Osho Amazing Facts in Hindi: ओशो भारत के नहीं बल्कि पूरे दुनिया के एक ऐसे रहस्य दर्शी गुरु थे जिनके इशारे पर कोई कुछ भी करने को तैयार हो जाता था। उनके आध्यात्मिक साधना का ही परिणाम था कि उनके पीछे चलने वाले फॉलोवर्स का हुजूम देखा जाता था। महर्षि रजनीश की महत्वपूर्ण शिक्षा थी ध्यान और आनंद। अपने उरूज के समय में ओशो सबसे ज्यादा प्रभावशाली, ख्याति प्राप्त और सबसे ज्यादा विवादास्पद भी रहे। कुछ लोगों ने उन्हें सेक्स गुरु और उनके आश्रम को सेक्स का स्थान बताया। लोग कहते थे कि ओशो के आश्रम में लोगों को एक दूसरे के साथ बिना किसी अवरोध के सेक्स करने की अनुमति है।
लोगों का यह भी मानना था कि ओशो को फॉलो करने वाले लोग ज्यादातर अमीर हैं और उसको गरीबों से दूरी बनाकर रखते हैं, यही कारण है कि उनके पास करोड़ों रुपए की कीमत वाली सैकड़ों कारें थी और वह हमेशा लग्जरियस लाइफ जीते थे। इस आर्टिकल में हम आपको ओशो के बारे में कुछ ऐसे इंटरेस्टिंग फैक्ट (Osho Amazing Facts in Hindi) बताने जा रहे हैं जो ओशो रजनीश से संबंधित है-
- ओशो का असली नाम चंद्रमोहन जैन था उनका जन्म 11 दिसंबर 1931 को हुआ था। लगभग 18 सो 60 में एक वक्त ऐसा आया जब वह भगवान श्री रजनीश के नाम से प्रसिद्ध होने लगे। लेकिन बाद में उनके फॉलोअर्स की बढ़ती हुई संख्या ना देख उन्होंने अपना नाम 1970 से 80 के दशक में ओशो रख लिया।
- आशो रजनीश मध्य प्रदेश के रायसेन जिले के एक छोटे से गांव कुचवाड़ा में अपने नाना के घर पैदा हुये थे, इनके पिता एक कपड़ा व्यापारी थे। ओशो 11 बच्चों में सबसे बड़े थे।
- महर्षि रजनीश ने सेक्स के बारे में खुलकर बातचीत की, गहराई से और विस्तृत वर्णन करते हुए इसको एक पवित्र और जीवन का उपयोगी तत्व बताया। भारतीय मीडिया में उनको सेक्स गुरु के नाम से जाना जाने लगा यहां तक कि लोग ओशो के बारे में बातचीत करने से भी कतरा ने लगे थे।
- ओशो एक लक्जरियस व्यक्ति थे, लोग मानते थे कि वह सिर्फ अमीरों के साथ ही रहना पसंद करते हैं। ओशो के पास 98 रोल रॉयस कारें थी जो सभी उनके शिष्यों द्वारा दान किए गए थे। जब लोगों ने उनसे पूछा कि उन्होंने उन्हें गरीबों को क्यों नहीं दान दिया, तो उन्होंने कहा, “दुनिया में हर धर्म गरीबों की देखभाल कर रहा है, वे मुझे सिर्फ अमीरों की देखभाल करने क्यों नहीं दे सकते?”
