पांच दिवसीय दीपोत्सव आज से शुरू, बाजार हुआ गुलजार

पांच दिवसीय दीपोत्सव आज से शुरू हो रहा है। पहले दिन धनतेरस त्योहार है। इस मंगलवार होने से धनतेरस पर मंगल ही मंगल होगा। धनतेरस पर ज्यादातर लोग अपनी सुविधा अनुसार सोना-चांदी, आभूषण, कीमती धातु, बर्तन वाहन आदि ज्यादा खरीदते हैं। इसलिए बाजार पहले से ही तैयार है।

दीपावली से पहले सोना और चांदी में चमक कम हो गई है। सोमवार शाम सोना 80 हजार तो चांदी 980 रुपए प्रति 10 ग्राम विकी। दोनों धातु में महंगी होने पर भी इसके ग्राहक काम नहीं हो रहे हैं हजारों ग्राहकों में धनतेरस पर कीमती धातुएं खरीदने हेतु एडवांस बुकिंग कर रखी है। सराफा बाजार और शोरूम सजकर तैयार है। बर्तन और ऑटोमोबाइल बाजार भी चमक बनाए हुए हैं।

दीपावली से पहले ही लोग खरीदारी में लगे हुए हैं लेकिन रविवार से बाजार में ज्यादा खरीदारी शुरू हो गई। सजावट झालर लाइट दिया आदि बिक्री खूब हो रही है। मिट्टी से बने गणेश जी और लक्ष्मी जी ज्यादा बिक रहे हैं। हालांकि तमाम लोग चांदी से बने प्रतिमाएं ले रहे हैं। लोग द्वार पर सजाने के लिए बंदनवार आदि की खरीदारी कर रहे हैं। बाजार में सजे लक्ष्मी गणेश लोगों के क्लेशों को हरने के लिए तैयार हैं। आभूषणों का बाजार चमक विखेर रहा है। तमाम योग व ग्रहों के संयोग भी दीपोत्सव महापर्व को मंगलमय बनाएंगें।

दीपावली पर भ्रम दूर, 31 को मनाएं

इस साल दीपावली पर्व पर तारीख को लेकर पंचांग भ्रामक मतभेद पैदा हुआ है। लेकिन विद्वान ज्योत इस ज्योतिष आचार्य और प्रखंड पंडितों ने 31 अक्टूबर यानी गुरुवार में ही दीपावली मानना शुभ माना है।

धनतेरस आज, होगा मंगल ही मंगल

सुख,संपन्नता और स्वास्थ्य का महापर्व धनतेरस 29 नवंबर मंगलवार में मनाया जाएगा। इस बार धनतेरस पर सूर्य और बुध ग्रह एक साथ शुक्र की राशि तुला में विद्यमान रहेंगे। जिससे बुधादित्य योग का निर्माण होगा। यह योग हर कार्य को सिद्धि प्रदान करता है। क्योंकि, यह योग अत्यंत सकारात्मक ऊर्जा का कारक माना गया है। साथ ही इस दिन हस्त नक्षत्र भी रहेगा। इन विशिष्ट योगों का यह संयोग इस पर्व की मान्यता को कई गुना अधिक बढ़ा रहा है।

इस दिन विधि- विधान से पूजन करने और भूमि- भवन, वाहन, ज्वेलरी, बर्तन, कपड़ा और घरेलू सामान खरीदने से तीन गुना अधिक फल मिलेगा। मंगलवार को प्रातः 10:31 से त्रयोदशी तिथि का शुभारंभ हो जाएगा। जो 30 अक्टूबर को दोपहर 1:13 तक रहेगा। ऐसे में खरीदारी का समय दो दिन तक मिलेगा। वही धन्वंतरी भगवान की पूजा मंगलवार के दिन होगी।

2 दिन त्रयोदशी तिथि व्याप्त रहने के कारण खरीदारी 2 दिन तक होगी। पहले दिन उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र और दूसरे दिन हस्त नक्षत्र विद्यमान रहेगा। ज्योतिष के अनुसार उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र के देवता भगवान सूर्य हैं और हस्त नक्षत्र के देवता चंद्रमा है। ऐसे में सूर्य ,चंद्र की उपस्थिति में यह पर्व मनाया जाएगा।

जो कि अत्यंतसमृद्धि कारक और उन्नति प्रदान करने वाला होगा। बता दे धनतेरस के दिन चांदी, के बर्तन, लक्ष्मी -गणेश की प्रतिमा ,बर्तन ,आभूषण, कपड़े, भूमि -भवन ,वाहनादि की खरीदारी बहुत ही शुभ रहने वाली है। धनतेरस के दिन शाम को दीपदान अवश्य करें इससे अकाल मृत्यु का भय समाप्त होता है।

