देवी की पूजा अर्चना करतीं महिलाएं
सुलतानपुर। राजस्थान में पूरे उत्साह और रीति रिवाजों के साथ मनाया जाने वाला गणगौर पर्व सुल्तानपुर में भी राजस्थान से आकर बसे इकलौते माहेश्वरी परिवर में भी धूम धाम से मनाया गया। परिवार की मुखिया स्नेह लता माहेश्वरी ने अपनी बहुओं बीना, वंदना, चंचल, राखी के साथ पूजा करते हुए बताया कि हर साल चैत्र शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को गणगौर का त्योहार मनाया जाता है। उन्होंने बताया कि वैसे तो इस त्योहार की शुरुआत होली के दूसरे दिन से ही हो जाती है और अगले सोलह दिनों तक चलने के बाद चैत्र शुक्ल तृतीया को गणगौर के साथ ये पूर्ण होता है। इस दिन विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिये और अपने सुख-सौभाग्य के लिये व्रत करती हैं, इसलिए गणगौर के इस त्योहार को सौभाग्य तृतीया के नाम से भी जाना जाता है। इसमें ईसर देव यानि भगवान शिव और माता गौरी यानि पार्वती जी की पूजा का विधान है। शुद्ध साफ मिट्टी से ईसर देव और माता गौरी की आकृतियां बनाकर उन्हें अच्छे से सजाकर विधि-पूर्वक गाने बजाने के साथ उनकी पूजा की जाती है फिर शाम को नदी में उनका विसर्जन किया जाता है।
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