OSHO Dynamic Meditation in Hindi: 1 क्लिक पर जानें जादुई ध्यान प्रक्रिया के बारे में
OSHO Dynamic Meditation in Hindi: महर्षि रजनीश ओशो ने ध्यान की अनेकों विधियां अपने साधकों के लिए बताए हैं, इनमें से #डायनेमिक_मेडिटेशन एक ऐसी प्रक्रिया है जो शारीरिक और मानसिक स्तर पर सभी तरह की टूट-फूट को सही करने में सक्षम है।
डायनेमिक मेडिटेशन (#Dynamic_Meditation) आज की भाग दौड़ भरी जिंदगी में, खासकर युवाओं के लिए एक ऐसी सीढ़ी है जिसके जरिए ध्यान की आनंदमई दुनिया में बहुत आराम से गोता लगाया जा सकता है।
डायनेमिक मेडिटेशन करने के बाद मन एकदम शांत, स्थिर और आह्लादित होता है इसी भाव दशा को बरकरार रखने के लिए यह ध्यान प्रक्रिया ओशो ने करिश्माई तरीके से इजाद की।
डायनेमिक मेडिटेशन (OSHO Dynamic Meditation in Hindi) एक घंटे की प्रक्रिया है। इसमें पाँच चरण होते हैं। इस पूरे ध्यान प्रक्रिया के दौरान आपको सिर्फ एक चीज का ध्यान रखना है कि आप जो भी कर रहे हैं उस पर होश बना कर रखना है, सचेत रहना है किसी भी तरह से आपका ध्यान भटकता है तो पुन: जब भी याद आए तो सचेत हो जाएं आपको सिर्फ जो कर रहे हैं उसके साक्षी बने रहे। इस ध्यान के चौथे चरण में साधकों को आप पूरी तरह से ध्यानमग्न होने का अवसर मिलता है। पूरे मन से कर रहे हैं, तो यह सतर्कता अपने चरम पर आ जाएगी।
नाक से सांस लेते हुए, श्वास को तीव्र, गहरी, बिना लय के, बिना किसी पैटर्न के सांस अंदर खीचें, पूरी तरह से फेफड़ों को सांस से भर दें और पूरी तरह से खाली भी करें। सांस फेफड़ों में गहराई तक जाना चाहिए। अपने शरीर में ऊर्जा के उत्पन्न होने का अनुभव करें और अराजकता पूर्वक सांस लेना व छोड़ना जारी रखें।
दूसरा चरण नयें साधकों के लिये बड़ा कौतूहल पूर्ण हो सकता है। क्योंकि इस दौरान हमें अपने शरीर की दबी-कुचली, व्यक्त-अव्यक्त भावनाओं को बगैर किसी बाधा के पूर्ण रूप से प्रस्तुत करना है। मन शोर मचाने का है तो मचाओ, रोने का है रो लो, कूदो, हंसो, गाओ या फिर जो भी मन से स्वत: अभिव्यक्ति बाहर आ रही है तो उसे बाहर आने दें, बस आपको उनपर किसी भी प्रकार का अवरोध नहीं उत्पन्न करना है।
अगर स्वत: कुछ नहीं बाहर आ रहा है तो थोड़ा सा नाटक कर सकते हैं, अभिनय कर सकते हैं। एकदम से बाहर नहीं आती अभिव्यक्ति थोड़ा वक्त लगता है।
अपने दोनों हाथों को हवा में उपर उठाते हुये छलांग लगायें और जैसे ही नीचे जमीन पर पैर आये तो पंजों को सबसे पहले जमीन पर रखें और फिर एड़ियों को जमीन में टच कराते हुये मुंह से “हू” शब्द का उच्चारण करें और साथ ही नाभि पर चोट करें। नाभि अंदर जाने के साथ ही ‘हू’ शब्द को उच्चारित करना है।
हर बार जब आप अपने पैरों के पंजों पर उतरते हैं, तो ध्वनि को सेक्स सेंटर में गहराई तक जाने दें। पूरी ऊर्जा के साथ ऐसा करना है और कुछ भी शेष नहीं रहने देना है।
यह चरण स्टैचू बनने वाले गेम की तरह ही है। म्यूजिक में स्टॉप की आवाज के साथ ही आपको जिस स्थिति में हैं उसी स्थिति में स्टैचू हो जाना है। शरीर में कहीं खुजली हो रही है तो उसेे देखते रहें, खांसी उठ रही है तो दबा लें, कोई अन्य हरकत करने का मन हो रहा है तो ऐसा न करें। वरना आपकी ऊर्जा बर्बाद हो सकती है। साक्षी भाव से सिर्फ देखते रहना है कि आपके साथ हो क्या रहा है?
इस चरण में आपको संगीत का आनंद लेना है और संगीत की धुन पर खुद को थिरकने देना है। इंज्वाय करें, आनंदित हो उठें, आह्लादित रहें। 15 मिनट का यह अंतिम चरण बेहद अहम होता है।
यदि आप जहां ध्यान कर रहे हैं वहां पर शोर-शराबा करना अनुचित लगता हो तो आप मूक विकल्प के द्वारा डायनेमिक मेडिटेशन को कर सकते हैं। ध्वनियों को बाहर फेंकने के बजाय, दूसरे चरण में कैथार्सिस को पूरी तरह से शारीरिक क्रियाओं के माध्यम से होने दें। तीसरे चरण में, ध्वनि ‘हू’ अंदर चुपचाप किया जा सकता है, और पांचवां चरण एक अभिव्यंजक नृत्य बन सकता है।
ओशो कहते हैं कि, साक्षी बने रहो। खोना नहीं है। खो जाना आसान है। जब आप श्वास ले रहे हैं तो आप खुद को होस में रखें। आप श्वास के साथ एक हो सकते हैं ताकि आप साक्षी बन सकें। देखें कि क्या हो रहा है जैसे कि आप सिर्फ एक दर्शक हैं, जैसे कि पूरी चीज किसी और के लिए हो रही है, जैसे कि पूरी चीज शरीर में हो रही है और चेतना सिर्फ केंद्रित है और देख रही है। यह साक्षीभाव सभी तीन चरणों में किया जाना है। और जब सब कुछ बंद हो जाता है, और चौथे चरण में आप पूरी तरह से निष्क्रिय, स्टैचू हो जाते हैं, तो यह सतर्कता अपने चरम पर आ जाएगी।
इसमें समय लगता है- इसे महसूस करने के लिए कम से कम तीन सप्ताह की आवश्यकता होती है और एक अलग दुनिया में जाने के लिए तीन महीने का समय चाहिए। लेकिन वह भी तय नहीं है। यह अलग-अलग व्यक्तियों के लिये अलग-अलग होता है। यदि आप अपना शत प्रतिशत देते हैं तो यह तीन दिनों में भी हो सकती है।
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