- ओशो ने जिस पुस्तक की सबसे अधिक प्रशंसा की, वह थी ‘The Book of Mirdad’, जिसे दुनिया भर के कुछ ही लोग पढ़ते हैं, और यह किताब बहुत कम पसंद की जाती हैं।
- अपने शोध प्रबंध में, उन्होंने ज्यादातर दुनिया भर से धार्मिक परंपराओं, मनीषियों और दार्शनिकों के लेखन पर अपने मूल विश्लेषण और विचारों के बारे में बात की। सिर्फ यही एक ऐसा कारण था जिसकी वजह से पश्चिमी देशों के लोग उनसे जुड़ते चले गए।
- ऐसा माना जाता है कि 1981 में अमेरिका चले जाने के पीछे का कारण भारत में उनके लगातार गिर रही प्रशंसकों की संख्या थी। इस वजह से परेशान होकर और शो संयुक्त राज्य अमेरिका चले गए जहां पर उनके प्रशंसकों द्वारा एक इंटरनेशनल कम्यून की स्थापना की गई जिससे राजनीशपुरम के नाम से जाना जाता है।
- क्योंकि वह सो के पिता बाबूलाल जैन कपड़ा व्यापारी थे इसलिए अधिक व्यस्त रहते थे जिसके कारण और शव को अपने नाना-नानी के साथ रहने का ज्यादा अवसर मिला और वह अपनी नानी से ज्यादा प्रभावित थे। ओशो की माता का नाम सरस्वती था।
- ओशो अपने जन्म से 3 दिनों तक न तो हसे और ना ही रोए थे उनकी यह बात लोगों में चर्चा का विषय बन गई थी।
- ओशो एक जिद्दी टाइप के बच्चे थे, बड़ी प्रचलित कहानी है कि वह सब एक बार हाथी पर बैठकर स्कूल जाने की जिद करने लगे जिसके बाद उनके पिता ने हाथी मंगाई और ओशो हाथी पर बैठकर स्कूल गए थे।
- कहते हैं कि ओशो सम्मोहन के बड़े गहरे ज्ञाता थे, अक्सर याद चिप लगाया जाता है कि वह हर किसी को सम्मोहित कर लेते थे जिसके कारण भारी तादाद में उनके फॉलोअर्स की संख्या बढ़ती चली गई।
- 21 साल की उम्र में, उसके माता-पिता ने उन पर शादी करने के लिए दबाव डाला लेकिन होना कुछ और ही था। 21 मार्च, 1953 को वह जबलपुर के भंवरताल गार्डन में एक पेड़ के नीचे आध्यात्मिक रूप से प्रबुद्ध हो गए।
- ओशो की सचिव लक्ष्मी ठकरसी कुरुवा थी जो उनके एक फालोवर की बेटी थी, कहा जाता है कि लक्ष्मी ठकरसी कुरुवा ओशो की पहली शिष्य बनीं और उनका नाम ओशो द्वारा ‘मा योग लक्ष्मी’ रखा गया था।
Osho Amazing Facts in Hindi: मौत को लेकर मतभिन्नता
- 9 जनवरी, 1990 को पुणे में दिल का दौरा पड़ने से ओशो रजनीश की मृत्यु हो गई। लेकिन कुछ सूत्रों का कहना है, वह अमेरिका की सरकार के साजिस का शिकार होकर मौत को प्राप्त हो गये। अमेरिकी सरकार ने अशोक को बगैर किसी सबूत को गिरफ्तार किया था और उनको जेल में डाल दिया था जहां पर ऐसा माना जाता है कि हमको थेलेनियम नाम का एक स्लो पाइजन दिया गया जिसके कारण उसकी मौत हो गई।
- वर्ष 1991 भारतीय अखबार ने भारत भारत के भाग्य को बदलने वाले सबसे 10 प्रभावशाली लोगों में औरतों के नाम को शामिल किया जिसके बाद से उसके प्रशंसकों की अपार वृद्धि देखने को मिली।
- पुणे में उनका आश्रम आज ओशो इंटरनेशनल मेडिटेशन रिज़ॉर्ट के रूप में जाना जाता है। यह भारत के प्रमुख पर्यटक आकर्षणों में से एक है और हर साल दुनिया भर से लगभग दो लाख से अधिक लोग यहां विभिन्न कारणों से आते हैं।
- ओशो ने डायनेमिक मेडिटेशन की शुरुआत सन 1970 से की। डायनेमिक मेडिटेशन एक ऐसी प्रक्रिया है जिससे लाखों युवाओं की जिंदगी में परिवर्तन हुआ है। यह 21 दिवसीय कैप्सूल कोर्स के तौर पर देखा जाता है, इसे करने वाले व्यक्तियों में अप्रत्याशित तौर पर एनर्जी की वृद्धि दर्ज की जाती है।
- ‘संभोग से समाधि तक’ एक ऐसी किताब रहे जो सबसे ज्यादा चर्चित और विवादित रहे, लोगों का मानना था कि वह सो भारतीय संस्कृति को खतरा पहुंचाने का काम कर रहे हैं इसी वजह से इस किताब का विरोध चरम सीमा पर पहुंच चुका था।
- मस्तो बाबा, पागल बाबा और मक्का बाबा जैसे मनीषियों के साथ रहते हुए भी ओशो उन सभी में हमेशा सर्वश्रेष्ठ ही गिने जाते थे और सबसे आश्चर्य की बात यह है कि यह तीनों बाबा ओशो के पैर छूते थे।
