भारत के विकास के लिये स्वतंत्रता आन्दोलन के तर्ज पर एक जन आन्दोलन की जरूरत: उपाध्यक्ष नीति आयोग

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  • संवाददाता, ई-रेडियो इंडिया

मेरठ। नीति आयोग के उपाध्यक्ष ने भारत के विकास हेतु स्वतंत्रता आन्दोलन के तर्ज पर एक जन आन्दोलन खड़ा करने की तरफ जोर दिया ताकि भारत का सर्वांगीण विकास हो सके। भारतीय शिक्षण मंडल के फेसबुक पेज पर अपनी बातों को रखते हुए रविवार को सायं उन्होंने कहा कि ज्यादातर लोग भारत के सर्वांगीण विकास के लिए सरकार को ही जिम्मेदारी लेनी के बात कहते है जो कि एक गलत अवधारण है।

भारतीय शिक्षण मंडल के फेसबुक लाईव चर्चा में नीति आयोग के उपाध्यक्ष डॉ. राजीव कुमार ने दिया भारत के विकास के लिए ये सुझाव-
1. विकास के लिए जनान्दोलन खड़ा करना।
2. भारतोन्मुखी नीतियों का निर्माण करना तथा उसे वैश्विक पटल पर रखना।
3. कृषि के क्षेत्र में तनाव-रहित अनुप्रयोगों को सरकार द्वारा बढ़ावा देना।
4. आत्मनिर्भर गांव का निर्माण करना।
5. मातृभाषा को केन्द्र में रखकर बिना भेद भाव के विविध भाषाओं को बढ़ावा देना। 

हमें अपने व्यक्तिगत हितों से ऊपर उठ कर देश हित के बारे में सोचना चाहिए और प्रत्येक नागरिक को देश के विकास में अपना योगदान सुनिश्चित करना चाहिए। उन्होंने भारत के सर्वांगीण विकास के लिए सात सूत्री योजना बताते हुए कहा कि हमें पहले तो भारतीय भाषाओं को महत्व देते हुए द्वारा अंग्रेजी को हटाना चाहिए, सरकार और अधिक पारदर्शी तथा जवाबदेह हो, विकास की अवधारणा, निजी संस्थाओं का पुनर्संगठन, रोजगार के बदलते परिवेश पर ध्यान, कृषि में न्यून्तम तनाव का अधिकतम लाभ की प्रक्रिया से कार्य करना चाहिए। शहरीकरण के स्थान पर ग्रामीण और शहरी दोनों का विकास हो ऐसा प्रयास करना चाहिए जिससे प्रकृति का नुकसान न हो। 

विकास की क्षेत्रीय विसमताओं को दूर करने का प्रयास करना चाहिए। आगे उन्होंने कहा कि हम ऑनलाईन शिक्षा की बात तो करते हैं लेकिन भारत के केवल 35 प्रतिशत विद्याल्यों में ही इन्टरनेट की सुविधा उपलब्ध है तो वहीं केवल 65 प्रतिशत तक बिजली की सुविधा है।

आगे उन्होंने गांधी जी के विकास के मॉडल के आधार मानते हुए कहा कि गांव को आत्मनिर्भर बनना होगा। आज दुनिया में तकनीक का परिवर्तन बहुत तेजी से हो रहा है इसलिए देश को और गांव को उस परिस्थिति अनुसार आगे बढ़ने की जरूरत हैं नहीं तो हम पीछे रह जायेंगे। गांव को पैदावार और निर्यात पर जोर देना चाहिए न कि आयात पर। हमें एकल-केन्द्रित विचारों को रखने की बजाये इन्टरनेट की सुविधा से बहूल-केन्द्रित करने की जरूरत है, जिससे शहरों के भार कम हो सकें।

डॉ. कुमार ने अपने वक्तव्य के अंत में प्रतिभागियों, शिक्षाविदों, उद्योगिक ईकाइयों के मालिकों के प्रश्नों के उत्तर भी दिए जो देश के विभिन्न हिस्सों से लाईव कार्यक्रम से जुडे थे। इस पूरे व्याख्यान का समंव्यन रिसर्च फॉर रिसर्जेंश फाउंडेशन (RFRF) के संयोजक डॉ. राजेश बिनिवाले ने किया। भारतीय शिक्षण मंडल के अखिल भारतीय संगठन मंत्री श्री मुकुल कानिटकर ने धन्यवाद ज्ञापित करते हुए कहा कि डॉ. कुमार ने कठिन विषयों को बड़े ही सरल तरीके से भारतीय शिक्षण मण्डल के कार्यकर्ताओं और श्रोताओं के मध्य रखा है जो कि अनुकरणीय प्रयास है। 

श्री कानिटकर ने ऐसा विश्वास दिलाया कि डॉ. राजीव कुमार के इस दृष्टिकोण के साथ और उनके सपनों के भारत के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए पूरा भारतीय शिक्षण मंडल उनके साथ है। इस गृहवास की अवधी को सकारात्मक, सृजनात्मक और रचनात्मक उपयोग हेतु इस तरह के कार्यक्रमों को शिक्षण मंडल विगत दिनों में भी आयोजित करता रहा है और आगे भी करते रहने का विश्वास दिलाता है। 
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