संयोग से इस बार अनंत चतुर्दशी और विश्वकर्मा पूजा एक साथ 17 सितंबर मंगलवार को मनाई जाएगी।मकर संक्रांति की तरह विश्वकर्मा पूजा की तारीख भी तय होती है। क्योंकि यह दोनों ही त्योहार की तारीख सूर्य के गोचर से तय होती है।आमतौर पर हर साल 17 सितंबर को ही विश्वकर्मा पूजा पर्व मनाया जाता है।विश्वकर्मा जयंती की तारीख सूर्य के गोचर से तय होती है।जिस दिन सूर्य गोचर करके कन्या राशि में प्रवेश करते हैं। उस दिन विश्वकर्मा पूजा की जाती है। आमतौर पर 17 सितंबर को ही सूर्य कन्या राशि में प्रवेश करते हैं। लेकिन इस साल सूर्य का कन्या राशि में प्रवेश 16 सितंबर की शाम 7 बजकर 29 मिनट पर होगा। चूंकि विश्वकर्मा पूजा दिन में की जाती है। इसलिए उदया तिथि के आधार पर इस साल भी विश्वकर्मा पूजा या जयंती 17 सितंबर को ही मनाई जाएगी।विश्वकर्मा पूजा की बात करें तो इस दिन कारखानों में भगवान विश्वकर्मा की पूजा की जाती है। उन्हें सृष्टि का पहला इंजीनियर माना जाता है। मान्यता है कि भगवान शिव का त्रिशूल और भगवान कृष्ण का सुदर्शन चक्र भी भगवान विश्वकर्मा ने ही बनाया था। हर साल कन्या संक्रांति के दिन को यंत्रों के देवता विश्वकर्मा के जन्म दिवस के तौर पर मनाया जाता है। साथ ही इस दिन सूर्य देव की भी पूजा करना चाहिए, उन्हें अर्घ्य देना चाहिए।इससे कारोबार में बरकत होती है और कामों में सफलता मिलती है।
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन भगवान विश्वकर्मा ने सृष्टि के रचयिता ब्रह्मा के सातवें पुत्र के रूप में जन्म लिया था। भगवान विश्वकर्मा को संसार का पहला इंजीनियर और वास्तुकार माने जाते है। इसलिए सनातन धर्म में विश्वकर्मा जयंती को खास महत्व दिया गया है। इस दिन लोग भगवान विश्वकर्मा की पूजा करते हैं। विशेष तौर पर इस दिन औजारों, निर्माण कार्य से जुड़ी मशीनों, दुकानों, कारखानों आदि की पूजा की जाती है।विश्वकर्मा जी को यंत्रों का देवता भी माना जाता है। भगवान विश्वकर्मा के आशीर्वाद से कारोबार में आ रही परेशानियां भी दूर हो जाती है।इस दिन मशीन, वाहन, यंत्र और कारखाना की पूजा आराधना की जाती है। भगवान विश्वकर्मा की अनुकम्पा से कारखाने मे लगी मसीनें खराब नहीं होती है और कार्य मे उन्नति होती है।
विश्वकर्मा पूजा के दिन भद्रा काल भी लग रहा है। ऐसे में शुभ मुहूर्त में ही पूजा करें क्योंकि भद्रा काल में पूजा नहीं की जाती है। इस साल विश्वकर्मा पूजा के लिए शुभ मुहूर्त मंगलवार को सुबह 06 बजकर 07 मिनट से लेकर 11 बजकर 43 मिनट तक है।यानी भगवान विश्वकर्मा की पूजा करने के लिए करीब साढ़े 5 घंटे का समय मिलेगा।
भगवान विश्वकर्मा पूजा के दिन विधि विधान के साथ उनकी पूजा आराधना करने से कार्य क्षेत्र में सफलता मिलती है। इस दिन सबसे पहले स्नान आदि कर पूजा स्थल पर गंगाजल का छिड़काव करके उसे शुद्ध करना चाहिए। इसके बाद चौकी पर पीला कपड़ा बिछाएं और लाल रंग के कुमकुम से एक स्वास्तिक का चिन्ह बनाएं। इस दौरान भगवान गणेश का स्मरण करें और फिर शोडॉपउपचार विधि से पूजा करे। इस विधि से पूजा करने से भगवान विश्वकर्मा प्रशन्न होते है।
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