चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर की राजनीतिक पार्टी का ऐलान दो अक्टूबर को होगा। महात्मा गांधी की जयंती के मौके पर वे पार्टी का ऐलान करेंगे। उनका जन सुराज अभियान राजनीतिक दल में बदल जाएगा, जिसके लिए वे चरखा चुनाव चिन्ह हासिल करने का प्रयास कर रहे हैं। बहरहाल, पार्टी का नाम और चुनाव चिन्ह जो हो लेकिन वे अगले कुछ दिन में होने वाले उपचुनाव में अपने उम्मीदवार उतार सकते हैं। प्रशांत नई सियासी पार्टी का गठन करने के बाद एक राजनेता के रूप में कितना कामयाब होंगे, सियासी पंडितों की निगाहें इस तरफ टिक गई हैं, क्योंकि इससे पहले वे एक चुनावी रणनीतिकार या यूँ कहें कि एक किंग मेकर के रूप में अधिक कामयाब थे। कई मुख्यमंत्रियो से लेकर पीएम तक की ताजपोशी में उनकी महत्वपूर्ण और कामयाब भूमिका रही है।
बिहार में चार विधानसभा सीटें खाली हैं। इन चारों सीटों के विधायक इस साल लोकसभा का चुनाव जीते हैं। उनके इस्तीफे से ये सीटें खाली हुई हैं। यह भी संयोग है कि इनमें से तीन सीटें राजद गठबंधन की हैं और एक जीतन राम मांझी की सीट है।
प्रशांत किशोर ने कहा है कि अगर उपचुनाव की घोषणा दो अक्टूबर के बाद होती है तो उनकी पार्टी चुनाव लड़ेगी। चूंकि हरियाणा और जम्मू कश्मीर के नतीजे आठ अक्टूबर को आएंगे इसलिए झारखंड और महाराष्ट्र के चुनाव की घोषणा उसके बाद ही होगी।
इन दोनों राज्यों के साथ ही देश भर में विधानसभा और वायनाड लोकसभा सीट पर उपचुनाव की घोषणा होनी है। हालांकि बिहार को लेकर एक संभावना यह है कि वहां अगर जनवरी में विधानसभा चुनाव की तैयारी होती है तो शायद उपचुनाव न हों। लेकिन अगर उपचुनाव होते हैं तो प्रशांत किशोर की पार्टी लड़ेगी।
बिहार की चार सीटों में तरारी सीट सीपीएम माले के सुदामा प्रसाद के इस्तीफे से खाली हुई है, जो आरा से विधायक हो गए हैं। रामगढ़ सीट राजद के सुधाकर सिंह के इस्तीफे से खाली हुई है, जो बक्सर से सांसद बने हैं। बेलागंज सीट राजद के सुरेंद्र यादव के इस्तीफे से खाली हुई है, जो जहानाबाद से सांसद बने हैं और इमामगंज सीट हम के जीतन राम मांझी के इस्तीफे से खाली हुई है, जो गया से सांसद बने हैं।
चर्चा है कि इन चारों सीटों पर इन चारों सांसदों के बेटे, बेटी या भाई, बहन को ही टिकट दी जाएगी। प्रशांत किशोर का कहना है कि ऐसा हो गया तो उनकी लड़ाई और आसान हो जाएगी। उन्होंने बिहार में परिवारवाद को बड़ा मुद्दा बनाया है।