Ritesh Rajwada Sultanpur ने बढ़ाया सुल्तानपुर का नाम
Ritesh Rajwada Sultanpur ने बढ़ाया सुल्तानपुर का नाम

Ritesh Rajwada Sultanpur ने बढ़ाया सुल्तानपुर का नाम

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  • सुल्तानपुर || ई-रेडियो इंडिया

Ritesh Rajwada Sultanpur अब किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं। कविता पाठ की गलियों से चहलकदमी करते हुए रितेश रजवाड़ा अब सपनों की नगरी मुबई में जा पहुंचे हैं। जनपद सुल्तानपुर की विख्यात लोगों की लिस्ट में एक नया नाम जोड़ते हुए Ritesh Rajwada Sultanpur का नाम रौशन कर रहे हैं।

शुरुआत छात्रों के बीच से हुई, राजनीति में कदम रखने के बाद कवि बने और अब आगे का रास्ता तय कर रहे हैं। पिछले दिनों एफएम रेनबो के चैनल पर उनका इंटरव्यू प्रसारित हुआ तो जनपद के युवाओं में एक नया जोश देखने को मिला।

https://www.facebook.com/rajwadaritesh/photos/a.108264787242789/650769206325675/?type=3

Ritesh Rajwada Sultanpur के लंभुआ के रहने वाले हैं। उनके गांव का नाम रजवाड़े रामपुर है, शायद इसीलिए उन्होंने गांव को सरनेम बना लिया। शुद्ध हिंदी शैली और खांटी देसी अंदाज में युवाओं को प्रेरित करने का भी काम अब उनके जिम्मे आ पड़ा है।

Ritesh Rajwada Sultanpur ने बताया कि बॉलीवुड में सैकड़ों गीत व पटकथा लिखकर अपना एक अलग मुकाम हासिल करने वाले मनोज मुंतशिर ने उन्हें उंगली पकड़ कर आगे बढ़ाया। जनपद सुल्तानपुर के हिट लिस्ट में शामिल लोगों जैसे मजरूह सुल्तानपुरी, अजमल सुल्तानपुरी, पं. राम नरेश त्रिपाठी, डॉ. डीएम मिश्र जैसे कवि एवं साहित्यकारों की लिस्ट में आने को बेताब हैं।

यहां पढ़ें उनकी शानदार रचना- वो गुलमोहर सी लड़की

वो गुलमोहर सी लड़की
उसकी गुदाज़ बाहें
वो धूप धूप सांसे
वो नर्म नर्म आहें
खुशरंग तितलियों सी

वो गुलमोहर सी लड़की

इक धुंध सी हक़ीक़त
कुछ वक़्त सी रवानी
सोचो तो जैसे खुशबू
पकड़ो तो जैसे पानी,

इक दीप सा जले है
वो जब भी मुस्कुराए
वो हाथ भी बढ़ा दे
तो चांद तोड़ लाए
हर शय पे उसका काबू
हर चीज़ उसके मन की

वो गुलमोहर सी लडक़ी

हाय.. जिस्म की बनावट
किस चाक पे बनी है?
किस रंग ने रंगा है?
किस घाट पे सनी है?
जी चाहता है उसपे
कुछ नज़्म सा लिखूं मैं
जी भर के उसको रंगू
फिर रंग चूम लूं मै
उफ्फ नाज़ुकी अलहदा
पत्ते पे ओस जैसी

वो गुलमोहर सी लड़की

वो रुनझुनें सुनी हैं!
बछड़े के घुंघरुओं की!
दुल्हन के करधनों की!
गेंहूं के बालियों की!

हंसती है खिलखिला के
जैसे कि बूंद बरसे
जैसे के जंगलों से
नदिया कोई उतर के
बेलौस नाचती है
खेतों को सींचती है
हर ओर दौड़ती
अलमस्त बावरी सी

वो गुल मोहर सी लड़की

लड़कियां देर से समझतीं हैं यहां वीडियो में देखें-

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पत्रकारिता में बेदाग 11 वर्षों का सफर करने वाले युवा पत्रकार त्रिनाथ मिश्र ई-रेडियो इंडिया के एडिटर हैं। उन्होंने समाज व शासन-प्रशासन के बीच मधुर संबंध स्थापित करने व मजबूती के साथ आवाज बुलंद करने के लिये ई-रेडियो इंडिया का गठन किया है।

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