बरेली। भारतीय एफएमसीजी (FMCG) अग्रणी कंपनी बीएल एग्रो ने बरेली में ‘बीएल कामधेनु फार्म’ यह परियोजना लॉन्च कर दी है। इसका शुभारंभ केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने शनिवार अपराह्न किया। उन्होंने मौके पर कहा लगभग हजार करोड रुपए लागत से तैयार हो रही परियोजना से 5000 से अधिक किसान सीधे तौर पर लाभान्वित होंगे और डेयरी, पशुधन उद्योग को पंख लगेंगे। श्री पासवान ने कहा कि हजारों रोजगार सृजन होने के साथ ही डेयरी व पशुधन उद्योग में क्रांतिकारी बदलाव होगा।
बरेली में खुला फार्म गाय प्रजनन और डेयरी प्रौद्योगिकी क्षेत्र में एक अत्याधुनिक उत्कृष्टता केंद्र होगा।
- डेयरी पशुधन उद्योग में होगा क्रांतिकारी बदलाव: चिराग पासवान
- 5000 किसान होंगे लाभान्वित, बढ़ेगी आय, हजारों रोजगार होंगे सृजित
कंपनी ने शुरुआती निवेश पर 1000 करोड़ रुपये लगाए हैं। भविष्य में इसे 3000 करोड़ रुपये तक विस्तारित किया जाएगा। परियोजना का लक्ष्य स्थायी डेयरी फार्मिंग, पशुधन की गुणवत्ता में सुधार और एक सर्कुलर अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देना है, जिससे उत्तर प्रदेश में हजारों किसानों को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से लाभ मिलेगा। केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्री चिराग पासवान ने परियोजना उद्घाटन किया किया। इस अवसर पर बीएल एग्रो चेयरमैन घनश्याम खंडेलवाल, प्रबंध निदेशक आशीष खंडेलवाल और मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) नवनीत रविकर सहित कई प्रमुख लोग मौजूद थे।
भारत सरकार खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्री चिराग पासवान ने इस अवसर पर कहा, बीएल कामधेनु परियोजना उत्तर प्रदेश में डेयरी और पशुधन उद्योग में एक क्रांतिकारी बदलाव लाएगी। इससे मवेशियों की अनुवांशिकी, दूध उत्पादकता और समग्र पशु स्वास्थ्य में सुधार हेतु अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी और वैज्ञानिक प्रगति का लाभ उठाकर इस क्षेत्र को नई ऊंचाइयों तक ले जाएगी। यह न केवल किसानों की आय बढ़ाने में मदद करेगी, बल्कि भारत को डेयरी उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में भी एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगी।
गाय प्रजनन और डेयरी टेक्नोलॉजी में क्रांति लाएगी ‘बीएल कामधेनु’ परियोजना
- बीएल कामधेनु परियोजना, बीएल एग्रो विस्तार योजना का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। जिसका उद्देश्य कृषि खाद्य प्रसंस्करण से लेकर पर्यावरण अनुकूल डेयरी फार्मिंग तक का विकास करना है।
गाय प्रजनन में उन्नत तकनीकों का इस्तेमाल किया जाएगा, जिसमें आईवीएफ (इन विट्रो फर्टिलाइजेशन) और ईटी (एम्ब्रियो ट्रांसफर) जैसी आधुनिक प्रजनन पद्धतियां शामिल होंगी। - शुरुआत में 5000 देसी गायों साथ कार्य किया जाएगा, जिसे आगे बढ़ाकर 10,000 तक किया जाएगा।
- एक उच्च गुणवत्ता वाला चारा निर्माण केंद्र स्थापित किया जाएगा, जिससे डेयरी उत्पादन में सुधार होगा।
- संपीड़ित बायोगैस (CBG) उत्पादन हेतु बायो-मीथेनेशन प्लांट स्थापित किया जाएगा। जिससे पर्यावरण अनुकूल ऊर्जा उत्पादन को बढ़ावा मिलेगा।
स्थानीय किसानों को मिलेगा सीधा लाभ
- बीएल कामधेनु परियोजना स्थानीय किसानों के लिए वरदान साबित होगी।
- बीएल एग्रो स्थानीय किसानों से दूध खरीदेगा और उन्हें उच्च गुणवत्ता वाली गायें व बेहतरीन चारा उपलब्ध कराएगा।
- किसानों के लिए उन्नत पशु प्रजनन तकनीकों और आधुनिक डेयरी फार्मिंग पर विशेष प्रशिक्षण आयोजित किए जाएंगे।
- कार्यक्रम में बताया कि बीएल एग्रो एक फील्ड प्रोसेसिंग यूनिट स्थापित करेगा, जो किसानों से सीधे दूध और कृषि अपशिष्ट खरीदेगा।
