पितृपक्ष खत्म होते ही शारदीय नवरात्रि की शुरुआत हो जाती है. 2 अक्टूबर को श्राद्ध समाप्त होंगे और गुरुवार 3 अक्टूबर 2024 से शारदीय नवरात्रि शुरू हो जाएगी. नव दिवसीय नवरात्रि में माता रानी के अलग-अलग नौ रूपों की पूजा का महत्व है. नवरात्रि के बाद दसवें दिन दशहरा मनाया जाता है। शारदीय नवरात्रि के नौ दिनों तक माता रानी अपने नौ रूपों में पृथ्वी पर ही वास करती हैं। ऐसी मान्यता है कि इन नौ दिनों में मां दुर्गा की पूजा कर उन्हें शीघ्र प्रसन्न कर सकते हैं। मां दुर्गा की पूजा से व्यक्ति के सभी रोग, दोष आदि मिट जाते हैं और सुखों की प्राप्ति होती है। लेकिन इस बात का ध्यान रखें कि नवरात्रि शुरू होने से पहले घर पूरी तरह से शुद्ध, पवित्र और सकारात्मक हो. इसलिए शारदीय नवरात्रि से पहले ऐसी चीजों को घर से बाहर फेंक दें, जिससे नकारात्मक ऊर्जा तेजी से बढ़ती है।
नवरात्रि में पवित्रता बहुत जरूरी है. इसलिए नवरात्रि शुरू होने से पहले घर की अच्छी तरह से साफ-सफाई कर लें. क्योंकि मां दुर्गा ऐसे घर पर वास करती हैं जहां स्वच्छता का ध्यान रख जाता हो। खासकर मांस-मदिरा और प्याज, लहसुन जैसी तामसिक चीजें हटा दें. इन चीजों के घर पर रहते यदि आप मां दुर्गा की पूजा करेंगे तो इससे माता रानी नाराज हो जाएंगी।
घर पर जो भी टूटे-फूटे बर्तन, टूटी मूर्तियां, फटे-पुराने कपड़े या बेकार जूते चप्पल हों तो उन्हें भी शारदीय नवरात्रि से पहले ही बाहर फेंक दें. इन चीजों से घर पर तेजी से नकारात्मक ऊर्जा बढ़ती है। कई लोग माचिस जालकर इसकी तिल्लियों को एक जगह पर जमा करते जाते हैं. अगर आपके घर पर भी जली हुई माचिस की तिल्लियां हों तो इन्हें शारदीय नवरात्रि से पहले जरूर हटा लें. साथ ही जली हुई रूई की बाती, धूप या अगरबत्तियों के टुकड़ों को भी हटा देना चाहिए।
बता दें कि जिन लोगों ने 9 दिन तक व्रत रखें हैं वह चैत्र नवरात्रि के आखिरी दिन महानवमी पर मां सिद्धिदात्री की पूजा कर हवन करें. साथ ही कलश स्थापना के दिन जो ज्वारे बोए थे, उन्हें नदी में प्रवाहित करें. हवन और ज्वारे विसर्जन के बाद ही अन्न ग्रहण करें, नहीं तो नौ दिन की पूजा निष्फल हो सकती है।
नवरात्रि का व्रत पारण कन्या पूजन के बाद ही करना अधिक शुभ माना जाता है. जिस दिन व्रत खोलना है उस दिन 9 कन्याओं का पूजन करें, उन्हें हलवा, पूड़ी, खीर, चने का भोजन कराएं और दक्षिणा देने के बाद ही व्रत खोलें. शास्त्रों के अनुसार व्रत के पारण में सात्विक भोजन ही करें. माता के प्रसाद के लिए जो भोग बनाया है उसे ग्रहण करके ही व्रत खोलें. तभी आपका व्रत पूरा होगा और आपकी सभी मनोकामनाएं पूरी होंगी. जो लोग सभी नियमों का पालन करते हैं उन्हें अक्षय फलों की प्राप्ति होती है. साथ ही मां दुर्गा का आशीर्वाद मिलता है।
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