- ओशो रजनीश रायपुर विश्वविद्यालय में संस्कृत के लेक्चरर के तौर पर अपनी सेवाएं भी दी लेकिन उनकी अनोखी जीवन शैली और तार्किक क्षमता के आ गया किसी भी शिक्षक यह प्रधानाध्यापक की एक में चलती थी यही वजह रहा कि रायपुर विश्वविद्यालय के कुलपति ने उनका तबादला कर दिया और बाद में वह जबलपुर यूनिवर्सिटी में दर्शनशास्त्र के लेक्चरर बन गया।
- गांधीवाद और समाजवाद यह दोनों ओशो के फेवरेट सब्जेक्ट थे, इस सब्जेक्ट पर अक्सर वह लोगों को भाषण देते हुए देखे जाते थे इसी वजह से वह धीरे धीरे ओशो रजनीश के नाम से ख्याति लब्ध होने लगे।
- महात्मा गांधी से मिलने का पागलपन भी और सुखी जीवन का एक चर्चित केंद्र बिंदु का, कहते हैं कि लोगों के साथ महात्मा गांधी से स्टेशन पर मिलने और सो 10 वर्ष किया गया पहुंचे थे ट्रेन लेट हो चुकी थी लोग इंतजार करते चुके थे और एक-एक कर स्टेशन से जाने लगे लेकिन और सो लंबे वक्त तक वह इंतजार करते रहे।
- उसे पूरी दुनिया की यात्रा कर 1971 के बाद पुणे आश्रम में स्थाई तौर पर रहने लगे, रोज 90 मिनट का प्रवचन देते थे और अपने सन्यासियों को आनंदित जीवन जीने के बारे में प्रेरित करते रहते थे।
- बहुत कम ही ऐसे विषय बच्चे होंगे जिस पर उसने अपनी विचारधारा ने व्यक्त किया। सभी धर्मों, सभी धर्म की किताबों और यहां तक कि 11 अध्याय को खुलकर उन्होंने बताया है। भगवत गीता के बारे में तो ओशो के प्रवचन आज भी लाजवाब है।
- इस तरह से 58 वर्ष की आयु में ओशो इस दुनिया से विदा हो गया, उनके बारे में कहा जाता है कि न ही वो कभी जन्मे और ना ही कभी मौत को प्राप्त हुए। सिर्फ 58 वर्षों के लिए वह धरती पर विचरण करने के लिए आए थे।
Osho Amazing Facts in Hindi का यह आलेख आपको केसा लगा हमें जरूर बतायें, हमें आपके जवाब की प्रतीक्षा रहेगी। Osho Amazing Facts in Hindi के इस आलेख में हमसे कुछ छूट गया हो तो आपसे निवेदन है कि हमें अवश्य अवगत करायें।
ओशो शब्द का क्या अर्थ है || What is Meaning of Osho
कहते हैं कि रजनीश ने अपना नाम और सो अपने जीवन के अंतिम समय में रखा। आपको बता दें कि ओशो अंग्रेजी कवि विलियम जेम्स की कविता और ओशनिक एक्सपीरियंस से लिया गया है जिसका अर्थ होता है सागरी अनुभव यानी समुद्र जैसे विराट या विस्तृत होने का एक्सपीरियंस। ओशनिक एक्सपीरियंस ऐसे समझे जैसे कि एक बूंद सागर में गिरे तो वह सागर बन जाती है ठीक उसी तरह से आत्मा परमात्मा में मिलती है तो वह परमात्मा बन जाती है। रजनीश ने ओशनिक एक्सपीरियंस का अनुभव करते हुए एक नया शब्द अपने लिए बनाया।
Osho hindi quotation
- यहाँ कोई भी आपका सपना पूरा करने के लिए नहीं है। हर कोई अपनी तकदीर और अपनी हक़ीकत बनाने में लगा है।
- कोई चुनाव मत करिए। जीवन को ऐसे अपनाइए जैसे वो अपनी समग्रता में है।
- केवल वो लोग जो कुछ भी नहीं बनने के लिए तैयार हैं प्रेम कर सकते हैं।
- जब प्यार और नफरत दोनों ही ना हो तो हर चीज साफ़ और स्पष्ट हो जाती है।
जीवन ठहराव और गति के बीच का संतुलन है।
- मूर्ख दूसरों पर हँसते हैं। बुद्धिमत्ता खुद पर।
- अगर आप सच देखना चाहते हैं तो ना सहमती और ना असहमति में राय रखिये।
- उस तरह मत चलिए जिस तरह डर आपको चलाये। उस तरह चलिए जिस तरह प्रेम आपको चलाये। उस तरह चलिए जिस तरह ख़ुशी आपको चलाये।
- आप जितने लोगों को चाहें उतने लोगों को प्रेम कर सकते हैं- इसका ये मतलब नहीं है कि आप एक दिन दिवालिया हो जायेंगे, और कहेंगे,” अब मेरे पास प्रेम नहीं है”। जहाँ तक प्रेम का सवाल है आप दिवालिया नहीं हो सकते।
- किसी से किसी भी तरह की प्रतिस्पर्धा की आवश्यकता नहीं है। आप स्वयं में जैसे हैं एकदम सही हैं। खुद को स्वीकारिये।
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