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काव्य संग्रह रिश्ते-नाते का विमोचन

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मेरठ। संस्कार भारती एवं अराध्या प्रकाशन के संयुक्त तत्वावधान में श्रीराम भवन लालकुर्ती में रिश्ते-नाते नाम के साझा काव्य संग्रह का विमोचन कार्यक्रम के अतिथि डा. एस.डी. धीमान, लता बंसल, डा. ईश्वर चंद गंभीर, अनिरूद्ध गोयल, कैप्टन सी.पी. यादव द्वारा संयुक्त रूप से किया गया।

इस साझा काव्य संग्रह में देश के 30 कवियों की रचनाएं प्रकाशित की गई हैं जो रिश्तों पर आधारित हैं। भाजपा सांस्कृतिक प्रकोष्ठ के महानगर संयोजक मनमोहन भल्ला ने सभी को शुभकामनाएं प्रेषित की। कार्यक्रम की शुरूआत मां शारदे के सम्मुख दीप प्रज्ज्वलित कर की गई तत्पश्चात कवयित्री रचना वानिया ने मां शारदे की वंदना कुछ इस प्रकार कि हे वीणा वादिनी माँ शारदे, कर भव सागर से माँ पार दे। सुनाकर कार्यक्रम की विधिवत शुरूआत की।

कार्यक्रम के दूसरे चरण में कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। कवि जगतवीर त्यागी ने सुनाया मर्यादाएं टूट रहीं रिश्तों का खून हुआ कवयित्री रेखा गिरीश ने सुनाया जब मैं पढना सीख जाउंगी तुमको भी सिखला दूंगी मां। कवयित्री नीलम मिश्रा तरंग ने सुनाया जिन्दगी के सफर और गर्दिशों की धूप में जब कोई साया दिखाई नहीं देता तब दिखाई देती है मां।

कवयित्री राजरानी ने सुनाया जीवन मूल्य सिखाने को मां हर जगह विद्यमान होती है। कवयित्री स्वाति सिंह ने सुनाया ममता का एक अहसास कराती है एक मां। कवयित्री नीलम सिंघल ने सुनाया मां बदल रही है, मां अब दिखती नहीं मैली साडी में। कवियत्री पूनम शर्मा ने पढ़ा मैं शीला हूं मुझ पर राम लिख दो। कवयित्री रीना मित्तल ने सुनाया तुमसे मिलकर जाना मैंने कि यह प्यार क्या है। कवयित्री अरूणा पंवार ने सुनाया कभी अभिमान तो कभी स्वाभिमान है पिता।

कवि ताराचंद मानव ने सुनाया ये रिश्ते कौन बनाता है जो सबका भाग्य विधाता है। कवयित्री रामकुमारी ने सुनाया बचपन में ही रूठ गया हो जिनसे पिता का प्यार। कवयित्री मुक्ता शर्मा ने सुनाया सब तेरी माया है मां, मां तुम्हारा सौम्य चेहरा। कवयित्री रचना सिंह वानिया ने सुनाया मां ने दिया है जीवन, मां ने ही है हमको पाला। कवयित्री बीना सिंह मंगल ने सुनाया कई वर्षों के बाद वो दोनों अचानक एकदूजे से मिले जीजा साली।

कवि मंगल सिंह मंगल ने सुनाया करती मुझसे है देखो प्यार भाभी, मुख से करती है जब इजहार भाभी। कवि अदील अहमद ने सुनाया मां मेरी एक कैमरे की तरह कितने दुख टॉलरेट करती है। कवि राम अवतार त्यागी अंजान ने सुनाया जरूरी हो गया आजकल बच्चों को संस्कार दें। कैप्टन चन्द्रपाल सिंह ने सुनाया मात पिता की प्यारी भेज दई ससुराल।

कवि कुमार आदेश शिखर ने सुनाया ये बहन अब जा रही है दूसरे परिवार में। कवि ईश्वर चंद गंभीर ने सुनाया संस्कारों को तो घर से निकाल रखा है, अपने मां बाप को आश्रम में डाल रखा है। कवि सुदेश यादव दिव्य ने सुनाया सकल संसार मां से है, ये ममता प्यार मां से है, ये हंसता खेलता पूरा मेरा परिवार मां से है। कवयित्री शोभा रतूडी ने सुनाया सृष्टि के रचनाकार का प्रथम मंत्र, शिशु के स्वर की प्रथम ध्वनि मां।

कार्यक्रम का संचालन डा. सुदेश यादव दिव्य एवं नीलम मिश्रा ने संयुक्त रूप से किया। कार्यक्रम की संयोजिका रचना सिंह वानिया थी। कार्यक्रम में कवि संजीव त्यागी, कवि ध्रुव श्रीवास्तव, कवि नरेन्द्र त्यागी, संजय त्यागी मौजूद रहे।

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