकेत रमण ने कहा कि 21वीं सदी में छवि निर्माण मुख्य बिन्दु हो सकता है। सूचना के डिजिलाइजेशन में वृद्धि होती जाएगी। डिजिटल के माध्यम बहुआयामी हो सकते हैं। इससे अनेक लाभ और हानियां भी हैं। फिर भी इसका चलन धीरे धीरे बढ़ रहा है। यूरोप और ब्रिटेन में औद्योगिक क्रांति भारतीय वेदों पुराणों के अंग्रेजी में अनुवाद होने के बाद क्यों हुई यह एक चिंतन का विषय है। तिलक पत्रकारिता एवं जनसंचार स्कूल के निदेशक प्रो. प्रशांत कुमार ने सभी का स्वागत किया। डा. मनोज कुमार श्रीवास्तव ने सभी का धन्यावाद ज्ञापित किया। इसके बाद विभाग मे प्रश्नोत्तरी व वाद विवाद प्रतियोगिता हुई, जिसमें 40 से अधिक छात्र व छात्राओं ने भाग लिया।
प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता में देवव्रत प्रथम, अंशराज द्वितीय और अर्पित शर्मा तृतीय स्थान पर रहे। जबकि वाद विवाद प्रतियोगिता में सूर्य प्रताप प्रथम, भारत अधाना द्वितीय स्थान पर रहे। विजेजा प्रतिभागिता में पुरस्कृत किया गया। इस दौरान अजय मित्तल, लव कुमार, अमरीश पाठक, बीनम यादव, मितेंद्र कुमार गुप्ता, ज्योति वर्मा, उपेश दीक्षित आदि मौजूद रहे। अनुषका चौधरी, साहिल, आयुषी भडाना, धारणा अग्रवाल, दिशा तोमर गर्व कुशवाहा का विशेष सहयोग रहा।

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Santram Pandey

पत्रकारिता के 40 बसंत पार कर चुके संतराम पांडे, पूर्णकालिक पत्रकार हैं और खाटी पत्रकारिता के जीवंत उदाहरण स्वरूप अंकुरित प्रतिभाओं को सहयोग प्रदान कर रहे हैं। वर्तमान में ई-रेडियो इंडिया के वरिष्ठ संपादक हैं।

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