![सशक्त विधायक न होने का है मलाल भाग्यविधाताओं को 1 Pratapgarh jpg](https://eradioindia.com/wp-content/uploads/2022/02/Pratapgarh-jpg.webp)
प्रतापगढ़ के विश्वनाथगंज और सदर विधानसभा का सियासी विश्लेषण एक नज़र में
प्रतापगढ़। विधान सभा चुनाव 2022 के चुनाव में चुनावी सियासत का पारा अपने शबाब पर आ गया है। प्रतापगढ़ जनपद में विधान सभा का चुनाव पांचवे चक्र में आगामी 27 फरवरी को होना है। प्रतापगढ़ जनपद की विश्वनाथगंज विधान सभा के चुनावी दंगल की कहानी अन्य विधानसभा की स्थिति से थोड़ा अलग है। भाजपा अपना दल एस गठबंधन के फलस्वरूप वर्ष 2014 से यह सीट अपना दल के पास है और वहां से डॉoआरके वर्मा विधायक रहे हैं। पार्टी मनमुटाव के कारण कुछ महीने पहले अपना दल एस पार्टी को छोड़ कर वह सपा में शामिल हो गए और अपनी जुगाड़बंदी से विधान सभा रानीगंज से सपा प्रत्याशी के रूप में चुनाव मैदान में हैं। विश्वनाथगंज सीट भाजपा अपना दल एस गठबंधन के कारण अपना दल एस के पास है। अपना दल एस ने इस सीट से अपने समर्पित कार्यकर्ता जीत लाल पटेल को चुनाव मैदान में उतारा है। वैसे सामान्य हैसियत के होने के साथ जीत लाल पटेल मंझे राजनीतिक नहीं हैं और उन्हें क्षेत्र की समस्याओं व जरूरतों की विस्तृत जानकारी नहीं है। विश्वनाथगंज में तकरीबन सत्तर हजार कुर्मी मतदाता हैं। अपना दल एस व भाजपा गठबंधन ने कुर्मी मतदाताओं के साथ सवर्ण मतदाताओं के वोट की उम्मीद कर जीतलाल पटेल को मैदान में उतारा है। विश्वनाथगंज सीट की जातिगत स्थिति पर ध्यान देने पर वहां करीब 44 हजार ब्राह्मण,25 हजार क्षत्रिय, यादव 26 हजार के अलावा अन्य पिछड़ी जातियों के लगभग 45 हजार मतदाता हैं। मुसलमान लगभग 62 हजार और अनुसूचित जाति के करीब 90 हजार मतदाता हैं। दिलचस्प कहानी है कि इस सीट सपा से पहले पूर्व मंत्री स्वर्गीय राजा राम पांडेय के सुपुत्र संजय पांडेय को टिकट दिया गया किन्तु उनके नामांकन करने के दिन उन्हें प्रदेश सपा कार्यालय से पार्टी के सिंबल पर नामांकन करने से अचानक मना कर दिया और सपा से युवा नेता सौरभ सिंह को टिकट दे दिया गया। अपने समर्थकों के दबाव व पार्टी की उपेक्षा से खिन्न होकर संजय पांडेय ने निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में नामांकन कर दिया है। प्रचार के दौरान संजय पांडेय सपा के अपने समर्थक मतदाताओं का वोट पाने का दावा कर रहे हैं,जबकि सौरभ सिंह सपा के अधिकृत प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ रहे हैं। सौरभ सिंह के पिता संजय सिंह बहुचरा गांव के प्रधान व क्षेत्र के संभ्रांत नागरिक माने जाते हैं। सौरभ सिंह के चुनाव प्रचार की लगाम वह स्वयं संभाले हुए हैं। उनके व्यवहार व प्रभाव का लाभ सौरभ सिंह को मिल रहा है। सवर्ण मतदाताओं को अपनी ओर आकृष्ट करने के लिए संजय पांडेय तथा सौरभ सिंह पूरा जोर लगाए हैं। सवर्ण खासकर क्षत्रिय मतदाताओं व पिछड़ी जाति के मतदाताओं के बल पर सौरभ सिंह अपनी स्थिति को मजबूत मान रहे हैं। संजय पांडेय ने बगावत कर सपा के सामने चुनौती की स्थिति पैदा कर दी है। बसपा ने डॉo संजय त्रिपाठी को टिकट दिया है। संजय त्रिपाठी विश्वनाथगंज से विधायक रह चुके हैं और बसपा के मूल कैडर वोटों के साथ ब्राह्मण मतों को पाने का ताना बाना बुन रहे हैं। बहुजन समाज पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव सतीश चन्द्र मिश्र ने शनिवार को पहाड़पुर में आयोजित सभा में उपस्थित लोगों से बसपा प्रत्याशी संजय त्रिपाठी को जीतने एवं प्रदेश में बसपा सरकार बनाने की अपील किया। जन अधिकार पार्टी के प्रत्याशी अशफ़ाक अहमद वहां चुनाव मैदान में हैं। अशफ़ाक के समर्थन में बाबू सिंह कुशवाहा की मीटिंग का कार्यक्रम बन रहा है। अनुमान है कि संजय पांडेय व सौरभ सिंह जितनी ताकत से लड़ेगे और जातीय वोटों का विभाजन करेंगे उतना ही अपना दल एस व भाजपा गठबंधन प्रत्याशी जीत लाल पटेल की राह सरल होगी।