किसमें हार्ट अटैक का खतरा अधिक? स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, ज्यादातर अध्ययन इस बात की तरफ संकेत देते हैं कि पुरुषों को महिलाओं की तुलना में हार्ट अटैक का जोखिम अधिक हो सकता है। पुरुषों में धूम्रपान और तनाव जैसी अस्वास्थ्यकर आदतें इस जोखिम को बढ़ाने वाली मानी जाती हैं।
जब धमनियों में रुकावट से हार्ट तक ब्लड की सप्लाई नहीं हो पाती है, ऑक्सीजन भी नहीं मिल पाता है, तब हार्ट अटैक आता है। यह जानलेवा भी हो सकता है, इसलिए इसे लेकर अलर्ट रहना चाहिए। एक आम धारणा है कि हार्ट अटैक पुरुषों में ज्यादा आते हैं और महिलाओं में इक्का-दुक्का ही मामले होते हैं, ज्यादातर महिलाएं हार्ट अटैक से सेफ होती हैं। आइए जानते हैं इस दावे में कितनी सच्चाई है…
एक आम धारणा है कि हार्ट अटैक पुरुषों में अधिक आम होते हैं, लेकिन यह सच नहीं है। महिलाओं में हार्ट अटैक की संभावना उतनी ही होती है जितनी पुरुषों में। 40 की उम्र तक महिलाएं हार्ट अटैक से बच सकती हैं लेकिन मेनोपॉज वाला पीरियड शुरू होने के बाद इसका खतरा बढ़ जाता है। चूंकि महिलाएं घर में ज्यादा रहती हैं, जिससे वे पुरुषों की तुलना में हार्ट अटैक के ज्यादा रिस्क पर होती हैं। हांलाकि, महिलाओं में हार्ट अटैक के लक्षण पुरुषों से अलग हो सकते हैं। उनमें हार्ट अटैक के आम लक्षणों में सीने में दर्द या परेशानी, सांस लेने में कठिनाई, पीठ, जबड़े या बांह में दर्द, चक्कर आना या बेहोशी भी शामिल है।
हेल्थ एक्सपर्ट्स के मुताबिक, महिलाओं में हार्ट अटैक के कारण पुरुषों से अलग हो सकते हैं। उनमें हार्ट अटैक के मुख्य कारणों में हाई ब्लड प्रेशर, हाई कोलेस्ट्रॉल, डायबिटीज, मोटापा और धूम्रपान शामिल हैं। हार्ट के मरीज तरह-तरह के विटामिन्स लेते हैं। उनका मानना है कि इससे हार्ट अटैक का खतरा नहीं रहता है लेकिन एक्सपर्ट्स का कहना है कि विटामिन्स शरीर के लिए बेहद जरूरी है लेकिन हार्ट अटैक से उसका कोई लेना-देना नहीं है। हेल्दी लाइफस्टाइल अपनाकर इस खतरनाक कंडीशन से बचा जा सकता हैं।