Bareily Kajari Mahotsav: उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी लखनऊ और भातखंडे संस्कृति विश्वविद्यालय लखनऊ ने एसआरएमएस ट्रस्ट सहयोग से बरेली में पहली बार कजरी महोत्सव आयोजित किया। रिद्धिमा में मंगलवार शाम आयोजित इस कजरी में ख्यातिप्राप्त कलाकारों ने कजरी का रंग बरसाया।
वृंदावन से पहुंची गायिका आस्था गोस्वामी ने कजरी में ब्रज की मिठास घोली तो प्रयागराज से आये बांसुरी वादक पं. अजय प्रसन्ना ने स्रोताओं को बांसुरी से मंत्रमुग्ध किया। हरिहरपुर गायक पंडित भोलानाथ मिश्रा ने राग खमाज में कजरी प्रस्तुत कर संगीत प्रेमियों को मंत्रमुग्ध किया। नृत्यांगना प्रोफेसर भावना ग्रोवर मेरठ ने कथक भावों में कजरी बांधा और दर्शकों को अचंभित कर दिया।
- Bareily Kajari Mahotsav में पहली बार हुआ आयोजन, कलाकारों ने दी रिद्धिमा में शानदार प्रस्तुति
- वृंदावन की गायिका आस्था गोस्वामी ने कजरी में घोली ब्रज की मिठास
- प्रयागराज के बांसुरी वादक पं. अजय प्रसन्ना ने बांसुरी से किया मंत्रमुग्ध
- हरिहरपुर गायक पंडित भोलानाथ मिश्रा ने राग खमाज में गायी कजरी
- Bareily Kajari Mahotsav में मेरठ की नृत्यांगना प्रोफेसर भावना ग्रोवर ने कथक भावों में बांधी कजरी
एसआरएमएस ट्रस्ट संस्थापक व चेयरमैन देव मूर्ति, संगीत नाटक अकादमी अध्यक्ष प्रोफेसर जयंत खोता, निदेशक डा. शोभित कुमार नाहर ने मां सरस्वती प्रतिमा के सामने दीप प्रज्वलन कर कजरी महोत्सव शुभारंभ किया। डा. नाहर ने कहा कि बनारस और गोरखपुर में पारंपरिक गायन शैली कजरी का प्रचलन है।
शिव और पार्वती की पूजा को समर्पित कजरी यहां सभी त्यौहारों में कजरी गायी जाती है। गोरखपुर और लखनऊ में कजरी महोत्सव मनाया जाता है। कला और संस्कृति को बढ़ावा दने के लिए प्रदेश सरकार ने अन्य जिलों में भी कजरी महोत्सव मनाने का फैसला किया है। इसकी जिम्मेदारी उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी लखनऊ और भातखंडे संस्कृति विश्वविद्यालय लखनऊ को दी गई है।
बरेली में पहली बार आयोजित होने वाले इस महोत्सव में कला और संस्कृति को समर्पित एसआरएमएस ट्रस्ट का सहयोग मिला, जिससे रिद्धिमा में इसे साकार रूप दिया गया। बरेली कला प्रेमियों के बीच पहली बार यह महोत्सव मनाया। डा.नाहर ने युवा पीढ़ी को भारतीय संगीत, कला और संस्कृति से जुड़ने का आह्वान किया।
Bareily Kajari Mahotsav का शुभारंभ वृंदावन की गायिका आस्था गोस्वामी ने कजरी में बृज की मिठास घोली और बैठी सोचे बृजवाला नहीं आए घनश्याम को प्रस्तुत किया। उन्होंने सावन झर लागेला धीरे धीरे को भी अपने मधुर स्वर में स्रोताओं के समझ प्रस्तुत किया।
पंडित अजय प्रसन्ना ने बांसुरी के जरिये कजरी को प्रस्तुत किया। गायक पंडित भोलानाथ मिश्रा ने राग खमाज में कजरी की मिठास से सभी को लुभाया। उन्होंने बहुत बयरिया सखी आए नहीं सांवरिया को अपने स्वर दिए। कथक नृत्यांगना प्रोफेसर भावना ग्रोवर ने अपने शिष्यों रिया और अंकित के साथ कथक में कजरी के भावों को प्रस्तुत किया। इस अवसर पर एसआरएमएस ट्रस्ट ट्रस्टी आशा मूर्ति, उषा गुप्ता, इंजीनियर सुभाष मेहरा, डा. रजनी अग्रवाल, डा. प्रभाकर गुप्ता, डा. अनुज कुमार, डा. रीता शर्मा, श्रीराम मूर्ति इंस्टीट्यूशन शिक्षक, विद्यार्थी तथा अतिथि उपस्थित रहे।