सत्ता की मलाई का जायका इतना अच्छा होता है कि तमाम राजनेताओं की अगर यह चाहत है कि उनके वारिस भी उनकी तरह सियासत में आगे बढ़कर सत्ता हासिल कर सूबे अथवा देश में राज करें तो कोई हैरानी नहीं होनी चाहिए।
अगर देखा जाए तो सियासत में आगे बढ़ना कोई गलत नहीं है। अगर लोग सियासत में आगे नहीं बढ़ेंगे तो इस विशाल लोकतंत्र में या इसके राज्यों में जनता का नेतृत्व कौन करेगा..? कौन लेगा जनता के हित के लिए काम करने, क्षेत्र का विकास करने की जिम्मेदारी..? हां, अगर गलत है तो वह है बगैर संघर्ष किये हुए, बिना कुछ अनुभव लिए अपने बाप दादा द्वारा कमाये गये नाम के बल पर सत्ता की मलाई चखने और जनता के हित के बजाय अपना व अपने परिवार के लिए जन धन का बेजा इस्तेमाल करने का।
गलत यह है कि अपने वारिसों का सही मार्गदर्शन करने के बजाय केवल सियासत में परिवार का दखल बनाये रखने के लिए व परिवार के हित के लिए वारिसों को सत्ता का ताज पहनाने की चाहत रखना। दु:ख की बात यह है कि देश के तमाम राजनेता आजकल इसी मनस्थिति से गुजर रहे हैं।
अभी हाल ही में देश के गृह मंत्री अमित शाह ने अपने भाषण में ऐसे ही राजनेताओं की मनस्थिति किया है। शाह के मुताबिक सोनिया गाँधी चाहती हैं कि उनका बेटा राहुल देश का प्रधानमंत्री बने। इसी तरह लालू यादव चाहते हैं कि उनका बेटा तेजस्वी बिहार का मुख्यमंत्री बने।
तमिलनाडु के मुख्यमंत्री स्टालिन चाहते हैं कि उनका बेटा उदयनिधि राज्य की कमान संभाले। महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे अपने बेटे आदित्य को अपनी कमान सौंपकर राज्य का मुख्यमंत्री बनाना चाहते हैं। बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी अपने भतीजे अभिषेक को मुख्यमंत्री बनाना चाहती हैं। ताज्जुब की बात तो यह है कि इनमें से मुख्यमंत्री का ख्वाब देखने वाले अनेक नेता पुत्रों के खिलाफ भ्रष्टाचार और सत्ता के बेजा इस्तेमाल के संगीन आरोप हैं।
सोनिया गाँधी के सुपुत्र राहुल पर देश की अनेक अदालतों में मुकदमें विचाराधीन है। नेशनल हेराल्ड केस में राहुल जमानत पर हैं। सोनिया गांधी और राहुल गांधी पर आरोप है कि इन्होंने यंग इंडिया लिमिटेड कंपनी बनाई, जिसका उद्देश्य कारोबार करना नहीं था, बल्कि वो इस कंपनी के माध्यम से एसोसिएट्स जर्नल्स लिमिटेड को खरीदकर उसकी 2 ह़जार करोड़ रुपये की संपत्ति को अपने नाम पर करना चाहते थे।
वर्ष 2011 में ऐसा ही हुआ। उस समय सोनिया गांधी और राहुल गांधी की कंपनी यंग इंडिया लिमिटेड ने एसोसिएट्स जर्नल्स लिमिटेड को टेकओवर कर लिया। इस तरह केवल 50 लाख रुपये चुकाकर सोनिया गांधी और राहुल गांधी 2 हजार करोड़ रुपये की संपत्ति के मालिक बन गये। लालू यादव अपने बेटे तेजस्वी को मुख्यमंत्री के रूप में देखना चाहते हैं। तेजस्वी भी अनेक आरोपों से घिरे हैं। रेलवे में नौकरी के बदले जमीन घोटाले में घिरे तेजस्वी पर करप्शन के माध्यम से सम्पति खरीदने की जाँच प्रवर्तन निदेशालाय ईंडी कर रहा है।
लालू यादव के बच्चों तेज प्रताप, तेजस्वी और चंदा के नाम दिल्ली के पॉश इला़के न्यू फ्रेंड्स कॉलोनी में एक घर खरीदा गया है, जिसकी कीमत 5 करोड़ रुपये बताई जा रही है।तेजस्वी के चुनावी हल़फनामे में इस घर का कोई जिक्र नहीं है। तमिलनाडु के मुख्यमंत्री स्टालिन के बेटे उदयनिधि पर सत्ता के बेजा इस्तेमाल करने सहित अपनी बयानबाजी से समाज में वैमनस्यता फैलाने के आरोप है।
उदयनिधि ने सनातन धर्म के खिलाफ विवादास्पद टिप्पणी की थी। स्टालिन ने कहा था कि सनातन धर्म का विचार सोशल जस्टिस के विचार के खिलाफ है और इसे खत्म किया जाना चाहिए।
महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के बेटे आदित्य भी अनेक आरोपों से घिरे हैं। उनपर सत्ता के दुरुपयोग के आरोप लगे हैं। इसी भांति बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के भतीजे अभिषेक के खिलाफ ईडी शिक्षक नियुक्ति में करप्शन के आरोपों की जाँच कर रही है। अपने बेटों को मुख्यमंत्री के रूप में देखने वाले अनेक नेताओं ने मुख्यमंत्री बनने पर अपने लाड़लों को अपने मंत्रिमंडल में शामिल किया।
सियासत में ऐसे कई बाप बेटे हैं, जब पिता मुख्यमंत्री रहे हैं और बेटा मंत्री बना हो। तमिलनाडु के मुख्यमंत्री स्टालिन का बेटा उदयनिधि अपने पिता के मंत्रिमंडल में शामिल है। यही नहीं स्टालिन भी अपने पिता करुणानिधि के मंत्रिमंडल में शामिल रहे हैं। उद्धव ठाकरे महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बने तो अपने बेटे आदित्य को भी अपनी कैबिनेट में शामिल किया था।
तेलंगाना के सीएम रहे के चंद्रशेखर राव ने भी अपनी कैबिनेट में बेटे केटी रामा राव को जगह दी थी। बहरहाल, वक्त बड़ा बेरहम है। वह कुछ भी गलत होते नहीं देख सकता। उसकी लाठी में भी देर है, अंधेर नहीं। इसलिए, सत्ता का बेजा इस्तेमाल करने वालों को भी देर सबेर आखिर उनके किये की सजा मिल ही जाती है।