ई रेडियो इंडिया
झांसी में एसटीएफ के साथ शुक्रवार को मुठभेड़ में माफिया अतीक अहमद के पांच लाख के इनामी बेटे असद अहमद के मारे जाने के बाद मुहल्ले चकिया के लोगों में गम और गुस्सा दोनों नजर आया। एक तरफ महिलाएं बुर्के में मातमपुरसी के लिए बैठी रहीं, तो पड़ोसियों से लेकर नाते-रिश्तेदारों और जानने वालों की दिन भर भीड़ लगती रही।
कब्र की खुदाई के बीच वहां पहुंचे लोगों ने एसटीएफ की कार्रवाई पर सवाल उठाए। लोगों का कहना था कि असद के गुनाहों का फैसला कोर्ट के ऊपर छोड़ देना चाहिए था। एसटीएफ ने मुठभेड़ में उसे ढेर कर न्याय नहीं किया।
उन्होने कहा कि असद पुराना और पेशेवर अपराधी नहीं था कि उसे इस तरह मुठभेड़ में मार दिया गया। बुजुर्ग उबैद अहमद का कहना था कि किसी को मजहब के नाम पर इस तरह की सजा नहीं दी जानी चाहिए। असद को पकड़ा जा सकता था। उसने गुनाह किया था तो उसे उसकी कोर्ट के जरिए सजा दिलाई जानी चाहिए थी ना कि उसका एनकाउंटर करना चाहिए था।