- नई दिल्ली || ई-रेडियो इंडिया
7th Meeting: कृषि कानून को लेकर किसान धरनारत है और ऐसे में सरकार और किसानों के बीच अगली बैठक 4 जनवरी को होने वाली है। सरकार ने पहले ही ऐलान कर दिया था कि सरकार और किसानों के बीच की जो सामंजस्य है वह 50-50 पर पहुंच गया है और ऐसे में लग रहा है कि जल्द ही किसान आंदोलन खत्म होने की कगार पर है।
लेकिन यह सरकार की तरफ से सुनाया गया फैसला है किसानों ने अभी भी इस बिल को लेकर अपना विरोध जारी रखा है और उनका कहना है कि जब तक सरकार उनकी मांगों को मान नहीं लेगी वह बॉर्डर पर डटे रहेंगे धरना प्रदर्शन जारी रहेगा।
केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के मुताबिक 4 जनवरी को किसानों के साथ होने वाली बैठक में सकारात्मक परिणाम आने की उम्मीद है हालांकि उन्होंने मीडिया से किसी भी तरह के आकलन को व्यक्त करने से मना कर दिया। उन्होंने कहा है कि 4 जनवरी का दिन ही बताएगा कि किसानों के बीच सातवें दौर की वार्ता होने के बाद क्या परिणाम आएगा।
नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा है कि 30 दिसंबर को हुई बैठक प्रभावशाली और परिणाम दायक रही थी उसी आधार पर उन्हें उम्मीद है कि किसान और सरकार के बीच कोई न कोई रास्ता बस निकलेगा।
आपको बता दें कि पिछले 25 दिनों से किसान कृषि कानून पर आधारित बिल को निरस्त करने की मांग पर अड़े हुए हैं और लगातार धरनारत है।
सरकार और करीब 40 प्रदर्शनकारी किसान संघों के बीच अब तक हुई छह दौर की बातचीत पिछले एक महीने से दिल्ली की सीमाओं पर जारी किसानों के प्रदर्शन को समाप्त करने में विफल रही है। बुधवार को हुई दोनों पक्षों की पिछली बैठक में पराली जलाने को अपराध की श्रेणी से बाहर रखने तथा बिजली सब्सिडी जारी रखने की दो मांगों पर सहमति बनती दिखी लेकिन प्रदर्शनकारी किसानों की दो मुख्य मांगों पर अभी बात नहीं बन पाई है जिनमें तीनों कृषि कानूनों को निरस्त करना और एमएसपी खरीद प्रणाली की कानूनन गारंटी प्रदान करना शामिल हैं।
सरकार ने तीनों कृषि कानूनों को सितंबर में लागू किया था जिसको कृषि सुधार के रूप में बताया है लेकिन पंजाब और हरियाणा के किसानों का कहना है कि कृषि मंडियों को खत्म करने की गहरी साजिश और एमएसपी का लिखित में आश्वासन ना होना किसानों के हित में नहीं है। इस पर सरकार ने कहा था कि वह लिखित में आश्वासन देने को तैयार है कि हम एसपी जारी रहेगा और मंडी आया था वह चलती रहेंगी।
किसानों ने उठाई थी ये मांगे
किसानों का यह भी कहना था कि कारपोरेट कंपनियों के हाथों में फसलों का उचित मुआवजा नहीं मिल पाएगा और किसानों की जमीन को भी कारपोरेट अपने मकड़जाल में फंसा कर हत्या लेंगे। सरकार ने इस बिंदु पर भी कहा था कि सिर्फ और सिर्फ फसलों का भी कॉन्ट्रैक्ट किया जाएगा किसान की जमीन से किसी भी कंपनी का कोई कांटेक्ट नहीं होगा।
महज पांच फीसद मांगों पर हुई चर्चा
पंजाब के सिंघु सीमा पर प्रदर्शन करने वाले किसानों ने कहा है कि जिन मांगों को उन्होंने उठाया था उनमें से महज 5 फीसद मांगों पर ही सरकार ने चर्चा की है, जिससे यह साबित होता है कि सरकार की मंशा किसानों के प्रति ठीक नहीं है। किसानों का कहना है कि 4 जनवरी को होने वाली सातवीं बैठक अगर नतीजे में तब्दील नहीं होती है तो हरियाणा में समस्त पेट्रोल पंप और मॉल को बंद करने की घोषणा कर दी जाएगी और व्यापक प्रदर्शन होगा।
स्वराज इंडिया के नेता योगेंद्र यादव ने कहा कि हरियाणा-राजस्थान सीमा पर शाहजहांपुर में प्रदर्शन कर रहे किसान भी राष्ट्रीय राजधानी की ओर कूच करेंगे। एक अन्य किसान नेता युद्धवीर सिंह ने कहा कि अगर अगले दौर की वार्ता में कोई ठोस निर्णय नहीं लिया गया तो छह जनवरी को ट्रैक्टर मार्च निकाला जाएगा।