फीचर्ड

पीएम मोदी ने राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन से की मुलाकात

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ब्रिक्स यानि ब्राजील, भारत, चीन, रूस और दक्षिण अप्रीका के मुख्य सदस्यों वाले संगठन की बैठक में भाग लेने के लिए रूस के कजान शहर में हैं। वहां पर उन्होंने रूस के राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन से मुलाकात की तथा दोनों के बीच द्विपक्षीय बैठक विशेष एवं विशेषाधिकार प्राप्त रणनीतिक साझेदारी को और मजबूती प्रदान करने के उद्देश्य से की गईं।

कूटनीति की सार्थकता की कसौटी मात्र गोलबंदी ही नहीं है जो शीत युद्ध के दौरान मानी जाती थी, बल्कि सच तो यह है कि कूटनीतिक कौशल की कसौटी विशुद्ध रूप से राष्ट्रीय हितों के सुरक्षा एवं संवर्धन है। प्रधानमंत्री चाहते तो जिस तरह उन्होंने एससीओ की बैठक में अपने विदेश मंत्री को इस्लामाबाद भेज दिया, वैसे ही कजान भी भेज देते, किन्तु उन्हें पता है कि ब्रिक्स सम्मेलन में हिस्सा लेने जाएंगे तो वहां पर उनकी मुलाकात रूस के राष्ट्रपति से भी होगी। इस सम्मेलन में चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिग को भी शामिल होना था और एक दिन पहले ही भारत व चीन के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा पर समझौता हुआ है, इसलिए दोनों देशों के नेता एक दूसरे के सामने असहज भी नहीं होंगे।

इस बैठक का सबसे बड़ा महत्व यह है कि ब्रिक्स की छतरी के नीचे तुर्की जैसा नाटो का सदस्य देश भी आने के लिए लालायित है। भारत का इस वक्त दक्षिण पूर्व एशिया और अफ्रीकी महाद्वीप के देशों में पैठ बनाने का प्रयास है। इन दोनों ही क्षेत्रों के कई देशों में चीन की पहले गहरी पैठ थी, किन्तु आर्थिक मामलों में खटपट एवं क्षेत्रीय सुरक्षा के मुद्दे पर चीन से मनमुटाव चल रहा है। भारत की कोशिश है कि एक तरफ दक्षिण पूर्व एशिया में वह अमेरिका, आस्ट्रेलिया और जापान के साथ मिलकर चीन विरोधी देशों को क्वाड यानि ‘चतुष्पक्षीय वार्ता’ की सदस्यता दिला कर सक्रिय करे, जबकि दूसरी ओर ग्लोबल साउथ जो चीन के ठगी के शिकार हुए हैं उन्हें रूस, ब्राजील और दक्षिण अफ्रीका की मदद से ब्रिक्स की सदस्यता दिलाईं जा सके।

अब रही बात रूस के राष्ट्रपति पुतिन से मुलाकात की तो भारत ऐसे समय पर रूस के शीर्ष नेतृत्व से मिल रहा है जब अमेरिका और कनाडा भारतीय एकता और अखण्डता को चुनौती देने वाले खालिस्तानी आतंकियों के प्राति संवेदना दिखा रहे हैं। भारत के वांछित खालिस्तान समर्थक आतंकियों के लिए हमदर्दी और भारतीय एकता व अखण्डता के प्रति अमेरिकी संकल्प का दोहरा मापदंड ऐसी पहेली बन चुका है कि भारत इस पचड़े में पड़े बिना ही अपनी कूटनीतिक कौशल से सभी पक्षों को साधने के लिए प्रतिबद्धता दिखा रहा है।

प्रधानमंत्री मोदी की यात्रा का तीसरा उद्देश्य रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध को रोकने की रणनीति होगा। संभव है कि रूस के राष्ट्रपति को प्रधानमंत्री मोदी का सुझाव पसंद न आए किन्तु आवश्यक है कि उन्हें सुझाव के सार्थकता का एहसास कराया जाए। बैठक में एजेंडे के रूप में पश्चिम एशिया संकट भले ही न आए किन्तु सभी के हित इजरायल और लेबनान व ईंरान से युद्ध से प्रभावित होना पड़ रहा है। कहने का सार यह है कि रणनीतिक दृष्टि से प्रधानमंत्री मोदी का ब्रिक्स सम्मेलन में हिस्सा लेना बहुत ही महत्वपूर्ण साबित होगा।

News Desk

आप अपनी खबरें न्यूज डेस्क को eradioindia@gmail.com पर भेज सकते हैं। खबरें भेजने के बाद आप हमें 9808899381 पर सूचित अवश्य कर दें।

Recent Posts

यूक्रेन को उसके की शांति समझौता में नहीं बुलाया

एडिलेड। सऊदी अरब में अमेरिकी और रूसी अधिकारियों के बीच इस हफ्ते होने वाली महत्वपूर्ण…

4 days ago

भारत टेक्स 2025: ग्लोबल टेक्सटाइल कंपनियों के लिए भारत बना भरोसेमंद बाजार

नई दिल्ली। सरकार ने कहा है कि भारत के 5एफ विजन – फार्म (खेत) से…

7 days ago

भारत बनेगा परमाणु ऊर्जा का पावरहाउस: केंद्रीय मंत्री

नई दिल्ली। केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि ‘विकसित…

7 days ago

नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर भगदड़, 18 की मौत

नई दिल्ली। नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर बड़ा हादसा हो गया है। यहां महाकुंभ की…

7 days ago

KMC Cancer Hospital में कैंसर गोष्ठी आयोजित

KMC Cancer Hospital में अन्तर्राष्ट्रीय ओएमएफ डे के अवसर पर कैंसर गोष्ठी का आयोजन किया…

1 week ago

Aaj Ka Rashifal: जानें क्या लिखा है आज के राशिफल में

Aaj Ka Rashifal: आज के राशिफल में क्या कुछ लिखा है इसे जानने के लिये…

1 week ago

This website uses cookies.