विडंबना रही है कि विश्वनाथ गंज विधान सभा को पूर्व में भी कोई प्रभावी व सक्रिय विधायक नहीं मिल पाया। मतदाताओं का मलाल है कि इसीलिए इस विधान सभा का अभी तक समुचित विकास नहीं हो पाया है। विश्वनाथगंज में ब्राह्मण, क्षत्रिय के अलावा मुस्लिम मतदाता इस सीट पर हार जीत में अहम भूमिका निभायेंगे।
प्रतापगढ़ सदर विधान सभा क्षेत्र की स्थिति एक कहावत जैसे बन रही है कि ‘ बहुत कठिन है डगर पनघट की’।2022 के चुनाव में सदर विधान सभा क्षेत्र में13 प्रत्याशियों ने माननीय बनने की अभिलाषा में अपनी अपनी दावेदारी दिखाने का दम भर रहे हैं। भाजपा ने नामांकन के आखिरी दिन चिलबिला के मिष्ठान व्यवसाई राजेन्द्र मौर्य के टिकट पर मुहर लगाकर भाजपा के कद्दावर नेताओं एवं मतदाताओं को आश्चर्य में डाल दिया जबकि यहां की सीट भाजपा गठबंधित थी पर अनुप्रिया पटेल ने यह सीट भाजपा के खाते में डाल दिया था। फिलहाल राजेन्द्र मौर्य का तूफानी दौरा क्षेत्र में हो रहा है। वह नगर पंचायत अंतू के बाबू गंज, बखान, गड़वारा आदि गांवों में चौपाल लगाकर जनसंपर्क कर रहे हैं और जनता का समर्थन बटोरने में जी जान से लगे हैं। विगत एक हप्ते से भाजपा के पूर्व विधायक हरि प्रताप सिंह व पूर्व जिला अध्यक्ष ओम प्रकाश त्रिपाठी को छोड़कर अन्य कद्दावर नेता, अध्यक्ष सहित प्रचार में नहीं दिख रहे हैं। वहीं दूसरी ओर गत विधान सभा चुनाव से ही प्रयास रत जुझारू कांग्रेस प्रत्याशी डॉo नीरज त्रिपाठी इस बार पुनः ताल ठोंकते हुए चुनाव समर में उतर चुके हैं और विगत छ: माह से क्षेत्र की जनता से आत्मीयता से जुड़ने का सफल प्रयास कर रहे हैं तो वहीं पर सपा गठबंधित कमेरा वादी की राष्ट्रीय अध्यक्ष कृष्णा पटेल को भी न जाने कैसे प्रतापगढ़ की सदर सीट पसंद आ गई और नामांकन कर अपनी भाग्य आजमाने का सोच लिया। वह भी तन मन से तूफानी दौरा करने में जुट गई हैं और उन्हें उम्मीद है कि पिछड़ी जातियों के साथ मुसलमानों का समर्थन बहुतायत में मिलेगा। इन्हीं सब पार्टियों के बीच बहुजन समाज पार्टी ने सवर्ण ब्राह्मण प्रत्याशी आशुतोष त्रिपाठी को उतार दिया है। वह भी अपने को किसी से कम नहीं आंक रहे हैं। उन्होंने बाबूगंज बाजार, तिवारीपुर, संडवा चंदिका,लोहंगपुर, गड़वारा, उमरी, गाजीपुर दुबान आदि गांवों में युद्ध स्तर पर जनसंपर्क किया है। यही नहीं उनकी पत्नी नित्या त्रिपाठी ने भी शुक्रवार को महिलाओं का विशाल रोडशो अम्बेडकर चौराहे से निकाल कर माहौल को गरम कर दिया है और बीएसपी प्रत्याशी को जिताने के लिए चुनावी नारों से आवाजें बुलंद किया।सदर विधानसभाई क्षेत्र में भी यह आम चर्चा होती रहती है कि विगत 15 वर्षों से इस क्षेत्र के जो भी विधायक हुए उन्होंने विकास के उत्थान में अपेक्षित योगदान नहीं किया।आज भी थोड़ी वारिश होती है तो तो मोहल्ले और विभागीय कार्यालय तालाब की शक्ल में तब्दील हो जाते हैं।सड़कों पर घुटनों तक पानी आ जाता है।समस्याओं का अम्बार है ,अभी तो सभी प्रत्याशी वादे जरूर कर लेंगे पर माननीय बनने के बाद सब भूल जाते हैं।