- संवाददाता, ई-रेडियो इंडिया
नई दिल्ली। जैसा कि आप सब जानते हैं कि अमेरिका अपनी इकोनामी के लिये अपनी मां-बहनों तक को बीच सड़क पर बैठाकर धंधा करा सकता है। ठीक वैसा ही शायद वह भारत के साथ कर रहा है। एक ओर भारत से मित्रता और दूसरी ओर विश्वासघात। पड़ोसी पाकिस्तान और चीन ने बार्डर पर पहले ही भारत के लिये दुश्वारियां खड़ी की हुईं हैं ऐसे में अमेरिकी चाल ने अब भारत को और भी खतरे में डाल दिया है। मेरा मानना यह है कि बार्डर पर तनातनी अमेरिका की चीन से अंदरूनी सहमति का नतीजा है।
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चूंकि कोरोना वायरस ने दुनिया की इकोनामी को तबाह किया, अमेरिका ने चीन पर सीधे तौर पर आरोप लगाया और तनातनी बढ़ी। इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी वुहान की रिसर्च लैब में अमेरिकी पैसा भी लगा हुआ था, ऐसे में इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि कोरोना वायरस अमेरिका व चीन आपसी सहमति से बना जैविक हथियार है जिसका उपयोग चीन ने अमेरिका से बताये बगैर कर लिया और दोनों के बीच अनबन हो गई।
शुरुआत में अमेरिका ने कहा था कि हमारे पास सबूत हैं और अब खामोश है। चुप क्यों हो गया इसका नतीजा है भारत से चीन की बार्डर पर तनातनी होना।… नहीं समझे…. अमेरिका हथियारों का सबसे बड़ा सप्लायर है… कोरोना ने मंदी की चपेट में डाल दिया। अब उसे अपने घाटे को हथियारों को बेचकर पूरा करना है…. लेकिन हथियार खरीदेगा कौन?
जिसे खुद की सुरक्षा का डर होगा और इस मंदी में जब किसी के पास खाने की रोटी तक नहीं है तो एक-दूसरे से लड़ेगा कौन? यानी सब अपने-अपने में बिजी रहेंगे तो सुरक्षा का डर किसे सतायेगा।
ऐसे में अमेरिका ने चीन से अंदरूनी समझौता किया होगा कि हम तुम्हारे कोरोना वाले पाप का सबूत दुनिया के सामने नहीं रखेंगे लेकिन इसके बदले तुम भारत से सीमा पर विवाद करो… लड़ाई का डर दिखाओ….
असुरक्षा के कारण भारत अमेरिका से मांगेगा मदद
मैं समझता हूं कि इस प्लान में दम जरूर होगा…. पिछले दिनों ट्रम्प साहब आये थे भारत… हमने कई सौ करोड़ खर्च कर दिये…. उनके स्वागत में …. पता इसके बदले ट्रम्प भारत को हथियार बेचने का समझौता कर गये थे।….. उसकी सप्लाई भारत नहीं ले रहा था….. चीन से बार्डर पर तनातनी हो गई अब ऑर्डर भी आ ही जायेगा…. इसके बाद सब ठीक हो जायेगा…. नमस्कार….