हरियाणा विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी ने बहुत खराब प्रदर्शन किया है। उसने 89 सीटों पर चुनाव लड़ा था और सभी सीटों पर उसकी जमानत जब्त हो गई है। हालांकि पिछले बार के मुकाबले उसके प्रदर्शन में सुधार हुआ है। पिछली बार उसको आधा फीसदी वोट मिला था, जबकि इस बार वह करीब 1.80 फीसदी वोट लेने में कामयाब रही है। इतना ही नहीं, उसने पांच विधानसभा सीटों पर इतने वोट काटे, जिससे कांग्रेस हार गई। यानी जैसे 10 निर्दलीय उम्मीदवारों ने कांग्रेस के वोट काट कर उसको हराया उसी तरह आम आदमी पार्टी ने पांच सीटों पर कांग्रेस को हराया। तभी आम आदमी पार्टी के नेताओं ने ट्विट करके खूब शेरो शायरी की है और कांग्रेस को अहसास कराया है कि अगर साथ मिल कर लड़े होते तो दोनों तरफ खुशी होती। लोकसभा चुनावों की भी याद दिलाई गई।
लेकिन ऐसा नहीं है कि इतने खराब नतीजे के बाद आम आदमी पार्टी दुखी है। जानकार सूत्रों का कहना है कि नतीजों के बाद केजरीवाल और उनके करीबी नेताओं ने इस पर संतोष जताया और राहत की सांस ली कि कांग्रेस नहीं जीती। आम आदमी पार्टी में इस बात की भी खुशी है कि जम्मू कश्मीर में उसका खाता खुला। उसने सात सीटों पर चुनाव लड़ा था और डोडा की सीट जीत गई। हालांकि यह उम्मीदवार की जीत थी क्योंकि बाकी छह सीटों पर आप को नोटा को मिले वोट का एक तिहाई वोट मिला है। दूसरी खुशी इस बात की है कि कांग्रेस हरियाणा में नहीं जीती।
अगर हरियाणा में कांग्रेस जीतती तो दिल्ली में कांग्रेस की वापसी का रास्ता बनता। दिल्ली से सटे मेवात और एनसीआर के इलाके में मुस्लिम और जाट पूरी तरह से कांग्रेस के साथ रहे हैं। यह समीकरण दिल्ली में दोहराया जा सकता था। हालांकि हरियाणा की जीत से भाजपा का भी मनोबल बढ़ा है लेकिन कांग्रेस जीतती तो चुनौती ज्यादा बड़ी होती।