- अर्चना सिंह, नई दिल्ली
कैलाश मानसरोवर तिब्बत तिब्बत फ्रीडम एसोसिएशन ने द्वारका के आईटीसी होटल में त्रिदावशीय विचार गोष्ठी का आयोजन किया। कार्यक्रम में खास तौर पर पहुंचे मेजर जनरल जीडी बक्शी तथा देशभर से आये सैकड़ों प्रतिनिधियों तथा शिवभक्तों ने कार्यक्रम में हिस्सा लिया। जी डी बक्सी ने सभा को सम्बोधित करते हुए कहा कि कैलाश मानसरोवर तिब्बत फ्रीडम एसोसिएशन ने यह अनूठी पहल की है।
एक छोटे कदम से दस हजार योजन की शुरुआत होती है। मघबेंद्र जी के यह छोटा सा प्रयास एक दिन देश के कोने-कोने तक पहुंचेगी और वह दिन दूर नहीं जब हमें कैलाश मानसरोवर यात्रा के लिए चीन से वीजा लेने की जरूरत नहीं पड़ेगी।
आप को बता दे इस के बाद उदघाटन सत्र का शुभारंभ करते हुए मुख्झातिथि प्रसिद्ध रामकथा वाचक आचार्य शांतनु महाराज ने कहा कि तिब्बत की आज़ादी और कैलाश मानसरोवर की मुक्ति के लिए हो रहे इस शंखनाद की गूंज भारत के गांव गांव तक पहुंचनी चाहिए।
इस आंदोलन को निःस्वार्य और दूढ़ मन से जुड़े लोगों की आवश्यकता इसलिए है कि यह विषय राम मंदिर आंदोलन की तरह घर गांव की हर चौखट तक पहुंच सके। शांतनु महाराज ने रामकथा के अनेक प्रसंगों को आन्दोलन से जोड़ते हुए कहा कि जिस तरह से लंका में पुल बांधने के लिए गिलहरी का भी योगदान था वैसे ही हम आमजनों का योगदान होना चाहिए। कैलास मानसरोवर की मुक्ति के लिए मजबूत संकल्प की आवश्यकता है।
शांतनु महाराज ने संगठन के राष्ट्रीय संयोजक मानवेन्द्र सिंह मानव की कुशलता को देखकर उनको अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष बनाने का प्रस्ताव रखा, जिसका समर्थन सभी ने किया। दुबई से आये डॉ आचार्य हरिगुप्त को अंतरराष्ट्रीय समन्ध्यक का दायित्यू प्रदान करने का प्रस्ताव भी बैठक रखा गया, जिसे सर्वसम्मृति से पारित किया गया। कार्यक्रम के अध्यक्ष स्वामी सुशील गिरी जी महाराज ने कहा कि अगर लक्ष्य को जल्दी प्राप्त करना है तो इस आंदोलन को घर घर तक ले जाने की जरूरत है। सनातन संस्कृति के लिए यह आंदोलन संजीवनी का काम करेगा।
उन्होंने कहा कि दुनियां के लोगों को सनातन संस्कृति समझ में आने लगी है। शिवधाम कैलाश मानसरोवर तिब्बत फ्रीडम एशोसियेशन को युवाओं का नेतृत्व मिला है और ये राष्ट्रभक्ति से ओतप्रोत युवा ही इस आन्दोलन की नीव है। युवा जोश जब किसी आंदोलन की धार देता है तब उसके परिणाम निश्चित ही सफलता की ओर ले जाता है।
कार्यक्रम में देशभर के विभिन्न प्रान्तों से आये कर्नल पूरन सिंह राठौर, प्रोफेसर विजय कॉल, प्रोफेसर ओम प्रकाश सिंह, अरविन्द्र केसरी, सहामी गोविन्द्रदास जी महाराज वाराणसी संत कबीर जनस्थली दुबई से कार्यक्रम के लिए पधारे डॉ आचार्य हरिगुप्त, डॉ अविनाश सहित अनेक गणमान्ध लोगों ने विचार साझा किए। कार्यक्रम का संचालन सुमित सिंह ने किया।