प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी विश्व पटल पर एक ऐसे वैश्विक नेता के रूप में उभरे हैं जिनकी बात को दुनिया गंभीरता से सुनती है। यही कारण है कि युद्ध में फंसे यूक्रेन और रूस जैसे देश भी मोदी से ऐसा रास्ता तलाश करने की उम्मीद लगाए बैठे हैं जो उन्हें इस मुश्किल हालात से बाहर निकाल सके। अपने तीन दिनों के दौरे में मोदी के क्वाड के सदस्य देशों के शिखर सम्मेलन में हिस्सा लिया। क्वाड के सदस्य देशों में अमेरिका, जापान और आस्ट्रेलिया शामिल हैं। इस सम्मेलन के दौरान पूरी दुनिया की आंखें मोदी पर टिकी थीं। लोग जानना चाहते थे कि मोदी क्वाड के माध्यम से भविष्य में क्या करने वाले हैं।
क्वाड सम्मेलन में मोदी ने कहा कि यह बैठक ऐसे समय में हो रही है जब दुनिया संघर्षो से घिरी है।ऐसे में क्वाड के साथ मिलकर चलना जरूरी है। उन्होंने चीन का नाम लिए बिना कहा कि हम किसी के खिलाफ नहीं हैं। स्वतंत्र और समावेशी इंडो-पैसिफिक हमारी प्राथमिकता है।
उनकी इस टिप्पणी से चीन का तिलमिलाना स्वाभाविक है। चूंकि अभी अमेरिका चुनावों में व्यस्त है ऐसे में क्वाड का बड़े फैसले लेना आसान नहीं था। इसके बावजूद भी अमेरिका ने क्वाड की मेजबानी के लिए आग्रह किया जबकि इस वर्ष क्वाड की मेजबानी भारत को करनी थी।
हम आपको बता दें कि चीन की विस्तारवादी नीतियों से निपटने के लिए 2007 में अमेरिका, जापान, आस्ट्रेलिया और भारत ने क्वाड संगठन को बनाया था। इस संगठन का उद्देश्य इंडो-पैसिफिक महासागर में शांति और सहयोग को बढ़ावा देने के साथ-साथ चीन की विस्तारवादी नीतियों का जवाब देना है। न्यूयार्क के नसाउ कोलेजियम में भारतीय समुदाय को संबोधित करते हुए मोदी ने कहा कि जब उन्होंने यह कहा था कि यह युद्ध का युग नहीं है तो दुनिया ने उनकी बात को गंभीरता से सुना। उन्होंने भारत की उपलब्धियों का जिक्र करते हुए कहा कि भारत का 5जी बाजार अमेरिका से बड़ा है। ऐसा दो साल के अंदर हुआ है। अब भारत मेड इन इंडिया 6जी पर काम कर रहा है।
अपने दौरे के दौरान मोदी ने तमाम बहुराष्ट्रीय कंपनियों के सीईओ से मुलाकात कर भारत की प्रगति के बारे में बताया और उन्हें भारत में निवेश के लिए कहा अपनी अमेरिकी यात्रा के दौरान मोदी ने एआई की नई परिभाषा गढ़ते हुए इसे अमेरिका-इंडिया बताया। पीएम मोदी की एक और बड़ी कामयाबी भारत की प्राचीन संपदा को लेकर है। दरअसल मोदी अमेरिका से भारतीय संस्कृति से जुड़ी 297 ऐसी नायाब वस्तुएं लाने में कामयाब रहे हैं जो अलग-अलग समय में चोरी और तस्करी के जरिए देश से बाहर चली गईं थीं । यहां यह भी जानना आवश्यक है कि 2014 के बाद से भारत दुनिया के अलग-अलग देशों से ऐसी 640 धरोहरों को वापस ला चुका है।
मोदी के दौरे के बीच में ऐसी खबर भी आई थी जिसमें कहा गया था कि एक रणनीति के तहत मोदी चुनाव-प्रचार में जुटे डोनाल्ड ट्रंप और कमला हैरिस से मुलाकात करेंगे। हालांकि बाद में ऐसा कुछ भी नहीं हुआ। कुछ राजनीतिक विशेषज्ञों के अनुसार पीएम को राष्ट्रपति पद के दोनों उम्मीदवारों से मिलना चाहिए था। किसी एक उम्मीदवार से बात करने का अर्थ अमेरिका की घरेलू राजनीति में दखलंदाजी भी माना जा सकता था। यह पीएम का एक अच्छा फैसला था। इसी तरह बंगलादेश के मोहम्मद यूनौस से मुलाकात न करके उन्होंने अमेरिकी प्रशासन को एक स्पष्ट संदेश दे दिया है कि भारत बंगलादेश में शेख हसीना की सरकार के तख्तापलट से खुश नहीं है। मोदी की विदेश नीति से पूरे विश्व में भारत का बढ़ता हुआ प्रभाव देखकर भारत को आज संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य बनाने के लिए फ्रांस और कई मित्र देशों ने उत्सुकता दिखाई है, जो इस बात का प्रमाण है कि भारत अब एक विश्व शक्ति के रूप में उभर रहा है।