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कविता: दूर दूर नगरी से आए मिलने भक्त महान

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Aswani Soni, Poet

दूर दूर नगरी से आए मिलने भक्त महान
आज मिलेंगे भगवन हमको और होगा संज्ञान

सजे धजे कमरे में देखें कैद बैठे भगवान
पंडित मांगे दर्शन को मनमर्जी के दाम

सुनते सबकी हाजरी हल निकाले भगवान
दर्शन आरती चाहो तो चरण छुओ जजमान

बिना भक्त के पूजा कैसी किसके पूज्य भगवान
शर्म करो जी शर्म करो तुम पंडित भगवान

छू लोगे तो क्या मिलेगा कण-कण में भगवान
एक कण उसका तुम्मै भी है तुम भी हो भगवान

कर्म ने बनाया राम को श्री राम भगवान
कर्म बना देगा तुमको भी एक उत्तम इंसान

अपने सर पर हाथ रखो खुदको दो ये ज्ञान
सबसे बड़ा कर्म है कर्म बनाए भगवान

उसके दर पर जाके भी तुम दिल से ही पूजोगे
पूज के मिलेगी दिल में शांति फिर समरण पूजोगे

आज बनालो मन को मंदिर भगवान वही मिल जाएंगे
कर्म बनाओ इतना सुंदर भगवान खुद ही आएंगे

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