🌹प्रेम पर शंका क्यों होती है
आप केवल अपने जीवन की सकारात्मक चीज़ों पर ही शंका करते हैं? नकारात्मक चीज़ों पर शंका नहीं करते। आप किसी की ईमानदारी पर शंका करते हैं और उसकी बेईमानी पर विश्वास। जब कोई आपसे...
सब मन के रोग प्रेम की कमी से पैदा होते हैं
प्रश्न: 🟤मुझे ऐसा समझ में आया, कि आपने कहा कि सब मन के रोग प्रेम की कमी से पैदा होते हैं।
🧘♀️निश्चित ही मन के सभी रोग प्रेम की कमी से पैदा होते हैं। लेकिन...
उन्नति की आकांक्षा
उन्नति की आकांक्षा भी वैसी ही घातक है, शायद उससे भी ज्यादा, जितनी उत्तेजना की आकांक्षा है। पर बड़ा अजीब लगेगा, क्योंकि हम तो सोचते हैं कि अध्यात्म भी तो आखिर उन्नति की आकांक्षा...
बुद्ध की यह कथा आपका जीवन बदल देगी
श्रावस्ती में एक सेठ था—मृगार। उसके लड़के की पत्नी थी विशाखा। विशाखा सुनने जाती थी बुद्ध को। मृगार कभी कहीं सुनने गया नहीं। वह धन— लोलुप धन के पीछे पागल था। वह सबसे बड़ा...
Osho on Nanak Ji: नानक के गीत
Osho on Nanak Ji: बाबर नानक के समय भारत आया। उसके सिपाहियों ने नानक को भी संदिग्ध समझ कर कैद कर लिया। लेकिन धीरे-धीरे बाबर तक खबर पहुंचने लगी कि यह कैदी कुछ अनूठा...
विचार और विचार प्रवाह: ओशो
विचार समस्या नहीं है!विचार की उत्पत्ति समस्या है!!
विचार से विमुख और निर्विचार , थॉटलेसनेस के सन्मुख होना है। यही दिशा क्रांति है। यह कैसे होगा? विचार कैसे पैदा होते हैं? यह जानना जरूरी है,...
बुद्ध से लोग पूछते कि कैसे आपने पाया?
Osho said about lord buddha: बुद्ध ने छह वर्ष तक तपश्चर्या की। जो भी जिसने कहा, वही उन्होंने किया। किसी ने कहा, उपवास, तो उन्होंने उपवास किए लंबे। और किसी ने कहा कि शीर्षासन,...
आत्मा शरीर धारण करने के लिए पूर्ण स्वतंत्र है: ओशो
तीसरा प्रश्न: भगवान,
आत्मा शरीर धारण करने के लिए पूर्ण स्वतंत्र है, तो फिर अपंग, अंधे और लाचार बच्चों के पीड़ा से पूर्ण शरीर का चयन क्यों? अच्छा और सुख से भरा शरीर धारण कर...
Osho on Lau Tzu: वर्षों तक खोज में लगा रहा, सत्य की झलक न...
Osho on Lau Tzu: लाओत्सु के जीवन में उल्लेख है: कि वर्षों तक खोज में लगा रहकर भी सत्य की कोई झलक न पा सका। सब चेष्टाएं कीं, सब प्रयास, सब उपाय, सब निष्फल...
आपका संदेश घर-घर पहुंचाना चाहता हूं कैसे करूं, सुनें ओशो ने क्या कहा?
🔴 प्रश्न:-- ओशो! मैं आपका संदेश घर-घर, हृदय-हृदय में पहुंचाना चाहता हूं पर लोग बिलकुल बहरे हैं, अंधे हैं। मैं क्या करूं? जो पाया है उसे पाकर न बांटू? यह भी संभव नहीं है।...