- परियोजना के पहले 2-3 वर्षों में 5000 किसान सीधे लाभान्वित होंगे, और इसके पूरी क्षमता पर पहुंचने के बाद 1-2 लाख किसानों तक इसका प्रभाव पहुंचेगा।
लीड्स एग्री जेनेटिक्स: पशु और फसल अनुवांशिकी में नवाचार
- आयोजन में बीएल एग्रो ने अपनी नई सहायक कंपनी ‘लीड्स एग्री जेनेटिक्स’ का भी अनावरण किया।
- यह कंपनी पशु अनुवांशिकी, फसल जीनोमिक्स और सतत कृषि विकास के लिए काम करेगी।
- स्वदेशी पशुधन नस्लों का संरक्षण और संवर्धन किया जाएगा।
- कम मीथेन उत्सर्जन करने वाली नस्लों और अधिक उत्पादक फसलों का विकास किया जाएगा।
- किसानों और सहकारी समितियों को आनुवंशिक डेटा और प्रशिक्षण में सहायता दी जाएगी।
- बीएल एग्रो सीईओ नवनीत रविकर ने बताया बीएल कामधेनु परियोजना उत्तर प्रदेश में किसानों को आत्मनिर्भर बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।
बायोगैस उत्पादन से पर्यावरण अनुकूल ऊर्जा समाधान
- बीएल कामधेनु परियोजना केवल डेयरी और कृषि क्षेत्र में ही नहीं, बल्कि ऊर्जा क्षेत्र में भी बड़ा योगदान देगी। इस परियोजना के तहत:
- कृषि अपशिष्ट का उपयोग कर बायोगैस (CBG) का उत्पादन किया जाएगा, जिससे जैविक ऊर्जा स्रोतों को बढ़ावा मिलेगा।
- यह सौर और अन्य नवीकरणीय ऊर्जा समाधानों के साथ मिलकर काम करेगा ताकि पूरी परियोजना पर्यावरण के अनुकूल बनी रहे।
- इससे किसानों को अपशिष्ट से अतिरिक्त आय प्राप्त करने का अवसर मिलेगा।
डेयरी और कृषि क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की ओर एक कदम
बीएल एग्रो प्रबंध निदेशक आशीष खंडेलवाल ने कहा, हमें यह बताते हुए बेहद खुशी हो रही है कि बीएल कामधेनु मवेशी प्रजनन और डेयरी प्रौद्योगिकी में सर्वोत्तम प्रथा अनुसंधान, प्रशिक्षण और कार्यान्वयन के लिए केंद्र बिंदु रूप में काम करेगी। हमारा मुख्य ध्यान टिकाऊ और सर्कुलर अर्थव्यवस्था बनाने पर रहा है, जो कृषि अपशिष्ट को कम करता है और स्थानीय समुदाय को बढ़ावा देता है।
पर्यावरण अनुकूल और स्वच्छ कृषि मॉडल
बीएल कामधेनु परियोजना एक आत्मनिर्भर, पर्यावरण अनुकूल मॉडल बनाने पर केंद्रित होगी, जिसमें डेयरी उत्पादन साथ-साथ सतत कृषि मॉडल को अपनाया जाएगा। बायोगैस उत्पादन और पुनर्नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों को प्रोत्साहित किया जाएगा। सतत पशुपालन पद्धतियों को बढ़ावा दिया जाएगा, जिससे किसानों को दीर्घकालिक लाभ प्राप्त होगा।
किसानों और स्थानीय समुदाय के लिए भविष्य के अवसर
- बीएल एग्रो स्थानीय किसानों के साथ सीधा सहयोग करेगा और उन्हें डेयरी उत्पादकता बढ़ाने के लिए संसाधन और प्रशिक्षण प्रदान करेगा।
- किसानों को उन्नत नस्ल की गायें उपलब्ध कराई जाएंगी, जिससे दूध उत्पादन बढ़ेगा।
- चारा उत्पादन और पशु आहार की गुणवत्ता में सुधार किया जाएगा।
- सामुदायिक डेयरी केंद्र बनाए जाएंगे, जहां किसानों से सीधे दूध की खरीद की जाएगी।
- बीएल एग्रो अनुसार परियोजना माध्यम से बरेली और आसपास 20 किलोमीटर दायरे में डेयरी और पशुपालन उद्योग को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाने का लक्ष्य रखा गया है।
भारतीय डेयरी और कृषि क्षेत्र में एक नई क्रांति
‘बीएल कामधेनु’ परियोजना भारतीय डेयरी और कृषि क्षेत्र में एक नई क्रांति लाने की क्षमता रखती है। स्थायी डेयरी फार्मिंग को बढ़ावा देकर किसानों की आय में वृद्धि होगी।
डेयरी और पशुपालन उद्योग में आधुनिक तकनीक के प्रयोग से भारत की दूध उत्पादन क्षमता में सुधार होगा। बायोगैस उत्पादन और सौर ऊर्जा जैसे स्थायी ऊर्जा स्रोतों का उपयोग, पर्यावरण अनुकूल विकास को सुनिश्चित करेगा। परियोजना स्थानीय किसानों, डेयरी उद्योग और भारतीय ग्रामीण अर्थव्यवस्था में एक बड़ी उपलब्धि साबित होगी। डेयरी और कृषि क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक मजबूत कदम है।