बरेली। वर्ष भर में सबसे विशेष महत्व रखने वाली मोक्षदा एकादशी 11 दिसंबर बुधवार में मनाई जाएगी। सबसे खास बात यह है कि इस दिन सूर्य- बुध ग्रह एक साथ मंगल ग्रह की वृश्चिक राशि में एक साथ विद्यमान रहेंगे। जिससे बुधादित्य योग का निर्माण होगा।बुधादित्य योग से धन, वैभव, मान-सम्मान प्राप्त होता है।
साथ ही बुधादित्य योग व्यक्ति के भाग्य को प्रभावी बना देता है, जिससे जीवनभर उसे लाभ मिलता रहता है इसलिए इस पर्व का महत्व कई गुना अधिक बढ़ गया है। ज्योतिष अनुसार वैसे तो एकादशी तिथि की शुरुआत बुधवार सुबह 3:45 से ही प्रारंभ होकर पूरे दिन व्याप्त रहने के बाद मध्य रात्रि तक विद्यमान रहेगी।
आचार्य मुकेश मिश्रा ने बताया ऐसे में उदयातिथि प्रधानता अनुसार 11 दिसंबर को ही मोक्षदा एकादशी का पावन व्रत रखा जाएगा। धर्म शास्त्रों के अनुसार इसी दिन भगवान श्री कृष्ण ने कुरुक्षेत्र के मैदान में अर्जुन को गीता का उपदेश दिया था।
जिस कारण इसी दिन गीता जयंती भी मनाते हैं।मोक्षदा एकादशी का व्रत भगवान विष्णु की पूजा के लिए बहुत खास माना जाता है। इस दिन व्रत करने से भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होने के साथ ही आपके पितरों के लिए मोक्ष की प्राप्ति का रास्ता भी सुगम होता है।
यह व्रत मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को होता है और इस दिन पितरों के नाम से उनकी प्रिय वस्तुओं का दान करने का भी खास महत्व शास्त्रों में बताया गया है। इस दिन भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की विधि-विधान से पूजा की जाती है।
मोक्षदा एकादशी पूजाविधि
मोक्षदा एकादशी पर सुबह जल्दी उठकर ब्रह्म मुहूर्त में स्नान कर लें। स्वच्छ वस्त्र धारण करके मंदिर की साफ-सफाई कर लें और मंदिर को गंगाजल से पवित्र कर लें।
उसके बाद लकड़ी की चौकी लें और उस पर पीला कपड़ा बिछाकर भगवान विष्णु की प्रतिमा को स्थापित कर लें। आप चाहें तो भगवान कृष्ण की प्रतिमा भी स्थापित कर सकते हैं।
पंचामृत से भगवान विष्णु का अभिषेक करें और इस दिन भगवान विष्णु को पीला चंदन, अक्षत, पीले फूल अवश्य अर्पित करें।भगवान विष्णु की पूजा करें और मोक्षदा की व्रत कथा का पाठ करें।
साथ ही विष्णु चालीसा का पाठ भी करें। सबसे आखिर में भगवान की आरती करके भोग लगाएं और प्रार्थन करें। अगले दिन सुबह व्रत का पारण करें और जरूरतमंद लोगों के बीच में दान पुण्य करें।