The five day festival of lights begins today the market is bustling 2

पौराणिक मान्यता

समुद्र मंथन के बाद सबसे अंत में अमृत की प्राप्ति हुई। पौराणिक कथा के अनुसार, इसके बाद भगवान धन्वंतरि समुद्र से अपने हाथों में अमृत कलश लेकर प्रकट हुए। जिस दिन भगवान धन्वंतरि अमृत कलश लेकर प्रकट हुए, वो कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि थी।ऐसे में धनतेरस या धनत्रयोदशी के दिन धन्वंतरि भगवान की पूजा का विधान है।

पूजा मुहूर्त

29 अक्टूबर मंगलवार को धनतेरस के दिन पूजन के लिए शुभ समय प्रदोष काल यानी संध्याकाल में 06 बजकर 31 मिनट से लेकर 08 बजकर 13 मिनट तक है। इस समय भगवान धन्वन्तरि की पूजा कर दीपदान सकते हैं।

इस दौरान ना करें खरीदारी

दोपहर 2:42 से शाम 4:05 तक राहुकाल रहेगा ऐसे में इस दौरान खरीदारी इत्यादि से बचें।

नरक चतुर्दशी बुधवार

नरक चतुर्दशी मनाने का विशेष महत्व है। क्योंकि यह दिन मृत्यु, मोक्ष और नकारात्मक शक्तियों से मुक्ति से जुड़ा है। यह दिन को नरक के कष्टों से मुक्ति पाने का भी दिवस मानते हैं। कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को नरक चतुर्दशी के रूप में मनाया जाता है। इसे छोटी दीपावली भी कहते हैं। हनुमान जयंती भी इसी दिन मनाई जाएगी। धार्मिक मान्यता अनुसार नरक चतुर्दशी को यम नाम से दीपदान करने की परंपरा रही है।

इस दिन घर के मुख्य दरवाजे पर महिलाएं आटे से बना या मिट्टी का दीपक जलाती हैं। इसे यम का दीप कहा जाता है। मान्यता है कि नरक चतुर्दशी के दिन यम का दीपक जलाने से परिवार में अकाल मृत्यु का खतरा कम होता है। इस दिन भगवान श्रीकृष्ण के सौंदर्य की भी पूजा की जाती है, इसीलए इसे रूप चतुर्दशी भी कहते हैं।

घर की देहरी पर यम का दीया जलाने से यमराज का त्रास दूर होता है। यम को दीपदान करने से आयु और आरोग्यता प्राप्त होती है। वैदिक पंचांग के अनुसार बुधवार दोपहर 1:14 बजे से चतुर्दशी तिथि लग जाएगी जो अगले दिन दोपहर 3:52 तक रहेगी। दीपदान प्रदोष काल में करना चाहिए। प्रदोष काल शाम 5:17 से 7:00 बजे तक रहेगा।

हनुमान जयंती पर पूजन करने से होगा कल्याण

हनुमान जयंती बुधवार में मनाई जाएगी। क्षेपक रामायण अनुसार मान्यता है कि हनुमानजी जन्म भी कार्तिक मास कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को हुआ था। इस दिन हनुमान जी की आराधना करने से बल, बुद्धि और विद्या का वरदान प्राप्त होता है। हनुमान जी का जन्म मेष लग्न में हुआ था।

इस वर्ष मेष लग्न शाम 4:45 से शुरू होगी और 6:16 बजे तक रहेगी। इस दौरान दीपदान और हनुमान जी की पूजा चमत्कारिक फल देगी। नरक चतुर्दशी के दिन हनुमान जी की पूजा करने का विधान है। ऐसे में कुछ बातों का ध्यान रखना बेहद जरूरी है। इस तिथि के दिन आप सुबह सबसे पहले स्नान करें। इसके बाद हनुमान जी के आगे दीपक जलाकर उनका ध्यान करें। इस दौरान हनुमान चालीसा का पाठ जरूर करना चाहिए।

यदि आपके पास आस-पास हनुमान जी का कोई मंदिर है, तो आप वहां जाकर जरूर पूजा करें। इस दौरान बूंदी का भोग जरूर लगाएं। मान्यता अनुसार इस दिन हनुमान जी को चोला अर्पित करने से आपकी मनोकामनाएं पूर्ण होती है।
धार्मिक मान्यता है कि इस दिन हनुमान जी के मंत्र को 108 बार पढ़ने से मनचाहे फल की प्राप्ति होती हैं।

सुयोग संगम 31 को, मनेगा दिवाली उत्सव

इस साल कार्तिक अमावस्या 31 अक्टूबर की दोपहर 3:52 से शुरू हो जाएगी और अगले दिन यानी 1 नवंबर की शाम करीब 6.16 बजे तक रहेगी। कार्तिक अमावस्या की रात में लक्ष्मी पूजा करने की परंपरा है। इसलिए 31 अक्टूबर की रात लक्ष्मी पूजा करनी चाहिए, क्योंकि 31 की रात में ही अमावस्या तिथि रहेगी और 1 नवंबर की रात में कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि रहेगी। दीपावली रात्रि का त्योहार है और इसका मुख्य पूजन रात्रि में अमावस्या के समय किया जाता है। शास्त्र अनुसार जिस दिन अमावस्या प्रदोष काल और महानिशीथ काल में व्याप्त होती है, उसी दिन दीपावली का पर्व मनाना चाहिए।

यह रहेगा सुयोगों का रहेगा संगम

31 अक्टूबर दीपावली को प्रातः पूरे दिन से लेकर मध्य रात्रि तक चित्रा नक्षत्र विद्यमान रहेगा। मध्य रात्रि बाद हस्त नक्षत्र प्रारंभ हो जाएगा। दीपावली के दिन यह दोनों नक्षत्र विशेष महत्व रखते हैं। क्योंकि चित्रा नक्षत्र स्वामी मंगल देवता है। वही, हस्त के स्वामी चंद्रमा। जहां मंगल को कल्याणकारी कहा जाता है।

वही चंद्रमा को शीतलता और शांति कारक ग्रह माना जाता है। कुल मिलाकर दीपावली पर पूजन -अर्चन करने से अपार शांति मिलेगी और वर्षभर मंगल ही मंगल होगा। साथ ही ज्योतिष के अनुसार इस दिन प्रीति योग भी विद्यमान रहेगा। जो पूजा -पाठ की भक्ति में प्रबलता का कारक है। यानी इस दिन सभी मनोरथों की माता लक्ष्मी पूर्ति करेंगी और अपने भक्तों पर वात्सल्य,करुणा,प्रेम की बारिश करेंगी।

दीपावली का पौराणिक महत्व

गुरुवार, 31 अक्टूबर रात देवी लक्ष्मी की विशेष पूजा की जाएगी। मान्यता है कि देवताओं और दानवों ने मिलकर समुद्र मंथन किया था और इस मंथन से कार्तिक मास की अमावस्या पर देवी लक्ष्मी प्रकट हुई थी। देवी लक्ष्मी ने भगवान विष्णु का वरण किया था।

साथ ही मान्यता यह भी है की कार्तिक अमावस्या की मध्य रात्रि माता लक्ष्मी अपने भक्तों के यहां भ्रमण के लिए निकलती हैं और जहां दीपदान और स्वच्छता के वातावरण को देखती हैं तो समृद्धि का आशीर्वाद प्रदान करती हैं। इसके साथ एक अन्य मान्यता ये भी है कि इस तिथि पर भगवान राम 14 वर्ष का वनवास खत्म करके और रावण वध करके अयोध्या लौटे थे। तब लोगों ने राम के स्वागत के लिए दीपक जलाए थे।

दीपावली का पूजन मुहूर्त

वृषभ लग्न – शाम 06 बजकर 25 मिनट से लेकर रात को 08 बजकर 20 मिनट तक रहेगा।

लक्ष्मी पूजा का सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त

प्रदोष काल, वृषभ लग्न और चौघड़िया के हिसाब से लक्ष्मी पूजन के लिए सबसे सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त 31 अक्टूबर की शाम को 06:25 से लेकर 7:13 के बीच का समय का है। कुल मिलाकर 48 मिनट का यह मुहूर्त सर्वश्रेष्ठ रहेगा।

महानिशीथ पूजनमुहूर्त

मध्य रात्रि 11:38 से 12:30 तक।

2 नवंबर को गोवर्धन पूजा

शुक्रवार पहली नवंबर को अमावस्या है इस दिन गंगा स्नान करें पूजा पाठ करें।
शनिवार, 2 नवंबर सुबह कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा यानी गोवर्धन पूजा पर्व है। इस दिन मथुरा स्थित गोवर्धन पर्वत की पूजा करने की परंपरा है। द्वापर युग में श्रीकृष्ण ने ब्रज के लोगों से कंस की नहीं, गोवर्धन पर्वत की पूजा करने के लिए कहा था, तब से ही इस पर्वत की पूजा की जा रही है।

रविवार में भाई दूज

रविवार, 3 नवंबर को भाई दूज है। ये पर्व यमुना और यमराज से संबंधित है। माना जाता है कि इस तिथि पर यमराज अपनी बहन यमुना से मिलने जाते हैं। यमुना यमराज को भोजन कराती हैं। मान्यता है कि इस तिथि पर जो भाई अपनी बहन के घर भोजन करता है, यमराज-यमुना की कृपा से उसकी सभी परेशानियां दूर होती हैं और भाग्य का साथ मिलता है।

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